सोनीपत: बरोदा उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां चुनावी दंगल में कूद चुकी हैं. बरोदा विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है. क्या इस बार कांग्रेस अपने किले को बचा पाएगी? या बीजेपी हुड्डा के किले को भेद पाने में सफल होगी, ये तो 10 नवंबर को नतीजे आने का बाद ही साफ हो पाएगा.
बीजेपी से टिकट के दावेदार
बीजेपी के टिकट दावेदारों में सबसे ऊपर नाम ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त का है. योगेश्वर 2019 में भी बरोदा से बीजेपी के उम्मीदवार थे और दूसरे स्थान पर रहे थे.
योगेश्वर दत्ते के अलावा डॉ. कपूर नरवाल भी बीजेपी के प्रबल दावेदारों में से एक हैं. वो 2019 के चुनाव से पहले जेजेपी छोड़ कर बीजेपी में आए थे. डॉ. नरवाल इससे पहले इनेलो के टिकट पर बरोदा से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. बरोदा हलका जाट बहुल क्षेत्र है, इसलिए उन्हें टिकट मिलने की संभावना बनती है.
इसके बाद नंबर भूपेंद्र मोर का है. वो भी बीजेपी की टिकट की लाइन में हैं.
भूपेंद्र मोर के अलावा बीजेपी नेता फूल खराब भी बीजेपी के दावेदारों की लिस्ट में हैं.
जेजेपी के टिकट दावेदार
फिलहाल ये साफ नहीं हो पाया है कि टिकट बीजेपी उम्मीदवार को मिलेगा या फिर जेजेपी को. फिर भी जेजेपी के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. केसी बांगड़ और बरोदा हलका से ही जेजेपी के पूर्व प्रत्याशी भूपेंद्र मलिक का नाम भी चर्चा में हैं.
कांग्रेस से ये हैं आगे
कांग्रेस से पूर्व विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जितेंद्र उर्फ जीता हुड्डा प्रमुख दावेदार हैं.
इनके अलावा पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान भी प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. हलके में किशन सिंह सांगवान की अच्छी पकड़ रही है और अब उनके बेटे प्रदीप के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के परिवार से अच्छे संबंध हैं.
इनेलो से इन नामों पर चर्चा
इंडियन नेशनल लोकदल के बरोदा हलके के अध्यक्ष जोगेंद्र मलिक उपचुनाव में उम्मीदवार हो सकते हैं. उन्होंने 2019 का चुनाव भी लड़ा था. सुरेंद्र सिरसाढ़ भी इनेलो के प्रबल दावेदार हैं. वो गांव मुंडलाना स्थित गोशाला के प्रधान रह चुके हैं और वो पूर्व में निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं.
बरोदा सीट का इतिहास
2009 में बरोदा सीट सामान्य थी, जबकि इससे पहले ये सीट आरक्षित थी. साल 2019 के चुनाव में श्रीकृष्ण हुड्डा ने बीजेपी के उम्मीदवार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त को 4840 वोटों से हराया था. कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा इस सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि इससे पहले ये इनेलो का गढ़ माना जाता था. साल वर्ष 1977 से 2005 तक ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के प्रत्याशी ही यहां से जीतते आए थे. अगर बात बीजेपी की करें तो बरोदा में आजतक कमल का फूल नहीं खिला है, इसलिए बीजेपी इस बार इनेलो और कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने की हर मुमकिन कोशिश में जुटी है.
बरोदा विधानसभा क्षेत्र एक नजर में
- आबादी : 270548
- मतदाता : 1,78,158
- पुरुष मतदाता : 97886
- महिला मतदाता : 80,272
- बूथ : 280