चंडीगढ़: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में देश भर के डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं. इस बिल के कई प्रावधानों को लेकर डॉक्टरों के संगठनों ने आपत्ति जताई है. हालांकि इस बिल को अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है.
डॉक्टरों का कहना है कि एनएमसी बिल राष्ट्रविरोधी, स्वास्थ्य विरोधी और गरीब विरोधी है. इससे स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा जाएगी. इसी कड़ी में पीजीआई के एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रेजिडेंट डॉ. उत्तम ठाकुर ने कहा कि नेशनल मेडिकल बिल के विरोध में उनकी यह हड़ताल चल रही है.
उनका कहना है कि जब तक इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी. इस हड़ताल में शामिल दूसरे डाक्टरों ने भी इस बिल का विरोध किया और कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इस बिल को वापस लेना चाहिए.
वहीं डाक्टरों की इस हड़ताल के कारण पीजीआई में ओपीडी पूरी तरह से बंद रही. कोई भी सर्जरी नहीं हो पाई. ओपीडी बंद होने के कारण रोजाना आने वाले 10 हजार मरीजों को वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा. जिसके कारण वह काफी निराश थे.
डॉक्टर क्यों कर रहे हैं बिल का विरोध ?
भारत में अब तक मेडिकल शिक्षा, मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी थी. अब अगर इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तो नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया खत्म हो जाएगी और इसकी जगह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (नेशनल मेडिकल कमीशन) ले लेगा.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग एक 25 सदस्यीय संगठन होगा जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव, आठ पदेन सदस्य और 10 अंशकालिक सदस्य शामिल होंगे. यह आयोग स्नातक और परास्नातक चिकित्सा शिक्षा को देखेगा. इसके अलावा यह आयोग चिकित्सा संस्थानों की मान्यता और डॉक्टरों के पंजीकरण की व्यवस्था भी देखेगा.