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आज ही के दिन बुलाया गया था संसद का पहला सत्र, जानिए क्यों खास है 13 मई

13 मई का दिन भारतीय संसद के इतिहास में एक और खास दिन के लिए जाना जाता है. 15वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 2009 में 13 मई को ही खत्म हुआ था.

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Published : May 13, 2019, 1:02 PM IST

चंडीगढ़: 17वीं लोकसभा के गठन को लेकर चुनाव अब अंतिम दौर में है. 6 चरण पूरे हो चुके हैं और सातवें और आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होना है. नई लोकसभा के गठन के बाद पहला सत्र कब बुलाया जाएगा, ये अभी तय नहीं है, लेकिन 13 मई यानी आज का दिन भारतीय संसद के लिए ऐतिहासिक है.


13 मई को ही भारतीय लोकसभा के इतिहास का पहला संसद सत्र बुलाया गया था और एक बार अंतिम संसद सत्र का गवाह भी बना. साल 1951-52 में करीब 4 महीने चली चुनावी प्रक्रिया के बाद 17 अप्रैल को पहली लोकसभा का गठन किया गया था.

लोकसभा के गठन के बाद संसद का पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया. देश की पहली लोकसभा ने अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. ये लोकसभा 4 अप्रैल, 1957 को भंग हुई. देश के पहले लोकसभा स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर रहे जिनके नेतृत्व में पूरी संसदीय कार्यवाही की गई.

वो इस पद पर 27 फरवरी 1956 तक रहे. उनके बाद एमए आयंगर शेष लोकसभा के लिए स्पीकर बनें. मावलंकर के निधन से पहले आयंगर ने डिप्टी स्पीकर के रूप में काम किया. पहली लोकसभा में कुल 677 बैठकें (3,784 घंटे) हुईं, जो देश के संसदीय इतिहास में सबसे ज्यादा बैठकों वाला सत्र रहा. 13 मई का दिन भारतीय संसद के इतिहास में एक और खास दिन के लिए जाना जाता है. 15वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 2009 में 13 मई को ही खत्म हुआ था.

कांग्रेस की बंपर जीत
देश का पहला आम चुनाव कई मायनों में बेहद दिलचस्प रहा क्योंकि ये चुनाव करीब 4 महीने तक चला. 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच चले चुनाव में 1,849 उम्मीदवारों के बीच 489 सीटों पर फैसला आया. इस चुनाव में 17.3 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

इस चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की. कांग्रेस को रिकॉर्डतोड़ 364 सीटें हासिल हुईं. कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली. निर्दलीय प्रत्याशियों ने 37 सीटों पर जीत हासिल की.


पार्टी के आधार पर देखा जाए तो कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) रही जिसको 16 सीटें मिलीं. सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटें मिलीं और वह चुनाव में तीसरी सबसे कामयाब पार्टी रही.

चंडीगढ़: 17वीं लोकसभा के गठन को लेकर चुनाव अब अंतिम दौर में है. 6 चरण पूरे हो चुके हैं और सातवें और आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होना है. नई लोकसभा के गठन के बाद पहला सत्र कब बुलाया जाएगा, ये अभी तय नहीं है, लेकिन 13 मई यानी आज का दिन भारतीय संसद के लिए ऐतिहासिक है.


13 मई को ही भारतीय लोकसभा के इतिहास का पहला संसद सत्र बुलाया गया था और एक बार अंतिम संसद सत्र का गवाह भी बना. साल 1951-52 में करीब 4 महीने चली चुनावी प्रक्रिया के बाद 17 अप्रैल को पहली लोकसभा का गठन किया गया था.

लोकसभा के गठन के बाद संसद का पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया. देश की पहली लोकसभा ने अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. ये लोकसभा 4 अप्रैल, 1957 को भंग हुई. देश के पहले लोकसभा स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर रहे जिनके नेतृत्व में पूरी संसदीय कार्यवाही की गई.

वो इस पद पर 27 फरवरी 1956 तक रहे. उनके बाद एमए आयंगर शेष लोकसभा के लिए स्पीकर बनें. मावलंकर के निधन से पहले आयंगर ने डिप्टी स्पीकर के रूप में काम किया. पहली लोकसभा में कुल 677 बैठकें (3,784 घंटे) हुईं, जो देश के संसदीय इतिहास में सबसे ज्यादा बैठकों वाला सत्र रहा. 13 मई का दिन भारतीय संसद के इतिहास में एक और खास दिन के लिए जाना जाता है. 15वीं लोकसभा का अंतिम सत्र 2009 में 13 मई को ही खत्म हुआ था.

कांग्रेस की बंपर जीत
देश का पहला आम चुनाव कई मायनों में बेहद दिलचस्प रहा क्योंकि ये चुनाव करीब 4 महीने तक चला. 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच चले चुनाव में 1,849 उम्मीदवारों के बीच 489 सीटों पर फैसला आया. इस चुनाव में 17.3 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

इस चुनाव में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की. कांग्रेस को रिकॉर्डतोड़ 364 सीटें हासिल हुईं. कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली. निर्दलीय प्रत्याशियों ने 37 सीटों पर जीत हासिल की.


पार्टी के आधार पर देखा जाए तो कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) रही जिसको 16 सीटें मिलीं. सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटें मिलीं और वह चुनाव में तीसरी सबसे कामयाब पार्टी रही.

Intro:मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए नहीं दिखाई दी पेयजल व्यवस्था
भिवानी, 12 मई : रविवार को सुबह से शाम तक मतदाताओं ने चिलचिलाती धूप में कतारों में लग अपने-अपने मतदान केंद्रों पर लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डाली। भले ही इसके लिए उन्हे कितनी ही परेशानी क्यो न झेलनी पड़ी हो। रविवार सुबह सूर्य निकलते ही धूप अपना पैनापन दिखाने लगी थी। स्थिति यह बनी कि 9 बजे के बाद तो धूप में पांच मिनट खड़े होते ही शरीर में चुभन होने लगती थी और कंठ सूखने लगता था।
लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका निभाने वाले मतदाताओं का कंठ गीला हो जाए, इस ओर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। हां मतदान ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए पानी के कैंपर की व्यवस्था अवश्य की गई थी। लेकिन मतदाताओं के बारे में प्रशासन ने नहीं सोचा। कुछेक स्कूल में पानी की टंकियां थी, वहां दोपहर 12 बजे तक जैसे-तैसे काम चलता रहा, लेकिन ज्यो-ज्यो गर्मी बढ़ी, लोगों की प्यास भी बढ़ी और 12 बजते-बजते अधिकांश मतदान केंद्रों पर पानी के जो भी साधन थे, वो सिमट गए।
शहर में रेलवे रोड़ पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सामने गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा पानी की छबील लगाई गई थी। आयोजकों द्वारा चिलचिलाती गर्मी में लोगों को रूह आफजा का शरबत परोसा गया। चिलचिलाती गर्मी में जो भी एक गिलास पानी पीता था, जो राहगीर निहाल हो जाता था। इसी प्रकार की व्यवस्था श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में की गई थी। इसके अलावा शहर में कही भी किसी भी मतदान केंद्र के आस-पास पीने के पानी की व्यवस्था नजर नहीं आई।
फोटो कैप्शन : 12बीडब्ल्यूएन, 5 : गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा लगाई गई पानी की छबील।
Body:मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए नहीं दिखाई दी पेयजल व्यवस्था
भिवानी, 12 मई : रविवार को सुबह से शाम तक मतदाताओं ने चिलचिलाती धूप में कतारों में लग अपने-अपने मतदान केंद्रों पर लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डाली। भले ही इसके लिए उन्हे कितनी ही परेशानी क्यो न झेलनी पड़ी हो। रविवार सुबह सूर्य निकलते ही धूप अपना पैनापन दिखाने लगी थी। स्थिति यह बनी कि 9 बजे के बाद तो धूप में पांच मिनट खड़े होते ही शरीर में चुभन होने लगती थी और कंठ सूखने लगता था।
लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका निभाने वाले मतदाताओं का कंठ गीला हो जाए, इस ओर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। हां मतदान ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए पानी के कैंपर की व्यवस्था अवश्य की गई थी। लेकिन मतदाताओं के बारे में प्रशासन ने नहीं सोचा। कुछेक स्कूल में पानी की टंकियां थी, वहां दोपहर 12 बजे तक जैसे-तैसे काम चलता रहा, लेकिन ज्यो-ज्यो गर्मी बढ़ी, लोगों की प्यास भी बढ़ी और 12 बजते-बजते अधिकांश मतदान केंद्रों पर पानी के जो भी साधन थे, वो सिमट गए।
शहर में रेलवे रोड़ पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सामने गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा पानी की छबील लगाई गई थी। आयोजकों द्वारा चिलचिलाती गर्मी में लोगों को रूह आफजा का शरबत परोसा गया। चिलचिलाती गर्मी में जो भी एक गिलास पानी पीता था, जो राहगीर निहाल हो जाता था। इसी प्रकार की व्यवस्था श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में की गई थी। इसके अलावा शहर में कही भी किसी भी मतदान केंद्र के आस-पास पीने के पानी की व्यवस्था नजर नहीं आई।
फोटो कैप्शन : 12बीडब्ल्यूएन, 5 : गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा लगाई गई पानी की छबील।Conclusion:मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए नहीं दिखाई दी पेयजल व्यवस्था
भिवानी, 12 मई : रविवार को सुबह से शाम तक मतदाताओं ने चिलचिलाती धूप में कतारों में लग अपने-अपने मतदान केंद्रों पर लोकतंत्र के महापर्व में आहुति डाली। भले ही इसके लिए उन्हे कितनी ही परेशानी क्यो न झेलनी पड़ी हो। रविवार सुबह सूर्य निकलते ही धूप अपना पैनापन दिखाने लगी थी। स्थिति यह बनी कि 9 बजे के बाद तो धूप में पांच मिनट खड़े होते ही शरीर में चुभन होने लगती थी और कंठ सूखने लगता था।
लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भूमिका निभाने वाले मतदाताओं का कंठ गीला हो जाए, इस ओर प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। हां मतदान ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों के लिए पानी के कैंपर की व्यवस्था अवश्य की गई थी। लेकिन मतदाताओं के बारे में प्रशासन ने नहीं सोचा। कुछेक स्कूल में पानी की टंकियां थी, वहां दोपहर 12 बजे तक जैसे-तैसे काम चलता रहा, लेकिन ज्यो-ज्यो गर्मी बढ़ी, लोगों की प्यास भी बढ़ी और 12 बजते-बजते अधिकांश मतदान केंद्रों पर पानी के जो भी साधन थे, वो सिमट गए।
शहर में रेलवे रोड़ पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के सामने गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा पानी की छबील लगाई गई थी। आयोजकों द्वारा चिलचिलाती गर्मी में लोगों को रूह आफजा का शरबत परोसा गया। चिलचिलाती गर्मी में जो भी एक गिलास पानी पीता था, जो राहगीर निहाल हो जाता था। इसी प्रकार की व्यवस्था श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर में की गई थी। इसके अलावा शहर में कही भी किसी भी मतदान केंद्र के आस-पास पीने के पानी की व्यवस्था नजर नहीं आई।
फोटो कैप्शन : 12बीडब्ल्यूएन, 5 : गोस्वामी लालदास सेवा समिति द्वारा लगाई गई पानी की छबील।
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