चंडीगढ़: देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. इस लहर में संक्रमण की फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की रफ्तार भी तेजी से बढ़ी है. विशेषज्ञों के मुताबिक, दूसरी लहर यानी कोरोना संक्रमण का नया स्ट्रेन 7 दिन में ही फेफड़ों को 50-70% संक्रमित कर देता है. जबकि पहली लहर में इसमें करीब 14 दिन का वक्त लगता था. अब देखा जा रहा है कि 7 तीन दिन में ही वायरस फेफड़ों तक पहुंचकर क्षतिग्रस्त कर रहा है. इस वजह से मौतों की संख्या भी बढ़ रही है.
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एक मरीज को कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने में दो से तीन दिन लग जाते हैं. एंटीजन टेस्ट, RT-PCR या सीटी स्कैन की रिपोर्ट आने में 24 से 36 घंटे लग जाते हैं. तब तक तो संक्रमण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा देता है और 50-70% तक पहुंच जाता है. पल्मोनोलॉजिस्ट के मुताबिक, 20 साल तक रोज 2-3 सिगरेट पीने पर जितना नुकसान होता है, उतना 2-3 दिन में ही पहुंच रहा है. इसको लेकर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने जाने-माने पल्मनोलॉजिस्ट डॉक्टर एसके जिंदल से बातचीत की.
डॉ. एसके जिंदल ने कहा कि इस समय दुनिया में कोरोनावायरस के सैकड़ों स्ट्रेन मौजूद हैं लेकिन कुछ स्ट्रेन ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं जैसे- यूके स्ट्रेन, ब्राजीलियंस स्ट्रेन, अफ्रीकन स्ट्रेन, लेकिन यूके स्ट्रेन सबसे ज्यादा घातक सिद्ध हो रहा है.
फेफड़ों को पहुंचाता है दोगुना नुकसान
कोरोना का यूके स्ट्रेन तेजी से अपनी रचना को बदल रहा है. जब तक रोग प्रतिरोधक क्षमता इस स्ट्रेन को खत्म करने के लिए खुद को तैयार करती है. तब तक ये अपने स्वरूप को बदल देता है. जिससे एंटीबॉडी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे खत्म नहीं कर पाती. पुराना वायरस अगर 14 दिनों में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता था तो ये वायरस 7 दिनों में ही उससे दोगुना नुकसान पहुंचा देता.
टेस्ट में रिपोर्ट नेगेटिव आने की कई वजह
डॉक्टर एसके जिंदल ने कहा कि कई मरीजों में नए स्ट्रेन की वजह से कोरोना के लक्षण देखे जा रहे हैं और वो कोरोना पॉज़िटिव भी है. लेकिन टेस्ट में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है. जिसके अन्य भी कई कारण है. जैसे- अगर टेस्ट सही तरीके से ना किया गया हो तब भी रिपोर्ट नेगेटिव आती है या अगर टेस्ट शुरुआती दिनों में किया गया हो तब भी रिपोर्ट नेगेटिव आ सकती है. अगर किसी परिवार के एक सदस्य की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो हम परिवार के बाकी सदस्यों की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी पॉजिटिव मान के चलते हैं . इसलिए उन्हें भी क्वारंटाइन किया जाता है.
'गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना ही बचाव है'
नया वायरस ज्यादा तेजी से फैलता है और फेफड़ों को नुकसान भी ज्यादा पहुंचाता है. इससे बचने के लिए कोई ठोस उपाय तो नहीं है, लेकिन निर्देशों का गंभीरता से पालन किया जाए, मास्क पहना जाए, सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाए और अपनी इम्यूनिटी को बेहतर किया जाए तो इस से बचा जा सकता है.
एंटीजन और पीसीआर में कौन सी टेस्टिंग तकनीक बेहतर
करोना टेस्टिंग की तकनीकों के बारे में बात करते हुए डॉक्टर जिंदल ने कहा कि दोनों तकनीकों में आरटीपीसीआर ज्यादा विश्वसनीय है. क्योंकि एंटीजन रैपिड टेस्टिंग टेक्निक है. इसलिए कई बार इससे सही परिणाम नहीं मिल पाते इसलिए सही रिजल्ट के लिए आरटी-पीसीआर ही सही तकनीक है. एंटीजन तकनीक से अंदाजा लग जाता है कि व्यक्ति पॉजिटिव है, लेकिन आरटी पीसीआर टेक्निक ज्यादा अविश्वसनीय है. लेकिन नया स्ट्रेन आने के बाद करीब 20 फीसदी मामले एसिडिटी जा रहे हैं, जिनमें आरटीपीसीआर भी सही परिणाम नहीं दे पाती.
चंडीगढ़ में मिले थे 681 एच म्यूटेंट संक्रमित मरीज
हाल ही में चंडीगढ़ पीजीआई की ओर से भेजे गए सैंपल्स में से 70 फीसदी सैंपल्स में कोरोना का नया स्ट्रेन पाया गया है. पीजीआई की ओर से मार्च महीने में 60 सैंपल्स को दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) लैब में भेजा गया था, इन सैंपल्स में से ज्दातर सैंपल चंडीगढ़ के रहने वाले लोगों के थे. भेजे गए सैंपल्स में सिर्फ 20 फीसदी में कोविड के 681 एच म्यूटेंट की पुष्टि हुई है, बाकी सैंपल में डब्ल म्यूटेंट की पुष्टि हुई है. कोरोना की दूसरी लहर में मामलों के तेजी से बढ़ने के पीछे नया स्ट्रेन हो सकता है.