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नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में पीजीआई में डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

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Published : Aug 3, 2019, 9:48 PM IST

देश भर में डाक्टरों ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के खिलाफ हड़ताल शुरू कर दी है. इस बिल के राज्यसभा में पेश होने के बाद डॉक्टरों के कई संगठनों ने इसका विरोध किया है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस बिल को जल्द वापस नहीं किया गया तो देश भर के सभी डाक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे.

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में डाक्टरों की पीजीआई में अनिश्चितकालीन हड़ताल

चंडीगढ़: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में देश भर के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं. इस बिल के कई प्रावधानों को लेकर डॉक्टरों के संगठनों ने आपत्ति जताई है. हालांकि इस बिल को अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है.

डॉक्टरों का कहना है कि एनएमसी बिल राष्ट्रविरोधी, स्वास्थ्य विरोधी और गरीब विरोधी है. इससे स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी. इसी कड़ी में पीजीआई के एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रेजिडेंट डॉ. उत्तम ठाकुर ने कहा कि नेशनल मेडिकल बिल के विरोध में उनकी यह हड़ताल चल रही है.

उनका कहना है कि जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी. इस हड़ताल में शामिल दूसरे डाक्टरों ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस बिल को वापस लेना चाहिए.

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वहीं डाक्टरों की इस हड़ताल के कारण पीजीआई में ओपीडी पूरी तरह से बंद रही. कोई भी सर्जरी नहीं हो पाई. ओपीडी बंद होने के कारण रोजाना आने वाले 10 हजार मरीजों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा. जिसके कारण वह काफी निराश थे.

डॉक्टर क्यों कर रहे हैं बिल का विरोध ?

भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी. अब अगर इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) ले लेगा.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे. यह आयोग स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा को देखेगा. इसके अलावा यह आयोग चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था भी देखेगा.

चंडीगढ़: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में देश भर के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं. इस बिल के कई प्रावधानों को लेकर डॉक्टरों के संगठनों ने आपत्ति जताई है. हालांकि इस बिल को अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है.

डॉक्टरों का कहना है कि एनएमसी बिल राष्ट्रविरोधी, स्वास्थ्य विरोधी और गरीब विरोधी है. इससे स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी. इसी कड़ी में पीजीआई के एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रेजिडेंट डॉ. उत्तम ठाकुर ने कहा कि नेशनल मेडिकल बिल के विरोध में उनकी यह हड़ताल चल रही है.

उनका कहना है कि जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी. इस हड़ताल में शामिल दूसरे डाक्टरों ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस बिल को वापस लेना चाहिए.

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वहीं डाक्टरों की इस हड़ताल के कारण पीजीआई में ओपीडी पूरी तरह से बंद रही. कोई भी सर्जरी नहीं हो पाई. ओपीडी बंद होने के कारण रोजाना आने वाले 10 हजार मरीजों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा. जिसके कारण वह काफी निराश थे.

डॉक्टर क्यों कर रहे हैं बिल का विरोध ?

भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी. अब अगर इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) ले लेगा.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे. यह आयोग स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा को देखेगा. इसके अलावा यह आयोग चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था भी देखेगा.

Intro:नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में डाक्टर्स की पीजीआई में अऩिश्चितकालीन हड़ताल

पीजीआई के 1300 डाक्टर रहे हड़ताल पर

ओपीडी में आने वाले मरीजों को करना पड़ा परेशानी का सामना

नहीं हुई कोई सर्जरी, वापिस लौटे मरीज




Body:पीजीआई के एसोसिएशन आफ रेजिडेंटस डाक्टर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डा. उत्तम ठाकुर ने कहा कि नेश्नल मेडिकल बिल के विरोध में उनकी यह हड़ताल है यह बिल एंटी पुअर और एंटी डाक्टर है जिसका नुक्सान डाक्टर्स के साथ साथ आम पबलिक को भी होगा इसलिए इस बिल को जब तक वापस नहीं लिया जाता उनकी यह हड़ताल अनिश्तकालीन समय तक जारी रहेगी।

इस हड़ताल में शामिल अऩ्य डाक्टरों ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस बिल को वापस लेना चाहिए।

वहीं डाक्टरों की इस हड़ताल के कारण पीजीआई में ओपीडी पूरी तरह से बंद रही । ओपीडी के अलावा कोई भी सर्जरी नहीं हो पाई। ओपीडी बंद होने के कारण वहां ऱोजाना आऩे वाले 10 हजार मरीजों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा जिसके कारण वह काफी निराश थे।

बाईट - डा. उत्तम ठाकुर, प्रेजिडेंट, रेजिटेंड डाक्टर पीजीआई


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