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हरियाणा में पराली से निपटने के लिए सरकार ने बनाए चार जोन - हरियाणा सरकार पराली जोन

हरियाणा में पराली को लेकर प्रशासन ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है. इससे निपटने के लिए कई जिलों को रंगों के आधार पर बांटा गया है. पिछले साल के आधार पर ये जोन बनाए गए हैं.

Government created four zones for stopping stubble in haryana
Government created four zones for stopping stubble in haryana
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Published : Sep 22, 2020, 10:57 PM IST

चंडीगढ़: इस साल पराली की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन अभी से तैयार हो गया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने फसलों के अवशेष जलाने पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले साल अवशेष जलाने की घटनाओं के आधार पर सभी जिलों में रंगों के आधार पर जोन बनाए हैं.

पराली को लेकर बनाए गए जोन

ये जोन लाल, पीले, नारंगी और हरे रंग के बनाए गए हैं. इनमें 332 गांव लाल जोन में और 675 पीले जोन में आए हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने ये जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने उन सभी 11,311 किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन योजना ‘फसलों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के तहत वर्तमान मौसम में कृषि उपकरणों के लिए आवेदन किया है.

इसके तहत 50 फीसदी की दर से कुल 155 करोड़ रु वित्तीय सहायता के रूप में दिए जाएंगे. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि विभाग द्वारा 454 बेलर, 5820 सुपर सीडर, 5418 जीरो-टील सीड-ड्रिल, 2918 चोपर मल्चर, 260 हैप्पी सीडर, 389 स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, 64 रोटरी स्लैशर्स मास्टर्स, 454 रिवर्सेबल मोल्ड हल और 288 रीपर लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि किसानों और सोसायटियों से कृषि उपकरणों के लिए 21 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित मांगे गए थे. उन्होंने बताया कि 16,647 उपकरणों के लिए 11,311 किसानों ने आवेदन किए हैं. कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को उपकरण प्रदान करने में व्यक्तिगत लाभार्थियों को कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनरी लेने के लिए वरीयता देने का फैसला किया था.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में मिले 266 नए कोरोना केस, 4 मरीजों की हुई मौत

उन्होंने बताया कि राज्य में अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इस योजना में इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों का एक मिश्रण शामिल है. एक समर्पित नियंत्रण कक्ष के माध्यम से गतिविधियों की निगरानी के अलावा नियमों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर का पंजीकरण किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष इस योजना के तहत हरियाणा को 170 करोड़ रु प्रदान किए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में जिला प्रशासन और विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया गए हैं कि वे फसलों के अवशेष जलाने की घटनाओं की निगरानी करें और रिपोर्ट करें.

चंडीगढ़: इस साल पराली की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन अभी से तैयार हो गया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने फसलों के अवशेष जलाने पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले साल अवशेष जलाने की घटनाओं के आधार पर सभी जिलों में रंगों के आधार पर जोन बनाए हैं.

पराली को लेकर बनाए गए जोन

ये जोन लाल, पीले, नारंगी और हरे रंग के बनाए गए हैं. इनमें 332 गांव लाल जोन में और 675 पीले जोन में आए हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने ये जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने उन सभी 11,311 किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन योजना ‘फसलों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के तहत वर्तमान मौसम में कृषि उपकरणों के लिए आवेदन किया है.

इसके तहत 50 फीसदी की दर से कुल 155 करोड़ रु वित्तीय सहायता के रूप में दिए जाएंगे. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि विभाग द्वारा 454 बेलर, 5820 सुपर सीडर, 5418 जीरो-टील सीड-ड्रिल, 2918 चोपर मल्चर, 260 हैप्पी सीडर, 389 स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, 64 रोटरी स्लैशर्स मास्टर्स, 454 रिवर्सेबल मोल्ड हल और 288 रीपर लाभार्थियों को प्रदान किए जाएंगे.

उन्होंने बताया कि किसानों और सोसायटियों से कृषि उपकरणों के लिए 21 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित मांगे गए थे. उन्होंने बताया कि 16,647 उपकरणों के लिए 11,311 किसानों ने आवेदन किए हैं. कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को उपकरण प्रदान करने में व्यक्तिगत लाभार्थियों को कस्टम हायरिंग सेंटर से मशीनरी लेने के लिए वरीयता देने का फैसला किया था.

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उन्होंने बताया कि राज्य में अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 1,304.95 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इस योजना में इन-सीटू और एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों का एक मिश्रण शामिल है. एक समर्पित नियंत्रण कक्ष के माध्यम से गतिविधियों की निगरानी के अलावा नियमों के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर का पंजीकरण किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष इस योजना के तहत हरियाणा को 170 करोड़ रु प्रदान किए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में जिला प्रशासन और विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिया गए हैं कि वे फसलों के अवशेष जलाने की घटनाओं की निगरानी करें और रिपोर्ट करें.

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