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पत्नी वियोग में पुलिसवाला बना 'मोक्षदाता', 30 हजार लोगों का कर चुका है पिंडदान - लावारिस अंतिम संस्कार श्यामलाल न्यूज

पत्नी वियोग में चंडीगढ़ में इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी करने वाले श्याम लाल इतने उदास हुए कि सारा दिन शमशान में बिताते थे. तभी उन्हें वहां लावारिश अस्थियों को देख कुछ ऐसा एहसास हुआ कि वो बन गए कलयुग के 'मोक्षदाता'.

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पत्नी वियोग में पुलिसवाला बना 'मोक्षदाता'
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Published : Jan 20, 2021, 12:26 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 4:19 PM IST

चंडीगढ़: इस दुनिया से अगर कोई चला जाता है तो उसके परिजन पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करते हैं, क्योंकि हिंदू धर्म में मान्यता है कि अगर मरने वाले का अंतिम संस्कार ना हो तो उसे मोक्ष नहीं मिलता, लेकिन हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जो इतने समर्थ नहीं हैं कि किसी अपने के चले जाने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर पाए, उसका पिंडदान कर पाएं, लेकिन इस समाज चंडीगढ़ के रिटायर्ड इंस्पेक्टर जैसे लोग भी हैं जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके लोगों को मोक्ष दिलाने के लिए अपने जीवन के बहुमुल्य 25 साल दे चुके हैं और ये काम अभी भी जारी है.

30 हजार लोगों का कर चुकें हैं पिंडदान

श्यामलाल बताते हैं कि अप्रैल 1995 में उनके बेटे का जन्म हुआ था, तब डिलीवरी के वक्त उनकी पत्नी की मौत हो गई. जिसके बाद वह काफी उदास रहने लगे. इसी उदासी के चलते कभी-कभी श्मशान घाट में जाकर घंटों बैठे रहते थे. तब उन्होंने देखा कि शमशान घाट में बहुत सी अस्थियां लावारिस पड़ी है जिन्हें गंगा में प्रवाहित करने वाला कोई नहीं है. तब उन्होंने श्मशान घाट के पंडित श्यामलाल से बात की और उन्हें कहा कि वे इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना चाहते हैं. तभी से यह काम शुरू हो गया जो अभी तक जारी है. पिछले 25 सालों में वे करीब 30 हजार लोगों की अस्थियों को हरिद्वार जाकर प्रवाहित कर चुके हैं.

पत्नी वियोग में पुलिसवाला बना 'मोक्षदाता'

कई सालों तक परिवार से छुपा कर रखी ये बात

उन्होंने कहा कुछ समय बाद बेटे की देखभाल को ध्यान में रखते हुए उन्होंने दूसरी शादी कर ली. तब तक उनके परिवार में किसी को भी नहीं पता था कि वे लोगों की अस्थियां प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार जाते हैं. पहले वो घर से झूठ बोल कर जाते थे, लेकिन बाद में उन्हें सच बताना पड़ा. उसके बाद उन्हें परिवार का भी इस काम में साथ मिला और अब उनकी पत्नी और बेटा भी उनके साथ अस्थियां प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार जाते हैं.

ये भी पढ़ें- इंसानियत की मिसाल: रिटायरमेंट के बाद गुलशन गरीब बच्चों को दे रहे निशुल्क शिक्षा

25 साल तक नौकरी भी और धर्म भी

श्यामलाल चंडीगढ़ पुलिस से बतौर इंस्पेक्टर पिछले साल ही रिटायर हुए हैं. पुलिस की नौकरी के दौरान उन्होंने अस्थियों को प्रवाहित करने का काम जारी रखा. उन्होंने कहा कि वे महीने में एक बार हरिद्वार जरूर जाते थे, कभी-कभी महीने में दो बार भी हरिद्वार जाते थे.

अलग-अलग शहरों से इकट्ठी करते हैं अस्थियां

श्यामलाल ने कहा की शुरुआत में वे चंडीगढ़ सेक्टर 25 के श्मशान घाट से अस्थियां इकट्ठा करते थे . लेकिन अब वे चंडीगढ़ के अलावा मणिमाजरा, पंचकूला, पानीपत, पटियाला, मोहाली, जीरकपुर, शिमला या किसी भी शहर में जाते हैं तो वहां श्मशान घाट में पड़ी लावारिस अस्थियों को ले आते हैं और उन्हें गंगा में प्रवाहित कर देते हैं.

आज श्याम लाल पुलिस की नौकरी से रिटायर हो चुके हैं. हालांकि कोई रिकॉर्ड तो नहीं, लेकिन वो अंदाजन बताते हैं कि पिछले 25 सालों में उन्होंने 30 हजार से ज्यादा लोगों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया है. यकीनन श्यामलाल जो मानवता का काम कर रहे हैं वो आज की भागदौड़ भरी दुनिया में कल्पना भी कर सकता हो. श्यामलाल उन पुन्य आत्माओं को मोक्ष दिला चुके हैं जिनके बारे में कोई सोचने वाला नहीं था. ऐसे इंसान को अगर हम कलयुग का 'मोक्षदाता' कहें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

चंडीगढ़: इस दुनिया से अगर कोई चला जाता है तो उसके परिजन पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार करते हैं, क्योंकि हिंदू धर्म में मान्यता है कि अगर मरने वाले का अंतिम संस्कार ना हो तो उसे मोक्ष नहीं मिलता, लेकिन हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जो इतने समर्थ नहीं हैं कि किसी अपने के चले जाने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर पाए, उसका पिंडदान कर पाएं, लेकिन इस समाज चंडीगढ़ के रिटायर्ड इंस्पेक्टर जैसे लोग भी हैं जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके लोगों को मोक्ष दिलाने के लिए अपने जीवन के बहुमुल्य 25 साल दे चुके हैं और ये काम अभी भी जारी है.

30 हजार लोगों का कर चुकें हैं पिंडदान

श्यामलाल बताते हैं कि अप्रैल 1995 में उनके बेटे का जन्म हुआ था, तब डिलीवरी के वक्त उनकी पत्नी की मौत हो गई. जिसके बाद वह काफी उदास रहने लगे. इसी उदासी के चलते कभी-कभी श्मशान घाट में जाकर घंटों बैठे रहते थे. तब उन्होंने देखा कि शमशान घाट में बहुत सी अस्थियां लावारिस पड़ी है जिन्हें गंगा में प्रवाहित करने वाला कोई नहीं है. तब उन्होंने श्मशान घाट के पंडित श्यामलाल से बात की और उन्हें कहा कि वे इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करना चाहते हैं. तभी से यह काम शुरू हो गया जो अभी तक जारी है. पिछले 25 सालों में वे करीब 30 हजार लोगों की अस्थियों को हरिद्वार जाकर प्रवाहित कर चुके हैं.

पत्नी वियोग में पुलिसवाला बना 'मोक्षदाता'

कई सालों तक परिवार से छुपा कर रखी ये बात

उन्होंने कहा कुछ समय बाद बेटे की देखभाल को ध्यान में रखते हुए उन्होंने दूसरी शादी कर ली. तब तक उनके परिवार में किसी को भी नहीं पता था कि वे लोगों की अस्थियां प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार जाते हैं. पहले वो घर से झूठ बोल कर जाते थे, लेकिन बाद में उन्हें सच बताना पड़ा. उसके बाद उन्हें परिवार का भी इस काम में साथ मिला और अब उनकी पत्नी और बेटा भी उनके साथ अस्थियां प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार जाते हैं.

ये भी पढ़ें- इंसानियत की मिसाल: रिटायरमेंट के बाद गुलशन गरीब बच्चों को दे रहे निशुल्क शिक्षा

25 साल तक नौकरी भी और धर्म भी

श्यामलाल चंडीगढ़ पुलिस से बतौर इंस्पेक्टर पिछले साल ही रिटायर हुए हैं. पुलिस की नौकरी के दौरान उन्होंने अस्थियों को प्रवाहित करने का काम जारी रखा. उन्होंने कहा कि वे महीने में एक बार हरिद्वार जरूर जाते थे, कभी-कभी महीने में दो बार भी हरिद्वार जाते थे.

अलग-अलग शहरों से इकट्ठी करते हैं अस्थियां

श्यामलाल ने कहा की शुरुआत में वे चंडीगढ़ सेक्टर 25 के श्मशान घाट से अस्थियां इकट्ठा करते थे . लेकिन अब वे चंडीगढ़ के अलावा मणिमाजरा, पंचकूला, पानीपत, पटियाला, मोहाली, जीरकपुर, शिमला या किसी भी शहर में जाते हैं तो वहां श्मशान घाट में पड़ी लावारिस अस्थियों को ले आते हैं और उन्हें गंगा में प्रवाहित कर देते हैं.

आज श्याम लाल पुलिस की नौकरी से रिटायर हो चुके हैं. हालांकि कोई रिकॉर्ड तो नहीं, लेकिन वो अंदाजन बताते हैं कि पिछले 25 सालों में उन्होंने 30 हजार से ज्यादा लोगों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया है. यकीनन श्यामलाल जो मानवता का काम कर रहे हैं वो आज की भागदौड़ भरी दुनिया में कल्पना भी कर सकता हो. श्यामलाल उन पुन्य आत्माओं को मोक्ष दिला चुके हैं जिनके बारे में कोई सोचने वाला नहीं था. ऐसे इंसान को अगर हम कलयुग का 'मोक्षदाता' कहें तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

Last Updated : Jan 22, 2021, 4:19 PM IST
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