चंडीगढ़: हरियाणा सरकार की तरफ से फरवरी या मार्च के महीने में बजट पेश किया जाना है. उससे पहले राज्य सरकार ने बजट की तैयारियां अपने स्तर पर 2 महीने पहले ही शुरू कर दी हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जिनके पास वित्त विभाग भी है. वो अपना दूसरा बजट पेश करेंगे. इस बार बजट से पहले सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां रहने वाली हैं. कोरोना काल के दौरान लगाए गए लॉकडाउन में राजस्व प्राप्तियां अनुमानों के अनुसार नहीं रहीं. जिसके चलते सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां रहने वाली हैं.
वहीं ये भी देखना होगा कि इस बार कितने घाटे का बजट पेश होता है. कई क्षेत्र ऐसे रह सकते हैं जिनमें कोरोना का असर देखने को मिल सकता है. इसी के साथ जानकार मान रहे हैं कि सरकार की तरफ से पेश किए जाने वाले बजट में अपने घाटे को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से नए कर लगाए जा सकते हैं. जिसके चलते जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
सरकार के सामने बड़ी चुनौती इस बार का बजट
कोरोना काल से धीरे-धीरे सरकारी को उभरने में जुटी है, जनजीवन सामान्य तो हुआ, मगर अब पहले की तरह से पटरी पर लाने के लिए उसी तरह के प्रयास करने होंगे. हालांकि कई तरह की चुनौतियां सरकारों के सामने भी आने वाले समय में रहने वाली हैं. एक बड़ी चुनौती आने वाला बजट भी रहेगा. क्योंकि 2020-21 का जो बजट पेश किया गया था. उसके तुरंत बाद मार्च में कोरोना की दस्तक के बाद लॉकडाउन लग गया. जिससे हालात बदल गए. अर्थशात्री प्रोफेसर विमल अंजुम ने ईटीवी भारत हरियाणा से खास बातचीत में संभावना जताई कि सरकार के सामने बजट में किस तरह की चुनौती रहेगी और किन विभागों पर कैंची चल सकती है.
किन क्षेत्रों में हो सकती है कटौती?
प्रोफेसर बिमल अंजुम ने बताया कि बजट में रेवेन्यू रिसिप्ट और एक्सपेंडिचर बढ़ाने पड़ेंगे. सरकार को राजस्व प्राप्तियां हो या नहीं मगर वेलफेयर पर खर्च करना पड़ता है. सरकार को पेंशन स्कीम में पैसा देना पड़ेगा, वेलफेयर स्कीम पर खर्च करना होगा. शिक्षा पर खर्च बढेगा, क्योंकि लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद रहे हैं. स्वस्थ्य सेवाओं पर भी खर्च बढ़ेगा, क्योंकि कोरोना वैक्सीन पर काफी खर्च होगा, वहीं सोशल वेलफेयर और सोशल जस्टिस में खर्च करना होगा.
'सरकार को इस बार 40 हजार करोड़ का नुकसान'
विमल अंजुम ने कहा कि इस बार मनरेगा पर केंद्र सरकार ने खर्च किया है. आने वाले समय मे केंद्र ऐसा करेगी ये नहीं लगता. इसपर सरकार को अतिरिक्त ध्यान देना पड़ सकता है. कमजोर वर्ग के लोगों के लिए खाद्यय पदार्थ पर केंद्र ने बड़ा योगदान दिया था जो अब नहीं होगा. इसके दूसरी तरफ अंतिम बार का जो बजट पेश हुए उसमें रिवेन्यू रिसिप्ट्स और एक्सपेंडिचर में 18000 करोड़ रुपये का गैप था. बिमल अंजुम के अनुसार लगभग 40 हजार करोड़ का नुकसान इस बार सरकार को सहना पड़ा है.
बिमल अंजुम के अनुसार हरियाण के लिए बेहतर रहा कि साल 2020 में जीएसटी कलेक्शन अच्छा रहा. 2019 के मुकाबले इसमें 10% ग्रोथ देखने को मिली, सरकार ने लार्ज स्केल तक इसे रिकवर भी किया होगा.
क्या इस बार लगाए जा सकते हैं नए कर?
पिछली बार जो राजस्व घाटा 1.67 प्रतिशत था. इस बार राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत को पार कर देगा, जैसे ही 3 प्रतिशत को पार करेगा तो आपने आप में चुनौती लेकर आएगा. इसके दुर्गामी प्रभाव देखने को मिलेंगे. लिहाजा इस बार के बजट में प्रदेश वासियों को टैक्स सहन करना पड़ सकता है. गत वर्ष नया टैक्स नहीं लगाया गया था, मगर इस बार नया टैक्स लग सकता है. जब नया टैक्स लगाएगा जाएगा तो ये ध्यान रखना जरूरी होगा कि किस क्षेत्र में कितना अतरिक्त भार डाला जाए.
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हरियाणा पर कर्ज का बोझ लागतार बढ़ रहा है. इस बीच 14 से 15 हजार करोड़ का नया कर्ज इस साल लिया गया है. बिमल अंजुम ने कहा कि सरकार को सख्त निर्णय लेने चाहिए थे. मगर सख्त निर्णय नहीं लिए गए. वहीं जीएसटी काउंसिल ने कहा की जो भी डिफिस्ट होते हैं उसमें शेयर मार्केट में जाकर बॉन्ड इश्यू करें या आरबीआई से लोन लें. सरकार नए उद्योगों को लाने के लिए प्रयासरत है. उन्होंने जो नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी बनाई है वो काफी हद तक मददगार होगी. हरियाणा वेंटिलेटर का काम इंडस्ट्रियल ग्रोथ करेगी, ऐसे में सरकार को चाहिए इसे फ्लेक्सिबल बनाया जाए और एमएसएमई को बढ़ावा दिया जाए.