चंडीगढ़: 1 नवंबर 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा नया राज्य बना था. शुरुआत में राज्य में 54 विधानसभा सीटें ही थीं. नवगठित राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 81 में से 48 सीटें जीती. पार्टी के उम्मीद के अनुसार सीटें नहीं मिली, लेकिन कांग्रेस ने बहुत कम बहुमत से राज्य में सरकार बनाई थी और कांग्रेस की तरफ से भागवत दयाल शर्मा ने मुख्यमंत्री के रूप में 10 मार्च 1967 को शपथ ली.
पहले सीएम जो चढ़ गए दलबदल की भेंट
16 सीटें जीतकर निर्दलीय विधायकों का धड़ा दूसरा सबसे बड़ा समूह था. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ को 12 सीटें, स्वतंत्र पार्टी को 3 और रिपब्लिकन पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. करीब 150 दिन ही सरकार पूरे करने वाली थी कि पार्टी के 12 विधायकों के दल-बदल के कारण सरकार गिर गई. इस तरह भगवत दयाल शर्मा हरियाणा में दल-बदल के पहले पीड़ित थे.
तीनों लाल के इर्द-गिर्द रही राजनीति!
पंडित भगवत दयाल शर्मा 1 नवंबर 1966 से लेकर 23 मार्च 1967 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे. पूर्व मुख्यमंत्री पं.भगवतदयाल शर्मा काफी मजाकिया स्वभाव के थे. हरियाणा की राजनीति के तीनों लालों भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल के साथ उनके रिश्तों में मिठास और कड़वाहट समय के साथ बदलती रहती थी. जो कि राजनीति का मूल स्वभाव ही है.
राजनीति के जानकार बताते हैं कि बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनाने में पं. भगवतदयाल शर्मा का बड़ा योगदान रहा था. हालांकि बाद में रिश्ते खराब होते गए थे, फिर भी बंसीलाल अपने तीन गुरु बताते थे- गुलजारी लाल नंदा, भगवत दयाल शर्मा और निजलिंगप्पा.
ये पढ़ें- टोहाना विधानसभा सीट: 2014 में बीजेपी को पहली बार मिली थी यहां जीत, क्या हैं इस बार समीकरण?
उनके समय में एक कहावत खूब प्रसिद्ध हुई थी. कहा जाता था कि पंडित जी कहते थे कि भई बंसी बजाकर देख ली और भजन करके भी देख लिए, अब तो देवी की पूजा करूंगा. ये बात उन दिनों की है, जब देवीलाल न्याय युद्ध छेड़ चुके थे. देवीलाल ने 'न्याय युद्ध' लोगोंवाल समझौते के खिलाफ शुरू किया था, लेकिन चुनाव आते-आते उनका देवीलाल के प्रति मोह भी भंग हो चुका था.
जन्म और गांव
भगवत दयाल शर्मा का जन्म 28 जनवरी, 1918 को हरियाणा के रोहतक जिले में बैरो में हुआ था. भगवत दयाल शर्मा ने अपनी एमए की डिग्री बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश से ग्रहण की थी. इसके बाद में डी.लिट की उपाधि महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से प्राप्त की. पंडित भगवत शतरंज खेलने में माहिर थे.
करियर
- भगवत दयाल शर्मा के कांग्रेस और कांग्रेस संगठन से बेहद अच्छे संबंध रहे. 1941-46 में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया.
- 1941 में एक वर्ष की जेल यात्रा की और फिर 1942 में साढ़े तीन वर्ष की जेल की सजा काटी.
- भगवत दयाल शर्मा 1959-61 में क्षेत्रीय भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के सेक्रेटरी और अध्यक्ष भी रहे.
- 1959-65 में वे भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे.
- 1959 में भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के सदस्य और 1960-61 में उसके संगठन सचिव रहे.
- उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया.
- 1963 और 1964-66 में भगवत दयाल शर्मा पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटीऔर 1966 में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे.
- भगवत दयाल शर्मा 1968 में हरियाणा में संयुक्त मोर्चे के नेता निर्वाचित हुए थे.
- भगवत दयाल शर्मा 1970-71 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की वकिंग कमेटी के सदस्य भी रहे.
- 1962-66 में भगवत दयाल शर्मा पंजाब विधान सभा के सदस्य तथा श्रम और सहकारिता के राज्यमंत्री रहे.
- 1966-67 में भगवत दयाल शर्मा हरियाणा राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे.
- 1968-74 तक भगवत दयाल शर्मा राज्य सभा के सदस्य रहे.
- मार्च-सितम्बर, 1977 में वे करनाल निर्वाचन क्षेत्र से छठवीं लोक सभा के सदस्य रहे.
- 23 सितम्बर, 1977 को भगवत दयाल शर्मा उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त किये गये.
- उड़ीसा राज्य की कई सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के सरंक्षक रहे.
- जगन्नाथ मंदिर की प्रशासनिक कमेटी से सक्रिय रूप में भी भगवत दयाल शर्मा संबद्ध रहे.
- इसके बाद भगवत दयाल शर्मा ने 30 अप्रैल, 1980 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पद ग्रहण किया और इस पद वे 14 मई, 1984 तक रहे.
- 1957 और 1958 में भगवत दयाल शर्मा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (जेनेवा), स्टि्जरलैंड में भारतीय श्रमिकों का दो बार प्रतिनिधित्व करने वाले शिष्टमण्डल के सदस्य रहे.