चंडीगढ़ः कोरोना के इस दौर में राजनीतिक पार्टियां बरोदा विधानसभा उपचुनाव की तैयारियों में जुटी हैं. लेकिन जेजेपी-बीजेपी गठबंधन के लिए चुनाव से पहले एक और परीक्षा है. क्योंकि दोनों ही पार्टियां बरोदा से अपना उम्मीदवार चाहती हैं. जहां बीजेपी बरोदा में अपना खोलने की कोशिश में है तो जेजेपी अपनी साख बढ़ाने की ताक में है.
क्या दिग्विजय चौटाला होंगे गठबंधन उम्मीदवार ?
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि क्योंकि दोनों पार्टियां बरोदा में चुनाव लड़ना चाहती हैं तो बहुत मुमकिन है कि कोई बीच का रास्ता तलाशा जाये. ये बीच का रास्ता होगा कि उम्मीदवार जेजेपी का हो और वो बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े. ऐसा अतीत में कई राजनीतिक गठबंधन करते भी रहे हैं. अगर ऐसा हुआ तो जेजेपी की तरफ से दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला बीजेपी के टिकट पर ताल ठोकते नजर आएंगे.
दिग्विजय चौटाला ही क्यों ?
पिछले कुछ दिनों से अजय चौटाला और दिग्विजय चौटाला की बरोदा में अचानक से दिलचस्पी बढ़ी है और कोरोना के बावजूद दोनों ने यहां के दौरे किए हैं. इसीलिए इस बात को और बल मिलता है कि अगर किसी तीसरे फॉर्मूले पर बात चली तो जेजेपी दिग्विजय चौटाला को अपने उम्मीदार के तौर पर सामने लेकर आयेगी. इससे भविष्य के भी कई रास्ते जेजेपी के लिए सुरक्षित होंगे.
बरोदा चुनाव पर किसने क्या कहा ?
कहते हैं कि राजनीति में हर बयान के कई मतलब होते हैं इसीलिए जब कुछ दिन पहले दुष्यंत चौटाला से बरोदा उपचुनाव पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि गठबंधन बैठकर तय करेगा कि कौन उम्मीदवार होगा लेकिन वो जाते-जाते ये कह गये कि 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेजेपी को बराबर वोट मिले थे. इस बयान के अपने आप में कई मायने थे.
इसके बाद बीजेपी सांसद रमेश कौशिक ने बरोदा उपचुनाव को लेकर कहा कि बीजेपी का उम्मीदवार यहां से चुनाव लड़ेगा और गठबंधन उसे सपोर्ट करेगा. जिसका जवाब अजय चौटाला ने ये कहकर दिया कि बरोदा उम्मीदवार का फैसला बीजेपी हाईकमान करेगी कोई सांसद नहीं.
कैसा है दिग्विजय चौटाला का राजनीतिक सफर
- दिग्विजय चौटाला का चुनावी सफर हार के साथ शुरू हुआ
- उन्होंने अपनी किस्मत जींद उपचुनाव में आजमाई थी
- जींद उपचुनाव में वो दूसरे नंबर पर रहे थे
- बाद में दिग्विजय ने सोनीपत से लोकसभा चुनाव भी लड़ा
- लोकसभा चुनाव में दिग्विजय अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए
- बरोदा विधानसभा सीट पर 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे
2019 में कांग्रेस के दिवंगत नेता श्रीकृष्ण हुड्डा ने 42566(34.67%) वोटों के साथ बरोदा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर बीजेपी के पहलवान योगेश्वर दत्त रहे थे जिन्हें 37726(30.73%) वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर जेजेपी के उम्मीदवार भूपिंदर थे जिन्हें 32480(26.45%) वोट मिले थे. इनेलो के उम्मीदवार जोगिंदर को यहां मात्र 3145(2.56%) वोट मिले थे.
बरोदा विधानसभा सीट को जानिए
⦁ बरोदा विधानसभा में कुल 177994 वोटर हैं
⦁ यहां 98580 पुरूष और 79414 महिला वोटर हैं
⦁ बरोदा विधानसभा में 1836 सर्विस वोटर भी हैं
⦁ बरोदा विधानसभा में 19.54 फीसदी अनुसूचित आबादी है
⦁ 2019 में बरोदा विधानसभा पर 68% मतदान हुआ था
⦁ यहां का लिंगानुपात 806 है
बरोदा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
इस सीट पर हमेशा इनेलो और कांग्रेस की टक्कर रही है. यहां बीजेपी एक बार भी नहीं जीत पाई है. अगर 2019 से पहले दो चुनाव की बात करें तो 2014 में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने इनेलो उम्मीदवार को 5183 वोटों से हराया था जबकि 2009 में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने ही इनेलो उम्मीदवार को हराया था. 2019 में भी कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ही यहां से जीते लेकिन इस बार दूसरे नंबर पर इनेलो नहीं बल्कि बीजेपी उम्मीदवार रहे लेकिन श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के बाद अब यहां उपचुनाव होने हैं जिसे लेकर ये तामाम खींचतान चल रही है.
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