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सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में रखा हरियाणा में पंचायतों के अधिकारों में कटौती का मुद्दा, फैसले को वापस लेने की मांग - हरियाणा में सरपंचों का प्रदर्शन

हरियाणा में सरपंचों का प्रदर्शन जारी है. वहीं, अब राज्यसभा सांसद दिपेंद्र हुड्डा ने सरपंचों के अधिकारों का मुद्दा राज्यसभा में (Deepender Hooda on rights of Panchayats in Haryana) उठया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से इस महत्वपूर्ण विषय का संज्ञान ले और हरियाणा सरकार इस व्यवस्था को तुंरत वापस ले.

Deepender Hooda on rights of Panchayats in Haryana
सांसद दीपेंद्र हुड्डा
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Published : Feb 13, 2023, 6:56 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार के खिलाफ संरपचों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है. वहीं, अब इस मामले को राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में आज शून्य काल के दौरान हरियाणा में ग्राम पंचायतों के अधिकार में कटौती के फैसले के खिलाफ और पंचायतों के अधिकार बढ़ाने की मांग को रखा. उन्होंने कहा कि केवल 2 लाख तक के कार्यों की अनुमति से गांवों का विकास कैसे होगा. दीपेंद्र हुड्डा ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण विषय का संज्ञान लेकर जनता द्वारा चुने गये सरपंचों के अधिकार और उनके मान-सम्मान की रक्षा की जाए. साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा लागू की गई इस एकतरफा व्यवस्था को तुरंत वापस लिया जाए.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे हरियाणा में सरपंचों को सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है. सरपंच पहले अपने स्तर पर गांव के लिए 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करवा सकते थे, लेकिन नयी व्यवस्था में ग्राम पंचायत अब सिर्फ 2 लाख रुपये तक के ही विकास कार्य करवा सकेगी. मौजूदा सरकार ने हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 में कई संशोधन करके पंचायतों के अधिकार कम कर दिए हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पंचायतों को अधिकार ही नहीं देने थे तो चुनाव क्यों कराया गया? दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पूर्व की हुड्डा सरकार के समय पंचायतों को करोड़ों की ग्रांट दी जाती थी, जिससे गांवों में विकास कार्यों की अलग ही चमक दिखायी देती थी.

दीपेंद्र हुड्डा ने अपने नोटिस में कहा कि 73वें संविधान संशोधन के जरिए भारत के संविधान ने देश की पंचायतों को विकास करने के अधिकार दिये और समय-समय पर सरकारों ने इस व्यवस्था को मजबूत बनाया. पंचायती राज में चुनाव के जरिए जनता पंचायत व सरपंचों को चुनकर भेजती है. लेकिन, हरियाणा सरकार ने चुनी हुई ग्राम पंचायतों के अधिकार में कटौती कर दी है. इससे पंचायतें अपने स्तर पर गली-नाली तक नहीं बनवा पाएंगी, जिससे गांव का विकास पूरी तरह ठप हो जाएगा. ऐसा करके हरियाणा सरकार जनता द्वारा चुने हुए सरपंचों से गांव में विकास कार्य करवाने का अधिकार ही नहीं छीन रही, बल्कि उन्हें अफसरशाही के अधीन करना चाहती है.

ये भी पढ़ें: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में दिया नोटिस, हरियाणा में OBC क्रीमी लेयर की आय सीमा 8 लाख करने की मांग

चंडीगढ़: हरियाणा में सरकार के खिलाफ संरपचों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी है. वहीं, अब इस मामले को राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में आज शून्य काल के दौरान हरियाणा में ग्राम पंचायतों के अधिकार में कटौती के फैसले के खिलाफ और पंचायतों के अधिकार बढ़ाने की मांग को रखा. उन्होंने कहा कि केवल 2 लाख तक के कार्यों की अनुमति से गांवों का विकास कैसे होगा. दीपेंद्र हुड्डा ने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस महत्वपूर्ण विषय का संज्ञान लेकर जनता द्वारा चुने गये सरपंचों के अधिकार और उनके मान-सम्मान की रक्षा की जाए. साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा लागू की गई इस एकतरफा व्यवस्था को तुरंत वापस लिया जाए.

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे हरियाणा में सरपंचों को सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करना पड़ रहा है. सरपंच पहले अपने स्तर पर गांव के लिए 20 लाख रुपये तक के विकास कार्य करवा सकते थे, लेकिन नयी व्यवस्था में ग्राम पंचायत अब सिर्फ 2 लाख रुपये तक के ही विकास कार्य करवा सकेगी. मौजूदा सरकार ने हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 में कई संशोधन करके पंचायतों के अधिकार कम कर दिए हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पंचायतों को अधिकार ही नहीं देने थे तो चुनाव क्यों कराया गया? दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पूर्व की हुड्डा सरकार के समय पंचायतों को करोड़ों की ग्रांट दी जाती थी, जिससे गांवों में विकास कार्यों की अलग ही चमक दिखायी देती थी.

दीपेंद्र हुड्डा ने अपने नोटिस में कहा कि 73वें संविधान संशोधन के जरिए भारत के संविधान ने देश की पंचायतों को विकास करने के अधिकार दिये और समय-समय पर सरकारों ने इस व्यवस्था को मजबूत बनाया. पंचायती राज में चुनाव के जरिए जनता पंचायत व सरपंचों को चुनकर भेजती है. लेकिन, हरियाणा सरकार ने चुनी हुई ग्राम पंचायतों के अधिकार में कटौती कर दी है. इससे पंचायतें अपने स्तर पर गली-नाली तक नहीं बनवा पाएंगी, जिससे गांव का विकास पूरी तरह ठप हो जाएगा. ऐसा करके हरियाणा सरकार जनता द्वारा चुने हुए सरपंचों से गांव में विकास कार्य करवाने का अधिकार ही नहीं छीन रही, बल्कि उन्हें अफसरशाही के अधीन करना चाहती है.

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