चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने किसानों की मांग मानते हुए तीन कृषि कानून वापस (Three farm law repeal) ले लिया है. इसके बावजूद किसान आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं है, क्योंकि उनकी अभी भी सबसे बड़ी मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानून (Minimum Support Price Law) बनाया जाए. जबकि सरकार ऐसा नहीं करना चाह रही है, लेकिन किसानों की बात मानने में सरकार को परेशानी क्या है? अर्थशास्त्री डॉ. बिमल अंजुम ने इस स्थिति को काफी विस्तार से समझाने की कोशिश की है.
डॉ. बिमल अंजूम के मुताबिक सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि देश में छोटे किसानों को राहत कैसे पहुंचाई जाए और उनकी आय को कैसे बढ़ाया जाए. छोटे किसानों की हालत सबसे ज्यादा खराब है, इसलिए योजनाओं को छोटे किसानों को ध्यान में रखकर बनाया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा कि इसके लिए दो बातें देखनी जरूरी है. पहली यह कि अगर एमएसपी कानून बन जाता है एमएसपी पर फसलें कौन खरीदेगा और दूसरा हमारी कृषि व्यवस्था का ढांचा क्या है.
देश में 78 फीसदी किसानों के पास 2 एकड़ से कम जमीन: डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि देश में 78 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है. जबकि 85 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जिनके पास 5 एकड़ से कम जमीन है. अगर बड़े किसानों की बात की जाए तो वह 15 प्रतिशत ही हैं. अगर सरकार एमएसपी कानून बना भी देती है तब भी छोटे किसानों को इससे कोई फायदा नहीं होने वाला, क्योंकि वह बहुत थोड़ी सी फसल उगाते हैं. इससे सिर्फ 15 प्रतिशत बड़े किसानों को फायदा मिलेगा. इसलिए अगर कानून बनाने से छोटे किसानों की हालत नहीं सुधर सकती तो इसे बनाने का कोई फायदा नहीं.
ये पढ़ें- Farm Laws Repeal Bill : एमएसपी क्यों है जरूरी, हरियाणा के किसानों ने बताया
कोई भी देश MSP पर कानून बनाने की स्थिति में नहीं: डॉ. अंजुम ने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया का कोई भी देश एमएसपी कानून बनाने की स्थिति में नहीं है. भारत ने अंतरराष्ट्रीय समझौते पर भी हस्ताक्षर कर रखे हैं, जिसके तहत यह कहा गया है कि सभी देश किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को धीरे-धीरे खत्म करेंगे, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर सकता. भारत ने ऐसा कानून बना दिया है. ऐसे में एमएसपी को भी अकाउंट बनाना आर्थिक दृष्टि से संभव नहीं है. देश में गेहूं और चावल की प्रोडक्शन जरूरत से ज्यादा हो रही है. इस स्थिति में अगर एमएसपी कानून बन जाता है तो उन दामों पर फसल कौन खरीदेगा, क्योंकि सरकार इस स्थिति में नहीं होगी कि वह हर किसान की फसल को खरीद सके.
ये पढ़ें- सीएम खट्टर ने बताया आखिर क्यों मुश्किल है MSP पर कानून बनाना, सुनिए
डॉ. अंजुम के मुताबिक देश में 20 फीसदी जनसंख्या ऐसी है. जिन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता. अगर हम इस तरह के मुद्दों को छोड़कर सिर्फ खेती के बारे में सोचते रहेंगे तो बाकी क्षेत्रों में बुरी तरह से पिछड़ जाएंगे. ज्यादातर किसान गेहूं और चावल की खेती करते हैं. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में गन्ना बड़ी मात्रा में उगाया जाता है, जबकि देश को दालों और तिलहन की भी बराबर मात्रा में जरूरत है. किसान उनका उत्पादन उतना नहीं कर रहे हैं. अगर सरकार एमएसपी का कानून बनाती है तो सरकार यह कानून भी बनाए किस जगह पर कौन सी फसल की खेती करनी है यह सरकार निर्धारित करेगी, ताकि जरूरत के हिसाब से फसलें उगाई जा सके.
ये पढ़ें- MSP पर बीजेपी-जेजेपी की अलग राह, निशान सिंह बोले- 'एमएसपी पर ही हो फसलों की खरीद'
एमएसपी के साथ अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ पाएगी: डॉ. अंजुम के कहा कि सरकार ने पिछले 2 बजट में फूड प्रोसेसिंग को लेकर बड़ी-बड़ी योजनाएं निर्धारित की है, सिर्फ 5 प्रतिशत किसान है जो उस तरफ गए. किसान खुद की खेती में बदलाव नहीं करना चाहता. सरकार से सारी सुविधाएं चाहता है जो संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि एमएसपी कानून आने पर सरकार को यह निर्धारित करना पड़ेगा कि हर साल कितने प्रतिशत फसल का दाम बढ़ाया जाएगा और सरकार उसी दाम पर फसल को खरीदेगी. यह बात देश की अर्थव्यवस्था पर सीधा निर्भर करती है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था ऐसी नहीं है कि हम फसलों की खरीद पर पर इतना ज्यादा खर्च कर सकें. जितनी तेजी से एमएसपी हर साल बढ़ेगी, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था उतनी तेजी से नहीं बढ़ सकती. इसलिए हर साल एमएसपी बढ़ाना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होगा.
पढ़ें : देश के ज्यादातर किसान नहीं उठा पाते MSP का लाभ', किसान सभा ने बताई वजह
डॉ. अंजुम कहते हैं कि जहां तक एमएसपी की गारंटी की बात है तो सरकार 23 फसलों पर एमएसपी दे रही है. अगर किसान उन फसलों के दायरे को बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अपनी खेती में बदलाव नहीं करना चाहते तो यह संभव नहीं हो सकता. एक किसान को बिजली, खाद, फर्टिलाइजर आदि सभी चीजें सब्सिडी पर चाहिए और उसके बाद उसे एमएसपी कानून भी चाहिए. ऐसा कोई भी सरकार नहीं कर सकती और अगर ऐसा किया गया तो देश में गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी पैदा हो जाएगी. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी.
हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP