जींद: हरियाणा के जींद जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में धीरे-धीरे फिर से चिकित्सकों का टोटा होने लगा है. अस्पताल से दो अहम चिकित्सकों की ट्रांसफर हो चुकी है. जबकि एक ईएनटी स्पेशलिस्ट ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है. हालांकि सुखद बात यह है कि एक आई सर्जन फिर से अस्पताल में ज्वाइन कर गई है. अगर नए चिकित्सक नागरिक अस्पताल को उपलब्ध नहीं होते हैं तो आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
अस्पताल में है कम स्टाफ: जिला मुख्यालय पर 1975 में नागरिक अस्पताल की शुरुआत हुई थी. उस समय से लेकर आजतक जिले में चिकित्सकों की कमी कभी भी दूर नहीं हुई. जींद अस्पताल की बात की जाए तो यहां 55 चिकित्सकों की आवश्यकता है. लेकिन इस समय मात्र 20 चिकित्सक नियमित तौर पर काम कर रहे हैं. अब एक गायनी चिकित्सक डॉ. रेणु तथा एक आई सर्जन डॉ. वैशाली की ट्रांसफर हो गई है. जबकि एक ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. बृजेंद्र घणघस ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है.
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित: वहीं, सर्जन डॉ. चंद्रमोहन लंबी छुट्टी पर चल रहे हैं. हालांकि एक आई सर्जन डॉ. गितांशु भिवानी से जींद आई हैं. ऐसे में चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं फिर से प्रभावित होने लगी हैं. जिला मुख्यालय पर 200 बेड का अस्पताल बना हुआ है. वहीं, सफीदों, नरवाना तथा उचाना सब डिविजन पर 100-100 बेड के अस्पताल हैं. उधर, जुलाना, पिल्लूखेड़ा, अलावा, उचाना समेत आठ स्थानों पर सीएचसी बनाई गई है. वहीं, जिले में 26 पीएचसी बनाई गई हैं और 185 हेल्थ सेंटर बनाए गए हैं. जिन पर लोगों को नजदीक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने का जिम्मा है. ऐसे में स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना चिकित्सकों के मरीजों को कैसे स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें.
हजारों की संख्या में ओपीडी: नागरिक अस्पताल में ओपीडी की बात की जाए तो प्रतिदिन 1600 तक की ओपीडी होती है. सोमवार व मंगलवार को ओपीडी की संख्या 1800 से दो हजार तक पहुंच जाती है. ऐसे में सुबह होते ही चिकित्सकों के कमरे के आगे मरीजों की लाइन लग जाती है. रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए दूर-दूर के गांवों से सिविल अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन डॉक्टरों की कमी से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
मरीजों के लिए बेड व्यवस्था: जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल के पुराने भवन में आईसीयू भी चलाया जा रहा है और एनएचएम के तहत भर्ती किए गए चिकित्सकों के सहारे आईसीयू चल रहा है. इस आईसीयू में 18 बेड हैं. जिनमें 10 बेड गंभीर मरीजों तथा चार वेंटिलेटर से मरीज को हटाने के बाद रखने के लिए होंगे. इसके अलावा, चार बेड बच्चों के लिए भी मौजूद हैं.
हद हो गई: नागरिक अस्पताल में पिछले 16 साल से किसी भी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई है. बिना रेडियोलॉजिस्ट के कारण जिले के लोगों को निजी अस्पतालों में महंगी फीस पर अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं. ऐसे में विशेषज्ञ चिकित्सकों की यहां बहुत जरूरत है.
मरीजों को परेशानी: चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होना लाजमी है. इसके अलावा, कभी वीआईपी ड्यूटी तो कहीं कोई स्वास्थ्य कैंप तो कभी दिव्यांग कैंप के लिए चिकित्सकों को जाना पड़ता है. जिससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को परेशानी होती है. मरीजों व उनके तीमारदारों को पता ही नहीं चल पाता है कि अस्पताल में उनके उपचार से संबंधित चिकित्सक है या नहीं.
शहर में स्वास्थ्य व्यवस्था: जींद में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चार अस्पताल हैं. जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आठ हैं. जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 25 है. वहीं, जिले में डॉक्टरों के स्वीकृत पद 222 हैं. जिले में तैनात डॉक्टरों के पदों की संख्या 88 है. वहीं, चिकित्सकों के खाली पद 134 है तो जनसंख्या 14 लाख के आसपास हैं.
डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला ने बताया कि विशेषज्ञों व चिकित्सकों की कमी के बावजूद भी जितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं. उनके माध्यम से चिकित्सकों द्वारा अस्पताल में उपचार की बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जाता है. स्वास्थ्य निदेशालय से समय-समय पर चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों की मांग की जाती है. अब दो चिकित्सकों का तबादला हो गया है. उन्हें रिलीव कर दिया गया है.
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