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लॉकडाउन के बाद श्राद्ध से कपड़ा व्यापारियों पर दोहरी मार, 30 फीसदी रह गई सेल

चंडीगढ़ की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट मनीमाजरा में कपड़ों का काम पूरी तरह से ठप है. जो उम्मीद व्यापारी लगाए बैठे थे वैसा काम नजर नहीं आ रहा है. इन दिनों कपड़ा व्यापारी मंदी की मार से जूझ रहे हैं.

economic crisis on Cloth merchant
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Published : Sep 16, 2020, 7:34 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना महामारी के चलते उद्योग खराब हालातों से गुजर रहे हैं. भले ही देश में अनलॉक का चौथा चरण जारी है. इसके बाद भी कपड़ा व्यापारियों के लिए कोई राहत नजर नहीं आ रही. अनलॉक के चौथे चरण में काम का इंतजार कर रहे कपड़ा व्यापारियों को ग्राहक ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहे. एक तो कोरोना महामारी और दूसरा श्राद्ध. कपड़ा व्यापारी पर ऑफ सीजन की दोहरी मार पड़ी है. जिसकी वजह से कपड़ा व्यापारियों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

कपड़ा व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सर्दियों का सीजन है. पहले ही गर्मियों के कपड़ों की बिक्री नहीं हुई. इसके बाद सर्दी के कपड़े बिकेंगे या नहीं इसका भी नहीं पता. दूसरा व्यापारियों के पास सर्दी के कपड़े खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है. श्राद्ध के समय जो काम होना चाहिए था. वो भी नहीं रहा.

लॉकडाउन के बाद श्राद्ध से कपड़ा व्यापारियों पर दोहरी मार, क्लिक कर देखें वीडियो

20 से 30 फीसदी रह गई सेल

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बाद से व्यापारी लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कुछ कपड़ा व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नवरात्रों में शायद उनका काम रफ्तार पकड़ पाए. ज्यादातर व्यापारी आर्थिक मंदी के चलते मायूस ही नजर आए. श्राद्ध के दौरान पंडितों को दान में दी जाने वाली धोती-कुर्ता की डिमांड ज्यादा रहती थी. जो अब ना के बराबर रह गई है. लॉकडाउन के बाद से इनकी सेल 20 से 30 फीसदी ही रह गई है. कर्मचारियों को वेतन भी ये व्यापारी अपनी जेब से ही दे रहे हैं.

आर्थिक संकट से जूझ रहे कपड़ा व्यापारी

सबसे बड़ी चुनौती आने वाले सर्दियों के सीजन को लेकर भी है. क्योंकि सर्दियों के सीजन को लेकर होने वाली कपड़ों की इन्वेस्टमेंट पर व्यापारी सोच समझकर निवेश करना चाह रहे हैं. व्यापारियों को डर है कि आने वाले समय में भी मार्केट अगर नहीं उठी तो बड़ा नुकसान हो सकता है. पहले 3 से 4 महीने का लॉकडाउन और अब श्राद्ध व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ रही है. जिसकी वजह से वो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

चंडीगढ़ की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट मनीमाजरा में कपड़ों का काम पूरी तरह से ठप है. जो उम्मीद व्यापारी लगाए बैठे थे वैसा काम नजर नहीं आ रहा है. व्यापारी संजय गुलाटी ने कहा कि इन दिनों खर्चा नहीं चल पा रहा है. कर्मचारियों को वेतन भी अपनी जेब से देना पड़ रहा है. अपने खर्चे नहीं निकल पाने के चलते उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है. उनके लिए राहत ये है कि दुकान अपनी है. किराए पर दुकान चला रहे अधिकतर कपड़ा व्यापारियों के लिए ये समय और भी मुश्किलों भरा है.

ये भी पढ़ें- प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा कुरुक्षेत्र का ये सरकारी स्कूल, जानें क्या है खासियत

वही दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों समेत अन्य दुकानदारों ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि वो भी इस समय को काफी मुश्किलों से काट रहे हैं. बहुत ही कम लोग खरीदारी के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं. पिछले सीजन के मुकाबले ये सीजन बेहद खराब रहा है. वहीं सभी ये भी अनुमान लगाते नजर आए कि आने वाले समय में काम जरूर खुलेगा.

चंडीगढ़: कोरोना महामारी के चलते उद्योग खराब हालातों से गुजर रहे हैं. भले ही देश में अनलॉक का चौथा चरण जारी है. इसके बाद भी कपड़ा व्यापारियों के लिए कोई राहत नजर नहीं आ रही. अनलॉक के चौथे चरण में काम का इंतजार कर रहे कपड़ा व्यापारियों को ग्राहक ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहे. एक तो कोरोना महामारी और दूसरा श्राद्ध. कपड़ा व्यापारी पर ऑफ सीजन की दोहरी मार पड़ी है. जिसकी वजह से कपड़ा व्यापारियों को घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

कपड़ा व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सर्दियों का सीजन है. पहले ही गर्मियों के कपड़ों की बिक्री नहीं हुई. इसके बाद सर्दी के कपड़े बिकेंगे या नहीं इसका भी नहीं पता. दूसरा व्यापारियों के पास सर्दी के कपड़े खरीदने के लिए भी पैसे नहीं है. श्राद्ध के समय जो काम होना चाहिए था. वो भी नहीं रहा.

लॉकडाउन के बाद श्राद्ध से कपड़ा व्यापारियों पर दोहरी मार, क्लिक कर देखें वीडियो

20 से 30 फीसदी रह गई सेल

कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बाद से व्यापारी लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. कुछ कपड़ा व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि नवरात्रों में शायद उनका काम रफ्तार पकड़ पाए. ज्यादातर व्यापारी आर्थिक मंदी के चलते मायूस ही नजर आए. श्राद्ध के दौरान पंडितों को दान में दी जाने वाली धोती-कुर्ता की डिमांड ज्यादा रहती थी. जो अब ना के बराबर रह गई है. लॉकडाउन के बाद से इनकी सेल 20 से 30 फीसदी ही रह गई है. कर्मचारियों को वेतन भी ये व्यापारी अपनी जेब से ही दे रहे हैं.

आर्थिक संकट से जूझ रहे कपड़ा व्यापारी

सबसे बड़ी चुनौती आने वाले सर्दियों के सीजन को लेकर भी है. क्योंकि सर्दियों के सीजन को लेकर होने वाली कपड़ों की इन्वेस्टमेंट पर व्यापारी सोच समझकर निवेश करना चाह रहे हैं. व्यापारियों को डर है कि आने वाले समय में भी मार्केट अगर नहीं उठी तो बड़ा नुकसान हो सकता है. पहले 3 से 4 महीने का लॉकडाउन और अब श्राद्ध व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ रही है. जिसकी वजह से वो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

चंडीगढ़ की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट मनीमाजरा में कपड़ों का काम पूरी तरह से ठप है. जो उम्मीद व्यापारी लगाए बैठे थे वैसा काम नजर नहीं आ रहा है. व्यापारी संजय गुलाटी ने कहा कि इन दिनों खर्चा नहीं चल पा रहा है. कर्मचारियों को वेतन भी अपनी जेब से देना पड़ रहा है. अपने खर्चे नहीं निकल पाने के चलते उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है. उनके लिए राहत ये है कि दुकान अपनी है. किराए पर दुकान चला रहे अधिकतर कपड़ा व्यापारियों के लिए ये समय और भी मुश्किलों भरा है.

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वही दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों समेत अन्य दुकानदारों ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि वो भी इस समय को काफी मुश्किलों से काट रहे हैं. बहुत ही कम लोग खरीदारी के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं. पिछले सीजन के मुकाबले ये सीजन बेहद खराब रहा है. वहीं सभी ये भी अनुमान लगाते नजर आए कि आने वाले समय में काम जरूर खुलेगा.

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