चंडीगढ़: प्रदेश में घटते जल स्तर को लेकर विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आने की स्थिति में है. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, यह मुद्दा और बढ़ रहा है.
हकीकत यह है कि जल संरक्षण के लिए प्रदेश में सरकारों ने कभी गंभीरता से प्रयास नहीं किए. अब पिछले कुछ दिनों से लोगों को जागरुक करने से लेकर यात्रा तक शुरू की जा रही है. यह जागरूकता अभियान भी तब चलाए जा रहे हैं जब पीएम मोदी ने जल संरक्षण के लिए पहल की और एनजीटी ने तालाबों, झीलों की प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी.
तालाबों को अस्तित्व में लाने का कार्य शुरू
एनजीटी में मामला पहुंचने के बाद प्रदेश में करीब 16 हजार तालाबों को फिर से अस्तित्व में लाने का अब प्रयास शुरू हो रहा है. क्योंकि सरकार को दिसंबर में एनजीटी को जवाब देना है.
जल संचयन को मिले थे 1009 करोड़
हरियाण सरकार को केंद्र की ओर से जल संजयन करने के लिए पिछले साढ़े तीन सालों में 1009 करोड़ रुपये मिले हैं. ये राशि कहां और कैसे खर्च हुई है यह तो सरकार ही जानती है.
बढ़ने की वजह घटा जलस्तर
केंद्र की करोड़ों की मदद के बाद भी पिछले पांच साल में प्रदेश के अंदर जलस्तर बढ़ने की वजह 2.20 घट चुका है.
प्रदेश के अंदर कुछ ब्लॉकों में भूमिगत जलस्तर स्थिति बहुत बुरी है.
भूमिगत जलस्तर की सबसे बुरी स्थिति महेंद्रगढ़ की है. महेंद्रगढ़ में 48.54 मीटर तक पानी जमीन में नीचे जा चुका है. वहीं फतेहाबाद में भी 6.17 मीटर नीचे चला गया है.
हरियाणा में वर्ष 2014 से जून 2018 तक औसतन भूमिगत जलस्तर 17.37 से 19.57 मीटर नीचे की ओर बढ़ गया है. पानी का लगातार दोहन होता रहा तो हालात बिगड़ भी सकते हैं. क्योंकि हरियाणा को फिलहाल 35 एमएएफ पानी की जरूरत है.
दूषित पानी पीने से 100 से ज्यदा मौत
- प्रदेश के लोग दूषित पानी पीने को मजबूत हैं, जिससे डायरिया जैसी बीमारी फैल रही है.
- साल 2016 में प्रदेश में 2 लाख 24 हजार 780 लोग बीमार हुए थे. जिनमें 14 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
- साल 2017 में 2 लाख 36 हजार 752 बीमार लोगों में से 20 लोगों की मौत हो गई.
- साल 2018 में 2 लाख 19 हजार 415 लोगों में से 55 की मौत हो गई.