चंडीगढ़: पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर से चंडीगढ़ में पेट्रोलियम संरक्षण अभियान का आयोजन किया जा रहा है. जो 15 फरवरी तक जारी रहेगा. इस दौरान पूरे शहर में कई तरह के कार्यक्रम करवाए जाएंगे. जिसमें लोगों को इंधन को बचाने के लिए जागरुक किया जाएगा.
इस कार्यक्रम के दौरान इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के कार्यकारी निदेशक सुजॉय चौधरी ने कहा कि भारत इस समय इंधन की बड़ी मात्रा दूसरे देशों से आयात कर रहा है. जिस वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर बोझ भी बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत प्रतिवर्ष करीब 2013 मीट्रिक मिलियन टन ईंधन का इस्तेमाल कर रहा है. जिसमें से भारत सिर्फ 16% इंधन का उत्पादन कर पाता है, जबकि 84% ईंधन उसे दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है. ये बहुत बड़ी मात्रा है और इसके लिए हर साल अरबों रुपए खर्च कर दी जाते हैं. अगर भारत अपने खुद के ईंधन की उत्पादकता को बढ़ा दे तो खर्च की जा रही इस रकम में कटौती की जा सकती है.
सुजॉय चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार अब पराली को ईंधन के तौर पर विकसित करने में लगी हुई है. अभी तक पराली का कोई खास इस्तेमाल नहीं हो पाता है. पराली को किसान जला देते हैं और कई बार पराली के जलने की वजह से प्रदूषण फैलने की खबरें भी आती है, लेकिन अगर पराली को इस्तेमाल कर उससे इंधन बनाया जाए तो किसानों को भी उससे फायदा होगा और देश का काफी पैसा भी बच जाएगा.
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उन्होंने बताया कि हरियाणा के पानीपत में दो प्लांट लगाए जा रहे हैं. जो पराली को ईंधन में बदलने का काम करेंगे और ये प्लांट साल 2021 में काम करना शुरू भी कर देंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि लोगों को भी इस बारे में जागरुक होना जरूरी है. लोगों को पेट्रोल डीजल और प्राकृतिक गैस का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम इन संसाधनों को ज्यादा समय तक बचा कर रख सकें. अगर हमने आज इन्हें नहीं संभाला तो कल ये हमारे लिए नहीं बचेंगे.