चंडीगढ़: माता का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. आपको बता दें कि मां शैलपुत्री के दो हाथों में से दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल सुशोभित है.
कहा जाता हैं कि आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने और उनके मंत्र का जप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है। अतः माता शैलपुत्री का मंत्र
वन्दे वाञ्छित लाभाय चन्द्र अर्धकृत शेखराम्.
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्.
इस प्रकार माता शैलपुत्री के मंत्र का कम से कम 11 बार जप करने से आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, साथ ही आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि होगी और आपको आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी.
ऐसे करें पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना
आज के दिन इन सब चीज़ों का लाभ उठाने के लिये देवी मां के इस मंत्र से उनकी उपासना करनी चाहिए. मंत्र है- ‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:’ आज के दिन आपको अपनी इच्छानुसार संख्या में इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. इससे आपको हर तरह के सुख-साधन मिलेंगे.
मंत्र जाप के साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि नवरात्र के पहले दिन देवी के शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए. त्रिफला में आंवला, हर्रड़ और बहेड़ा डाला जाता है. इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं.