चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के डिजिटलाइजेशन का का रास्ता साफ हो गया है. करीब 8 महीने बाद सदन की कार्यवाही, सचिवालय का कामकाज और पुस्तकालय समिति की पूरी कार्यप्रणाली में कहीं भी कागज का इस्तेमाल नहीं होगा. इसको लेकर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने विधानसभा में दो प्रमुख कमेटियों की संयुक्त बैठक की.
एक कमेटी में विधायक जबकि दूसरी कमेटी में प्रदेश सरकार के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे. विधानसभा स्पीकर ने कहा कि इस योजना के तहत विधानसभा सचिवालय अगले 15 दिन में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय और हरियाणा सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करेगा.
डिजिटलाइजेशन में 19 करोड़ रुपये का खर्च आएगा
ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा के कामकाज को कागज रहित बनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है. इस परियोजना पर करीब 19 करोड़ रुपये की लागत आएगी. जिसमें 60 फीसदी खर्च केंद्र सरकार और 40 फीसदी खर्च का वहन प्रदेश सरकार की ओर से किया जाएगा. विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि प्रशिक्षण की रूपरेखा शीर्ष कमेटी तय करेगी.
विधानसभा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने बताया कि परियोजना का संचालन केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय करेगा. उन्होंने कहा कि विधानसभा का डिजिटलाइजेशन होने के बाद ना सिर्फ सदन की कार्यवाही की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि सरकार के विभागों के साथ सूचना और दस्तावेजों का आदान-प्रदान भी दक्षता पूर्वक बढ़ेगा.
3 साल तक होगा प्रशिक्षण
विधानसभा स्पीकर ने कहा कि नई परियोजनाओं के तहत कामकाज में निपुण बनाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी निक्सी यहां 3 साल तक प्रशिक्षण देगी. इस काम के लिए चंडीगढ़ में ही एजेंसी का कार्यालय स्थापित होगा. डिजिटल प्रणाली को समझने के लिए विधानसभा की कमेटी जल्द ही राज्यसभा का दौरा करेगी.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस कमेटी को हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश की विधानसभा की कार्यप्रणाली का भी अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि इन दोनों ही प्रदेशों में डिजिटलाइजेशन हो चुका है.
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