ETV Bharat / state

दिल्ली NCR समेत हरियाणा में भी महसूस हुए भूकंप के झटके, अफगानिस्तान रहा मुख्य केंद्र

शनिवार को दिल्ली एनसीआर समेत हरियाणा के भी कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रियेक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है.

author img

By

Published : Feb 2, 2019, 11:00 PM IST

चंडीगढ़ः शनिवार को दिल्ली एनसीआर समेत हरियाणा के भी कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रियेक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है.

इसके अलावा जम्मू कश्मीर के भी कई इलाकों में भूकंप के ये झटके महसूस किए गए हैं. बताया जा रहा है कि भूंकप का मुख्य केंद्र अफगानिस्तान रहा है.


भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने-अपने घरों से भाग निकले. हालांकि गनिमत ये रही कि अभी तक किसी जान माल का नुकसान नहीं हुआ है.

चंडीगढ़ः शनिवार को दिल्ली एनसीआर समेत हरियाणा के भी कई हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. रियेक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 मापी गई है.

इसके अलावा जम्मू कश्मीर के भी कई इलाकों में भूकंप के ये झटके महसूस किए गए हैं. बताया जा रहा है कि भूंकप का मुख्य केंद्र अफगानिस्तान रहा है.


भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपनी जान बचाने के लिए अपने-अपने घरों से भाग निकले. हालांकि गनिमत ये रही कि अभी तक किसी जान माल का नुकसान नहीं हुआ है.


02FAB_CHD_HIMALAYAN_ECOLOGY_SHOTS_BYTE





नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनआईटीटीटीआर) कैम्पस, चंडीगढ़ में हिमालयन इकोलॉजी पर चौथे इंटरनेशनल डायलॉग (अंतरराष्ट्रीय संवाद)का आयोजन किया गया, जिसमें कई जाने माने पर्यावरणविदों ने हिस्सा लिया ।

जो कि पिछले कुछ सालों में कृषि पर इसके प्रभाव और संभावित संभावनाओं के तौर पर स्पष्ट होकर सामने आ रहा है।
माननीय जस्टिस राजीव शर्मा, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ ने एक बौद्धिक स्तर पर अपने अध्यक्षीय  संबोधन में उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन की खराब होती स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘आज, हम देख रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन से पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ खास संख्या में लोग आगे नहीं आ रहे हैं। जिस तरह से हिमालय के पहाड़ों का रंग प्राचीन सफेद से भूरे रंग में बदल रहा है, उससे पर्यावरण में बदलाव स्पष्ट हो रहे हैं। जब भी हम कोई नीतिगत निर्णय लेते हैं, तो हमें भावी पीढ़ी को ध्यान में रखना चाहिए। हम अभी भी पर्यावरण को बचाने के लिए अपना दायित्व निभा सकते हैं और इसका दायित्व अगली पीढ़ी को भी सौंप सकते हैं।’’
देविंदर शर्मा, मैनेजिंग ट्रस्टी, डायलॉग हाईवे, जो हिमालय से जुड़ी अपनी जड़ों के लिए भी जाना जाता है, ने कृषि और जलवायु परिवर्तन और डायलॉग हाइवे के पीछे के इरादे के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ‘‘हिमालय दुनिया की लगभग 20 प्रतिशत आबादी का समर्थन करता है। आठ देशों की सीमाओं से लगी हिमालय पर्वत श्रृंखला दुनिया में सबसे ऊंची है। यह लगभग 4.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है और लगभग 1.5 बिलियन लोग इस पर पानी, भोजन और ऊर्जा के लिए निर्भर हैं, लेकिन इसका वर्तमान परिदृश्य खस्ताहाल में है और दिन प्रतिदिन और खराब हो रहा है।’’
उन्होंने आगे कहा कि पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र, पृथ्वी पर जमे हुए पानी की तीसरी सबसे बड़ी मात्रा का भंडार, जलवायु परिवर्तन के चलते अत्यधिक असुरक्षित है।  शर्मा ने कहा कि ‘‘अध्ययनों से पता चला है कि कम ऊंचाई वाले हिमालयी ग्लेशियर इन क्षेत्रों में पानी के जोखिम को बढ़ाने वाले बढ़ते तापमान के कारण उच्चतर गति की तुलना में तेज गति से पानी खो रहे हैं। हम सभी को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें अपनी भावी पीढ़ियों से पर्यावरण विरासत में मिला है और हमें आने वाले वर्षों के लिए उन्हें बनाए रखने की जरूरत है


बाइट - देविंदर शर्मा, मैनेजिंग ट्रस्टी, डायलॉग हाईवे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.