चंडीगढ़: दिवाली के त्यौहार को लेकर देशभर में तैयारियां तेज हो गई हैं. लोग अपने-अपने घरों की सफाई कर रहे हैं. त्यौहार के चलते बाजारों में रौनक भी बढ़ गई है. बाजार में रंग बिरंगे दीए, दीपक और मोमबत्तियां सजने लगी हैं. चंडीगढ़ में दीवाली के दियों को एक अलग ही पहचान दी जा रही है. यहां दीए और भगवान गणेश की मूर्तियां गाय के गोबर से बनाई जा रही हैं.
चंडीगढ़ में गोबर की मूर्तियां
गाय के गोबर से दीए, गणेश जी की मूर्ति और दीवाली में प्रयोग होने वाली कई चीजें बनाई जा रही हैं. इन दीयों को बनाने में जो गाय का गोबर इस्तेमाल हो रहा है, उसमें हवन सामग्री, पीली सरसों, जटा मासी आदि चीजें मिलाई जा रही हैं. जब इस दीए को जलाया जाएगा तो इससे हवा साफ होगी. इसके साथ ही दीया भी पूरी तरह से जल जाएगा. दीया जलने के बाद जो राख बनेगी उसका प्रयोग लोग पौधे लगाने में कर सकते हैं.
चंडीगढ़ में गोबर के दीए
वहीं गौशाला प्रबंधन इन दियों और मूर्तियों के जरिए लोगों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रचार कर रहा है, ताकि लोगों को गाय के महत्व को समझाया जा सके. गाय का गोबर भी गाय के दूध के समान ही लाभकारी है. इसके अलावा भगवान गणेश की जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं, उसके सांचे खास तौर पर गुजरात से मंगाए गए हैं.
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गाय के गोबर से बने दिवाली के सामान
गौरीशंकर गो सेवादल गौशाला में कुल 900 गाय हैं. जिनका 1 महीने का खर्चा 15 से 20 लाख रुपये तक होता है. यह गौशाला गाय के गोबर और मूत्र से अर्क बनाती है और सभी वस्तुएं लोगों को फ्री वितरित की जाती हैं. साथ ही ये गौशाला पूरी तरह से लोगों के दिए दान पर चलती है.