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लॉकडाउन से शिक्षा क्षेत्र को किन चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना? जानिए एक्सपर्ट की राय

कोरोना से पूरी दुनिया परेशान है, वहीं इस वायरस ने देश के भविष्य को लेकर भी चिंता बढ़ा दी. आज जो हालत है उस वजह से छात्र-छात्राओं को बूरे परिणाम झेलने होंगे. इन सभी बातों को लेकर जहन में कई सवाल उठ रहे होंगे, ऐसे ही कई सवालों का जवाब पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने दिया.

education sector will face how many challenges after lock down
लॉकडाउन से शिक्षा क्षेत्र को किन चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना?
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Published : Apr 2, 2020, 7:42 PM IST

Updated : May 12, 2020, 4:06 PM IST

चंडीगढ़: अचानक दुनिया भर के सामने चुनौती बनकर उभरे कोरोना वायरस को मिटाना सभी के लिए चुनौती बना हुआ है. भारत भी लॉकडाउन के जरिए कोरोना को हराने में जुटा है. कोरोना के खिलाफ सबसे बड़े हथियार लॉकडाउन को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

हालांकि लंबे समय तक इस बन्द का असर जहां हर देखने को मिलेगा. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका असर देखने को मिलेगा! इसको लेकर हमने राजनीतिक एक्सपर्ट एवं पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर गुरमीत सिंह से कई सवालों के जवाब जाने.

देखिए एक्सपर्ट प्रो. गुरुमीत सिंह की राय

1. सवाल- जो स्थिति अभी देश में है उसे हिसाब से आप प्राथमिक, हाई, सेकेंडरी और विश्विद्यालय स्तर पर किस तरह का बदलाव देखते हैं.

जवाब- कोरोना महामारी से पूरा देश परिचित इसका शिक्षा के क्षेत्र पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा. अभी स्पष्ठ नही है कि स्तिथि कब तक सामान्य होगी. ये समय परीक्षाओं का होता है ऐसे में कई बदलाव करने पड़ेंगे. कई शिक्षण संस्थाओं ने इस स्तिथि में अपनी अप्रोच को बदला है ताकि विधियार्थियो का नुकसान न हो.

2. सवाल- जो बदलाव आप देख रहे हैं उस के हिसाब से आने वाले दिनों में आपको क्या लगता है शिक्षण संस्थानों को भी अपनी अप्प्रोच बदलने की जरूरत है.

जवाब- इसके लेकर स्कूलों , कॉलेज और यूनिवर्सिटीयो की तरफ से शिक्षकों से कहा गया है कि वो छात्रों से सम्पर्क में रहें. शिक्षक घरों से ऑनलाइन टीचिंग के माध्यमो का इस्तेमाल करें. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों से जुड़े रहने को कहा है ये बदलाव देखने को मिल रहे है. अगर ये बदलाव नही लाए जाएंगे तो शिक्षा व्यवस्था में बड़ा असर आएगा.

3. सवाल- क्या लगता है अब ऐसे हालात में सरकार या कहें सभी शिक्षा विभागों को भी अपने शिक्षा के कलेंडर बदलने पड़ेंगे. और क्या आपकी जानकारी के मुताबिक अभी तक इसको लेकर सरकरीं की और से कोई पहल हुई है.

जवाब- ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के एग्जाम अप्रैल माह में होते है. कैलेंडर में बदलाव के अभी तक कोई संकेत नही मगर निश्चित तौर पर इसमी तब्दीलियां जरूर आएंगी. यूजीसी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की आवेदन की तिथियां बढ़ा दी है. इस बार परीक्षाओं का शेड्यूल बदलेगा. हो सकता है इसबार परीक्षाओं की तिथियां बढ़ा दी जाएं, अगर ऐसा होता है तो अगले तो देरी के चलते अगले बैच में परेशानी हो सकती है.

ऐसे में प्रयास यही रहना चाहिए कि शेड्यूल कम बिगड़े क्योकि स्कूलों से कॉलेज या कॉलेज से यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को परेशानी उठानी पड़ सकती है. फिलहाल सरकारों व संस्थानों की प्रथमिकता अभी वायरस को रोकने की तरफ है इसमें कितनी देरी होगी इसपर स्पष्ठ नही कहा जा सकता.

4. सवाल- क्या ऐसी स्थिति में हर अतर के छात्रों को टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर शिक्षा दे पाना सभी के लिए सम्भव हो पायेगा. पूरे देश की स्थिति देखते हुए.

जवाब- देश मे शहरों व महानगरों में लोगो के पास और बच्चों के पास भी स्मार्ट फ़ोन है. एक बड़ी आबादी ओके पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्ट फ़ोन है और इन माध्यमो का सहारा ले सकती है, लेकिन दूर दराज के बच्चे इसमी दक्ष है और शिक्षक इसके लिए तैयार है इसपर इसकी सफलता निर्भर करेगी. क्लास रूम टीचिंग का कोई विकल्प नही होता मगर जिस तरह का समय है उसमें छात्रों का समय खराब न हो या साल खराब न हो तो जरूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

5. सवाल- क्या हमें ऐसे हालतों को देखते हुए भविष्य के लिए अपनी शिक्षा की रणनीति बदलने की जरूरत है. अगर है तो इसमें क्या क्या बदलाव करने की जरूरत है.

जवाब- अप्रत्याशित हालात पैदा हुए है ऐसे में शिक्षण संस्थानों को आगे के लिए ऐसी तैयारी करनी पड़ेगी. जिससे समय न बर्बाद हो. शिक्षकों और छात्रों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. शिक्षकों के पास बजी मैटीरियल होना चाहिए ताकि जब भी जरूरत हो उसका इस्तेमाल हो सके.

स्कूलों, कॉलेज और यूनिवर्सिटियों की तरफ से शिक्षकों से कहा गया है कि वो छात्रों से सम्पर्क में रहें और ऑनलाइन शिक्षा पद्वति के माध्यम से छात्रों का समय खराब नहीं हो, इसके लिए प्रयास किये जायें. फिलहाल आने वाले समय मे देश मे कब तक इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है इज़्पर निर्भर करेगा कि आने वाले समय मे छात्रों को कितना नुकसान शिक्षा के क्षेत्र में उठाना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें : कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए इटली की गलतियों से सबक ले भारत

चंडीगढ़: अचानक दुनिया भर के सामने चुनौती बनकर उभरे कोरोना वायरस को मिटाना सभी के लिए चुनौती बना हुआ है. भारत भी लॉकडाउन के जरिए कोरोना को हराने में जुटा है. कोरोना के खिलाफ सबसे बड़े हथियार लॉकडाउन को सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

हालांकि लंबे समय तक इस बन्द का असर जहां हर देखने को मिलेगा. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका असर देखने को मिलेगा! इसको लेकर हमने राजनीतिक एक्सपर्ट एवं पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर गुरमीत सिंह से कई सवालों के जवाब जाने.

देखिए एक्सपर्ट प्रो. गुरुमीत सिंह की राय

1. सवाल- जो स्थिति अभी देश में है उसे हिसाब से आप प्राथमिक, हाई, सेकेंडरी और विश्विद्यालय स्तर पर किस तरह का बदलाव देखते हैं.

जवाब- कोरोना महामारी से पूरा देश परिचित इसका शिक्षा के क्षेत्र पर भी बड़ा असर देखने को मिलेगा. अभी स्पष्ठ नही है कि स्तिथि कब तक सामान्य होगी. ये समय परीक्षाओं का होता है ऐसे में कई बदलाव करने पड़ेंगे. कई शिक्षण संस्थाओं ने इस स्तिथि में अपनी अप्रोच को बदला है ताकि विधियार्थियो का नुकसान न हो.

2. सवाल- जो बदलाव आप देख रहे हैं उस के हिसाब से आने वाले दिनों में आपको क्या लगता है शिक्षण संस्थानों को भी अपनी अप्प्रोच बदलने की जरूरत है.

जवाब- इसके लेकर स्कूलों , कॉलेज और यूनिवर्सिटीयो की तरफ से शिक्षकों से कहा गया है कि वो छात्रों से सम्पर्क में रहें. शिक्षक घरों से ऑनलाइन टीचिंग के माध्यमो का इस्तेमाल करें. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छात्रों से जुड़े रहने को कहा है ये बदलाव देखने को मिल रहे है. अगर ये बदलाव नही लाए जाएंगे तो शिक्षा व्यवस्था में बड़ा असर आएगा.

3. सवाल- क्या लगता है अब ऐसे हालात में सरकार या कहें सभी शिक्षा विभागों को भी अपने शिक्षा के कलेंडर बदलने पड़ेंगे. और क्या आपकी जानकारी के मुताबिक अभी तक इसको लेकर सरकरीं की और से कोई पहल हुई है.

जवाब- ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के एग्जाम अप्रैल माह में होते है. कैलेंडर में बदलाव के अभी तक कोई संकेत नही मगर निश्चित तौर पर इसमी तब्दीलियां जरूर आएंगी. यूजीसी ने प्रतियोगी परीक्षाओं की आवेदन की तिथियां बढ़ा दी है. इस बार परीक्षाओं का शेड्यूल बदलेगा. हो सकता है इसबार परीक्षाओं की तिथियां बढ़ा दी जाएं, अगर ऐसा होता है तो अगले तो देरी के चलते अगले बैच में परेशानी हो सकती है.

ऐसे में प्रयास यही रहना चाहिए कि शेड्यूल कम बिगड़े क्योकि स्कूलों से कॉलेज या कॉलेज से यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले छात्रों को परेशानी उठानी पड़ सकती है. फिलहाल सरकारों व संस्थानों की प्रथमिकता अभी वायरस को रोकने की तरफ है इसमें कितनी देरी होगी इसपर स्पष्ठ नही कहा जा सकता.

4. सवाल- क्या ऐसी स्थिति में हर अतर के छात्रों को टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर शिक्षा दे पाना सभी के लिए सम्भव हो पायेगा. पूरे देश की स्थिति देखते हुए.

जवाब- देश मे शहरों व महानगरों में लोगो के पास और बच्चों के पास भी स्मार्ट फ़ोन है. एक बड़ी आबादी ओके पास ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्ट फ़ोन है और इन माध्यमो का सहारा ले सकती है, लेकिन दूर दराज के बच्चे इसमी दक्ष है और शिक्षक इसके लिए तैयार है इसपर इसकी सफलता निर्भर करेगी. क्लास रूम टीचिंग का कोई विकल्प नही होता मगर जिस तरह का समय है उसमें छात्रों का समय खराब न हो या साल खराब न हो तो जरूर इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

5. सवाल- क्या हमें ऐसे हालतों को देखते हुए भविष्य के लिए अपनी शिक्षा की रणनीति बदलने की जरूरत है. अगर है तो इसमें क्या क्या बदलाव करने की जरूरत है.

जवाब- अप्रत्याशित हालात पैदा हुए है ऐसे में शिक्षण संस्थानों को आगे के लिए ऐसी तैयारी करनी पड़ेगी. जिससे समय न बर्बाद हो. शिक्षकों और छात्रों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए. शिक्षकों के पास बजी मैटीरियल होना चाहिए ताकि जब भी जरूरत हो उसका इस्तेमाल हो सके.

स्कूलों, कॉलेज और यूनिवर्सिटियों की तरफ से शिक्षकों से कहा गया है कि वो छात्रों से सम्पर्क में रहें और ऑनलाइन शिक्षा पद्वति के माध्यम से छात्रों का समय खराब नहीं हो, इसके लिए प्रयास किये जायें. फिलहाल आने वाले समय मे देश मे कब तक इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है इज़्पर निर्भर करेगा कि आने वाले समय मे छात्रों को कितना नुकसान शिक्षा के क्षेत्र में उठाना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें : कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए इटली की गलतियों से सबक ले भारत

Last Updated : May 12, 2020, 4:06 PM IST
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