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गाय के गोबर से बने दीए और गणेश जी की मूर्ति से मनाएं खुशियों वाली दीवाली, देखें वीडियो - गाय के गोबर की मूर्ति चंडीगढ़

चंडीगढ़ में दीवाली के त्यौहार पर गणेश जी की मूर्तियां और दीए गाय के गोबर से बनाए जा रहे हैं. किसी प्रकार का प्रदूषण न हो इसके लिए गौरीशंकर गो सेवादल ने ये पहल की है.

Cow dung lamps in chandigarh
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Published : Oct 24, 2019, 7:24 PM IST

चंडीगढ़: दिवाली के त्यौहार को लेकर देशभर में तैयारियां तेज हो गई हैं. लोग अपने-अपने घरों की सफाई कर रहे हैं. त्यौहार के चलते बाजारों में रौनक भी बढ़ गई है. बाजार में रंग बिरंगे दीए, दीपक और मोमबत्तियां सजने लगी हैं. चंडीगढ़ में दीवाली के दियों को एक अलग ही पहचान दी जा रही है. यहां दीए और भगवान गणेश की मूर्तियां गाय के गोबर से बनाई जा रही हैं.

चंडीगढ़ में गोबर की मूर्तियां

गाय के गोबर से दीए, गणेश जी की मूर्ति और दीवाली में प्रयोग होने वाली कई चीजें बनाई जा रही हैं. इन दीयों को बनाने में जो गाय का गोबर इस्तेमाल हो रहा है, उसमें हवन सामग्री, पीली सरसों, जटा मासी आदि चीजें मिलाई जा रही हैं. जब इस दीए को जलाया जाएगा तो इससे हवा साफ होगी. इसके साथ ही दीया भी पूरी तरह से जल जाएगा. दीया जलने के बाद जो राख बनेगी उसका प्रयोग लोग पौधे लगाने में कर सकते हैं.

गाय के गोबर से बने दीए और गणेश जी की मूर्ति से मनाएं खुशियों वाली दीवाली, देखें वीडियो

चंडीगढ़ में गोबर के दीए

वहीं गौशाला प्रबंधन इन दियों और मूर्तियों के जरिए लोगों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार कर रहा है, ताकि लोगों को गाय के महत्व को समझाया जा सके. गाय का गोबर भी गाय के दूध के समान ही लाभकारी है. इसके अलावा भगवान गणेश की जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं, उसके सांचे खास तौर पर गुजरात से मंगाए गए हैं.

ये भी पढ़ें:-मद्धम हो गई मिट्टी के दीयों की चमक, फीकी हो गई कुम्हारों की दिवाली

गाय के गोबर से बने दिवाली के सामान

गौरीशंकर गो सेवादल गौशाला में कुल 900 गाय हैं. जिनका 1 महीने का खर्चा 15 से 20 लाख रुपये तक होता है. यह गौशाला गाय के गोबर और मूत्र से अर्क बनाती है और सभी वस्तुएं लोगों को फ्री वितरित की जाती हैं. साथ ही ये गौशाला पूरी तरह से लोगों के दिए दान पर चलती है.

चंडीगढ़: दिवाली के त्यौहार को लेकर देशभर में तैयारियां तेज हो गई हैं. लोग अपने-अपने घरों की सफाई कर रहे हैं. त्यौहार के चलते बाजारों में रौनक भी बढ़ गई है. बाजार में रंग बिरंगे दीए, दीपक और मोमबत्तियां सजने लगी हैं. चंडीगढ़ में दीवाली के दियों को एक अलग ही पहचान दी जा रही है. यहां दीए और भगवान गणेश की मूर्तियां गाय के गोबर से बनाई जा रही हैं.

चंडीगढ़ में गोबर की मूर्तियां

गाय के गोबर से दीए, गणेश जी की मूर्ति और दीवाली में प्रयोग होने वाली कई चीजें बनाई जा रही हैं. इन दीयों को बनाने में जो गाय का गोबर इस्तेमाल हो रहा है, उसमें हवन सामग्री, पीली सरसों, जटा मासी आदि चीजें मिलाई जा रही हैं. जब इस दीए को जलाया जाएगा तो इससे हवा साफ होगी. इसके साथ ही दीया भी पूरी तरह से जल जाएगा. दीया जलने के बाद जो राख बनेगी उसका प्रयोग लोग पौधे लगाने में कर सकते हैं.

गाय के गोबर से बने दीए और गणेश जी की मूर्ति से मनाएं खुशियों वाली दीवाली, देखें वीडियो

चंडीगढ़ में गोबर के दीए

वहीं गौशाला प्रबंधन इन दियों और मूर्तियों के जरिए लोगों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार कर रहा है, ताकि लोगों को गाय के महत्व को समझाया जा सके. गाय का गोबर भी गाय के दूध के समान ही लाभकारी है. इसके अलावा भगवान गणेश की जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं, उसके सांचे खास तौर पर गुजरात से मंगाए गए हैं.

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गाय के गोबर से बने दिवाली के सामान

गौरीशंकर गो सेवादल गौशाला में कुल 900 गाय हैं. जिनका 1 महीने का खर्चा 15 से 20 लाख रुपये तक होता है. यह गौशाला गाय के गोबर और मूत्र से अर्क बनाती है और सभी वस्तुएं लोगों को फ्री वितरित की जाती हैं. साथ ही ये गौशाला पूरी तरह से लोगों के दिए दान पर चलती है.

Intro:चंडीगढ़ में इस बार दिवाली के लिए गोबर के लिए बनाए जा रहे हैं यह दिए सेक्टर 45 की गौरीशंकर सेवा दल गौशाला में बनाए जा रहे हैं। इंडिया में कुछ जड़ी बूटियों को भी मिलाया जा रहा है इसके अलावा यहां पर भगवान गणेश की गोबर की मूर्तियां बनाई जा रही है इन दियों और मूर्तियों को लोगों में निशुल्क बांटा जाएगा।


Body:दिवाली के त्यौहार में दिए खास अहमियत रखते हैं और इसी अमित को देखते हुए चंडीगढ़ में कुछ अलग तरह के लिए बनाए जा रहे हैं ।यहां पर खासतौर से गाय के गोबर के लिए बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा यहां पर गाय के गोबर से ही भगवान गणेश की मूर्तियां भी बनाई जा रही है।

इसके बारे में बात करते हुए गौरीशंकर सेवादल के अध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया की गाय के गोबर के लिए हवा को साफ करते हैं। इन दीयों में पीली सरसों जटा मासी और गूगल जैसी हवन सामग्री को मिलाया गया है। जो जलने पर हवा को शुद्ध करते हैं ।इसके अलावा यह दिए जो पूरी तरह जल जाते हैं तो इनकी राख बन जाती है । उस राख को पौधों में डालने के काम में लाया जा सकता है।
वही गौशाला प्रबंधन इन दियों और मूर्तियों के जरिए लोगों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार भी कर रहा है ताकि लोगों को गाय माता के महत्व को समझाया जा सके। गाय माता का गोबर भी गाय के दूध के समान ही लाभकारी है और हमें इसे जीवन में इस्तेमाल करना चाहिए।
विनोद ने बताया कि हमने यह दी है पिछले साल बनाने शुरू किए थे इस साल अभी तक हमने करीब 20 हजार दिए बना लिए हैं और दिवाली तक 25हजार दिए बना लिए जाएंगे। इसके अलावा भगवान गणेश की जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं उसके सांचे भी खास तौर पर गुजरात से मंगाए गए हैं

इस गौशाला में कुल 900 गाय हैं जिनका 1 महीने का खर्चा 15 से 20 लाख रुपए तक होता है । यह गौशाला गाय के गोबर और गाय के मूत्र से अर्क बनाती है और यह सभी वस्तुओं लोगों को निशुल्क वितरित की जाती हैं। यह गौशाला पूरी तरह लोगों के लिए दान पर चलती है।

बाइट- विनोद कुमार, अध्यक्ष, गौरीशंकर सेवादल गौशाला




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