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हरियाणा में गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक बेनतीजा

किसान लगातार सरकार से गन्ने के रेट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं इसी मुद्दे को लेकर रविवार को किसानों ने सरकार के साथ बैठक (meeting regarding increase in sugarcane rate) की. इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे. बैठक करीब दो घंटे तक चली.

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गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक बेनतीजा
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Published : Jan 22, 2023, 10:58 PM IST

गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक बेनतीजा

चंडीगढ़: हरियाणा में गन्ने के दाम बढ़ाने को लेकर किसान लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. तो सरकार ने इस मसले के हल के लिए एक कमेटी का भी गठन किया हुआ है. लेकिन अभी तक गन्ने के दाम नम बढ़ाए जाने से किसान नाराज हैं. इसी को देखते हुए रविवार को चंडीगढ़ में सरकार और किसानों की बैठक हुई. इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल मौजूद रहे. मुख्यमंत्री की गन्ने के समर्थन मूल्य बढ़ाने को लेकर किसान नेताओं की बैठक में मसले का कोई भी हल नहीं निकल पाया. मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के साथ किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक करीब 2 घंटे चली. बैठक के बाद किसान नेता रतन सिंह मान ने बताया बैठक बेनतीजा रही.

रतन मान ने कहा गन्ने के दाम बढ़ाना एक सूत्रीय एजेंडा था. जिस पर सरकार की तरफ से सहमति नहीं जताई गई. उन्होंने कहा कि पूरी बैठक में सरकार किसानों को घाटे का पाठ पढ़ाती रही. किसानों का कहना है कि हमें किसी भी तरह की कमेटी की इस मामले को लेकर जरूरत नहीं है. किसानों ने कहा कि समस्या का कोई हल नहीं हो रहा है इसलिए इस कमेटी का कोई मतलब नहीं इस कमेटी की कोई जरूरत नहीं है. रविवार को सीधे सरकार से बैठक की गई इस विषय पर मंथन किया गया लेकिन मंथन विफल रहा.

ये भी पढ़ें: हरियाणा में 30 जनवरी के बाद शुरू होगा कांग्रेस का हाथ से हाथ जोड़ो अभियान, 25 जनवरी को पार्टी की बैठक: भूपेंद्र हुड्डा

किसानों का कहना है कि गन्ने के दाम बढ़ाने को लेकर किसान लगातार आंदोलन को जारी रखेंगे और 26 जनवरी को जींद में होने वाली एसकेएम की बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा. उनका कहना है कि 29 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गोहाना आ रहे हैं. वे इस मुद्दे को उनके सामने भी उठाएंगे. उनका कहना है कि जब तक सरकार भाव नहीं बढ़ाती है तब तक वो आंदोलन को नहीं रोकने वाले. किसानों का कहना है कि सरकार से लगातार गन्ने के रेट बढ़ाने की मांग की जा रही है लेकिन सरकार कोई सुध नहीं ले रही ना ही किसानों की बात सुनने को तैयार है. अब अगर आंदोलन बड़ा हुआ तो इसकी जिम्मेदार सिर्फ सरकार होगी.

ये भी पढ़ें: फरीदाबाद में बल्लभगढ़ सोहाना पुल को चौड़ा करने की सरकार ने दी मंजूरी, करोड़ों रुपये की लागत से होगा पुल का नवनिर्माण

गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर मुख्यमंत्री के साथ किसान प्रतिनिधियों की बैठक बेनतीजा

चंडीगढ़: हरियाणा में गन्ने के दाम बढ़ाने को लेकर किसान लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. तो सरकार ने इस मसले के हल के लिए एक कमेटी का भी गठन किया हुआ है. लेकिन अभी तक गन्ने के दाम नम बढ़ाए जाने से किसान नाराज हैं. इसी को देखते हुए रविवार को चंडीगढ़ में सरकार और किसानों की बैठक हुई. इस बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कृषि मंत्री जेपी दलाल मौजूद रहे. मुख्यमंत्री की गन्ने के समर्थन मूल्य बढ़ाने को लेकर किसान नेताओं की बैठक में मसले का कोई भी हल नहीं निकल पाया. मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के साथ किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक करीब 2 घंटे चली. बैठक के बाद किसान नेता रतन सिंह मान ने बताया बैठक बेनतीजा रही.

रतन मान ने कहा गन्ने के दाम बढ़ाना एक सूत्रीय एजेंडा था. जिस पर सरकार की तरफ से सहमति नहीं जताई गई. उन्होंने कहा कि पूरी बैठक में सरकार किसानों को घाटे का पाठ पढ़ाती रही. किसानों का कहना है कि हमें किसी भी तरह की कमेटी की इस मामले को लेकर जरूरत नहीं है. किसानों ने कहा कि समस्या का कोई हल नहीं हो रहा है इसलिए इस कमेटी का कोई मतलब नहीं इस कमेटी की कोई जरूरत नहीं है. रविवार को सीधे सरकार से बैठक की गई इस विषय पर मंथन किया गया लेकिन मंथन विफल रहा.

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किसानों का कहना है कि गन्ने के दाम बढ़ाने को लेकर किसान लगातार आंदोलन को जारी रखेंगे और 26 जनवरी को जींद में होने वाली एसकेएम की बैठक में इस मुद्दे को उठाया जाएगा. उनका कहना है कि 29 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गोहाना आ रहे हैं. वे इस मुद्दे को उनके सामने भी उठाएंगे. उनका कहना है कि जब तक सरकार भाव नहीं बढ़ाती है तब तक वो आंदोलन को नहीं रोकने वाले. किसानों का कहना है कि सरकार से लगातार गन्ने के रेट बढ़ाने की मांग की जा रही है लेकिन सरकार कोई सुध नहीं ले रही ना ही किसानों की बात सुनने को तैयार है. अब अगर आंदोलन बड़ा हुआ तो इसकी जिम्मेदार सिर्फ सरकार होगी.

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