नई दिल्ली/चंडीगढ़: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला कथित भाषण देने देने के मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को खारिज कर दिया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने कहा कि वीडियो चंडीगढ़ का है जो कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है.
कोर्ट ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाख खट्टर ने 3 अक्टूबर 2021 को चंडीगढ़ में अपने आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. कोर्ट ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत कोई कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार से बाहर की पुलिस को निर्देश नहीं दे सकती है. कोर्ट केवल अपने क्षेत्राधिकार के घटित संज्ञेय अपराध की जांच का आदेश दे सकती है.
6 दिसंबर 2021 को दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ हिंसा भड़काने वाला कथित भाषण देने के मामले में मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है. स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि खट्टर का वीडियो चंडीगढ़ में रिकार्ड किया गया है जो दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र के बाहर है.
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें मनोहर लाल खट्टर अपने चंडीगढ़ निवास पर बीजेपी किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं के साथ अपने निवास पर बैठक कर रहे हैं. उस बैठक में खट्टर हिंसा भड़काने वाला भाषण दे रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि बैठक में खट्टर कह रहे हैं कि वालंटियर तैयार करो और दो से छह महीने तक जेल जाने से मत डरो. भाषण में खट्टर कह रहे हैं कि आप बैठकों में ज्यादा कुछ नहीं सीखेंगे, लेकिन जेल में जाने के बाद आप बड़े नेता हो जाएंगे और इतिहास में आपका नाम दर्ज होगा.
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याचिका में कहा गया था कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को समाज में वैमनस्य , घृणा और हिंसा पैदा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। याचिका में खट्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 153, 153ए और 505 के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी.
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