चंडीगढ़: कोरोना वायरस के बाद अब ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है. हरियाणा सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया गया है, लेकिन अब ब्लैक फंगस के अलावा सफेद और पीले फंगस का खतरा भी मंडरा रहा है. आखिर ये फंगस की बीमारियां क्यों फैल रही हैं? इसके पीछे मुख्य वजह क्या है? इसको लेकर ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित डॉक्टर दिगंबर बहरा से खास बातचीत की.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉक्टर दिगंबर ने कहा कि ब्लैक फंगस के फैलने की कई वजह है. नई स्टडी के अनुसार जिन मरीजों को इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन दी गई. उनमें ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मेडिकल ऑक्सीजन और इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन में काफी फर्क होता है. इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन को साफ करने के बाद उसे मेडिकल इस्तेमाल में लाया जा रहा है. लेकिन वो पूरी तरह से साफ नहीं हो रही. अगर लोगों के शरीर में शुद्ध ऑक्सीजन नहीं जाएगी तो उनमें ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाएगा.
मरीज को घर में ऑक्सीजन देने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
इसके अलावा जिस मरीज के नाक या मुंह में ऑक्सीजन की पाइप लगाई जाती है. अगर वो सही तरीके से नहीं लगाई जाए. तब भी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि कई बार पाइप शरीर के अंदरूनी हिस्से में छोटे-छोटे जख्म बना देती है और वो जख्म बाद में फंगस बन जाते हैं. इसका अन्य कारण ये भी है कि ऑक्सीजन सिलेंडर में जो उपकरण इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर वो ठीक तरीके से साफ ना हो और उपकरणों से गंदगी व्यक्ति के शरीर में चली जाती है. इससे भी ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है.
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खासतौर पर इस वक्त बहुत से मरीज घरों में रहते हुए ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं. मरीज को ऑक्सीजन लगाने के लिए मेडिकल प्रोफेशनल की जरूरत होती है. क्योंकि इसमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जो लोग घर में इसे लगा रहे हैं वो उन सब बातों का ध्यान नहीं रख सकते. क्योंकि ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाले सभी उपकरण और पाइप लगाने से पहले साफ करने पड़ते हैं. उसके बाद ही मरीज को ऑक्सीजन लगाई जाती है. अगर ये साफ ना की जाए तो मरीज को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.
स्टेरॉइड्स का गलत इस्तेमाल
इसके अलावा स्टेरॉइड्स की वजह से भी ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं. बहुत से लोग घरों में बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉइड्स ले रहे हैं. उन्हें ये नहीं पता होता कि उन्हें स्टेरॉयड की जरूरत है या नहीं और उन्हें वो कितनी मात्रा में लेना चाहिए. इस वजह से भी ब्लैक फंगस के केस बढ़ रहे हैं.
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कोरोना से पहले भी ब्लैक फंगस के केस आते रहे हैं, उस समय उनकी संख्या कम होती थी. डॉक्टर बेहरा ने कहा कि अब सफेद रंग और पीले फंगस के केस भी देखे जा रहे हैं. इन दोनों फंगस का कारण भी गंदगी का शरीर में जाना ही है, लेकिन ये आंखों को नुकसान ना पहुंचाकर व्यक्ति के गले, फूड पाइप और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
सफेद और पीले फंगस के लक्षण
डॉक्टर ने बताया कि सफेद और पीले फंगस के लक्षण ब्लैक फंगस से अलग हैं. जैसे कि किसी मरीज का बुखार उतर जाता है और वो रिकवर कर रहा होता है, लेकिन फिर से बुखार चढ़ जाए और बार-बार बुखार आता रहे तो ये सफेद या पीले फंगस के लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा गले में दर्द होना, खांसी होना, बलगम बढ़ जाना, बलगम में खून आना, मुंह में छाले हो जाना आदि भी इसके लक्षण हैं.
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फंगस को लेकर दवाओं की कमी
डॉक्टर मेहरा ने बताया कि फंगस को लेकर बाजार में दवाओं की कमी देखी जा रही है, क्योंकि पहले फंगस के मामले कम आते थे. इसलिए ज्यादा दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती थी और अब केस एकदम से बढ़ रहे हैं तो दवाई नहीं मिल पा रही है. इसके लिए सरकार को सबसे पहले दवाओं की प्रोडक्शन बढ़ानी होगी और बाजार में होने वाली दवाओं की कालाबाजारी को भी रोकना होगा. इस समय दवाओं की कमी नहीं होनी चाहिए.