ETV Bharat / state

किसान चुनावी राजनीति में क्यों नहीं पड़ना चाहते है? ये है बड़ी वजह - Farmer affidavit issued

किसान लगभग 8 महीने से दिल्ली के चारों ओर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन (Farmers protest Agricultural Law) कर रहे हैं. लेकिन अब उन्होंने एक शपथपत्र जारी (Farmers Issued Affidavit) किया है, जिसमें आगे की रणनीतिक झलक दिखती है.

Farmer Protest Agricultural Law
Farmer Protest Agricultural Law
author img

By

Published : Jul 31, 2021, 10:53 PM IST

चंडीगढ़ः चुनावी कौलाहल और सरकार से अपनी मांगे मनवाने की जद्दोजहद के बीच किसानों के एक फैसले ने नई चर्चा को जन्म दिया है. किसानों ने अब एक शपथपत्र जारी (Farmers Issued Affidavit) किया है, जिसमें कहा गया है कि जब तक तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन (Farmers protest Agricultural Law) का कोई हल नहीं निकल जाता तब तक कोई भी किसान नेता चुनाव नहीं लड़ेगा.

इस सबके बीच राकेश टिकैत (Rakesh Tikait Farmers leader) लखनऊ का रुख कर रहे हैं, क्योंकि 2022 में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं तो किसानों का इरादा है कि बीजेपी को उसके सबसे मजबूत किले में घेरा जाये. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किसानों को ये शपथपत्र (Farmer affidavit issued) जारी क्यों करना पड़ा? दरअसल सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी लगातार किसानों पर आरोप लगा रही थी कि ये किसान नहीं है बल्कि ये वो लोग हैं जो किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं.

इसमें गुरनाम सिंह चढ़ूनी के हालिया बयान आग में घी का काम कर रहे थे. इन्हीं बयानों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन पर पाबंदियां भी लगाई थी, लेकिन उनका गुरनाम चढ़ूनी पर कोई फर्क नहीं हुआ और उन्होंने खुलकर कहा कि किसानों को राजनीति में आना चाहिए. इसी को आधार बनाकर बीजेपी एक नैरेटिव सेट कर रही थी जिसकी काट के लिए किसान ये शपथपत्र लेकर आये हैं.

लेकिन इस सबके बीच उत्तर प्रदेश में आंदोलन को बढ़ाने और लखनऊ जाने का राकेश टिकैत का फैसला इस चुनावी मौसम में हवा का रुख किसी ओर भी ले जा सकता है. राकेश टिकैत के लखनऊ जाने के फैसले पर यूपी बीजेपी के ऑॉफिशियल ट्विटर हैंडल से एक कार्टून ट्वीट किया गया था जिस पर काफी बवाल हुआ था. उस ट्वीट में बीजेपी ने जो कार्टून शेयर किया था उसमें योगी आदित्यनाथ राकेश टिकैत को बाल से पकड़कर खींचते दिखाए गए थे. जिस पर काफी बवाल हुआ था.

ये भी पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाएगा : राकेश टिकैत

बहरहाल अब किसानों ने राजनीति वाले आरोप से बचने के लिए ये शपथपत्र दिया है, लेकिन ये देखना होगा कि उन्हें कामयाबी कितनी मिलती है. बहरहाल किसान इस चुनावी चकल्लस से फिलहाल दूर रहना चाहते हैं उनका मानना है कि अगर किसान चुनाव में उतरे तो आंदोलन को जो जनसमर्थन हासिल है वो नहीं रहेगा. और बिना जनसमर्थन के कोई भी आंदोलन सफल नहीं होता. इसीलिए किसान चुनाव लड़ने और लड़ाने दोनों से कतरा रहे हैं. और यही वजह है कि सभी से शपथपत्र लिया गय़ा है.

चंडीगढ़ः चुनावी कौलाहल और सरकार से अपनी मांगे मनवाने की जद्दोजहद के बीच किसानों के एक फैसले ने नई चर्चा को जन्म दिया है. किसानों ने अब एक शपथपत्र जारी (Farmers Issued Affidavit) किया है, जिसमें कहा गया है कि जब तक तीन कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन (Farmers protest Agricultural Law) का कोई हल नहीं निकल जाता तब तक कोई भी किसान नेता चुनाव नहीं लड़ेगा.

इस सबके बीच राकेश टिकैत (Rakesh Tikait Farmers leader) लखनऊ का रुख कर रहे हैं, क्योंकि 2022 में वहां विधानसभा चुनाव होने हैं तो किसानों का इरादा है कि बीजेपी को उसके सबसे मजबूत किले में घेरा जाये. लेकिन सवाल ये है कि आखिर किसानों को ये शपथपत्र (Farmer affidavit issued) जारी क्यों करना पड़ा? दरअसल सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी लगातार किसानों पर आरोप लगा रही थी कि ये किसान नहीं है बल्कि ये वो लोग हैं जो किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं.

इसमें गुरनाम सिंह चढ़ूनी के हालिया बयान आग में घी का काम कर रहे थे. इन्हीं बयानों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने उन पर पाबंदियां भी लगाई थी, लेकिन उनका गुरनाम चढ़ूनी पर कोई फर्क नहीं हुआ और उन्होंने खुलकर कहा कि किसानों को राजनीति में आना चाहिए. इसी को आधार बनाकर बीजेपी एक नैरेटिव सेट कर रही थी जिसकी काट के लिए किसान ये शपथपत्र लेकर आये हैं.

लेकिन इस सबके बीच उत्तर प्रदेश में आंदोलन को बढ़ाने और लखनऊ जाने का राकेश टिकैत का फैसला इस चुनावी मौसम में हवा का रुख किसी ओर भी ले जा सकता है. राकेश टिकैत के लखनऊ जाने के फैसले पर यूपी बीजेपी के ऑॉफिशियल ट्विटर हैंडल से एक कार्टून ट्वीट किया गया था जिस पर काफी बवाल हुआ था. उस ट्वीट में बीजेपी ने जो कार्टून शेयर किया था उसमें योगी आदित्यनाथ राकेश टिकैत को बाल से पकड़कर खींचते दिखाए गए थे. जिस पर काफी बवाल हुआ था.

ये भी पढ़ें- कृषि कानूनों की वापसी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाएगा : राकेश टिकैत

बहरहाल अब किसानों ने राजनीति वाले आरोप से बचने के लिए ये शपथपत्र दिया है, लेकिन ये देखना होगा कि उन्हें कामयाबी कितनी मिलती है. बहरहाल किसान इस चुनावी चकल्लस से फिलहाल दूर रहना चाहते हैं उनका मानना है कि अगर किसान चुनाव में उतरे तो आंदोलन को जो जनसमर्थन हासिल है वो नहीं रहेगा. और बिना जनसमर्थन के कोई भी आंदोलन सफल नहीं होता. इसीलिए किसान चुनाव लड़ने और लड़ाने दोनों से कतरा रहे हैं. और यही वजह है कि सभी से शपथपत्र लिया गय़ा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.