चंडीगढ़: हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले में एसईटी ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंपी. रिपोर्ट से अनिल विज संतुष्ट भी नजर आए. वहीं एक दिन बाद ही राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एसईटी की रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया. यहां तक कि उन्होंने अपने विभाग के सभी अधिकारियों को क्लीन चिट भी दे दी.
दुष्यंत चौटाला के इस रुख के बाद हरियाणा की गठबंधन सरकार के मतभेद एक बार फिर उजागर हुए हैं. बता दें कि, शराब घोटाले के सामने आने पर गृह मंत्री अनिल विज ने एसईटी के गठन का प्रस्ताव रखा था. तब भी अंदरखाने इस प्रस्ताव का विरोध किया गया था. इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने एसईटी के गठन को मंजूरी दे दी थी. अब एसईटी की रिपोर्ट को भी दुष्यंत चौटाला ने खारिज कर दिया है.
दुष्यंत चौटाला ने SET रिपोर्ट पर उठाए सवाल
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट में जो भी विषय उठाए गए हैं उनका संबंध पुलिस विभाग से ज्यादा है. उन्होंने रिपोर्ट में आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी पर लगाए गए आरोपों को भी खारिज करते हुए उन्हें क्लीन चिट दे दी है. उन्होंने कहा कि जब्त की गई अवैध शराब नष्ट करने का काम लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाया. साथ ही उनके साथ अधिकारियों की बैठक के दौरान डिजिटल माध्यम से की गई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में ठेके बंद करने के निर्देश दे दिए गए थे.
उन्होंने ये भी बताया कि शेखर विद्यार्थी ने पंजाब एक्साइज एक्ट की पालना करते हुए एसपी को डिस्टलरी का अवलोकन करने की अनुमति नहीं दी थी. एसईटी ने भी अपने पत्र में डिस्टलरी के नाम का जिक्र नहीं किया था. दुष्यंत चौटाला का ये बयान गृह मंत्री के दिए बयान से बिलकुल ही विपरीत खड़ा दिख रहा है.
विज और चौटाला आमने-सामने
गुरुवार को गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए. इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, लेकिन आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई.
दुष्यंत चौटाला ने पुलिस जांच पर भी खड़े किए सवाल
दुष्यंत ने ये भी कहा कि एसईटी ने डिस्टलरी से सीसीटीवी लगाने की बात कही है और ये एक्साइज पॉलिसी में पहले से मौजूद है. दुष्यंत ने रिपोर्ट के इस अंश का कोई जवाब नहीं दिया कि डिस्टलरी में सीसीटीवी कैमरे लगाए तो गए थे, लेकिन उसका नियंत्रण डिस्टलरी प्रबंधन के हाथ में था और इसकी फुटेज कभी सरकार को नहीं भेजी गई.
दुष्यंत ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट में पुलिस की जिम्मेदारियां अधिक सामने आई हैं. शराब बरामदगी के मामले में 14 एफआईआर सिर्फ ट्रक ड्राइवर पर दर्ज की गई और इसके आगे जांच नहीं की गई. इसके पीछे कौन खड़ा है ये भी सामने नहीं लाया जा सका है.
विपक्ष ने संभाला मोर्चा
गृह मंत्रालय और आबकारी एवं कराधान मंत्रालय के एसईटी की रिपोर्ट को लेकर आमने सामने खड़े होने पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि इस सरकार में सभी के विचार अलग-अलग हैं.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने जब अवैध शराब की कालाबाजारी को लेकर एसआईटी की मांग की थी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसआईटी गठित करने की बजाय एसईटी गठित कर दीय. इसके बाद एसईटी की रिपोर्ट आने पर जब गृह मंत्री अनिल विज ने उस पर संतुष्टि जाहिर की तो वहीं प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने इस रिपोर्ट को ही सिरे से खारिज कर दिया है.
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