चंडीगढ़: शुक्रवार शाम हरियाणा कांग्रेस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकार वार्ता की. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा और कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल किए. इस प्रेस वार्ता के जरिए दोनों कांग्रेसी नेताओं ने सरकार के शराब घोटाले की जांच रिपोर्ट को मजाक बताया.
कुमारी सैलजा का कहना है कि ये जांच केवल ऑपरेशन कवरअप है. जिन्हें जांच का जिम्मा दिया उन्हें कोई पावर नहीं दी गई. उन्होंने आरोप लगाया कि इस जांच में केवल सफेदपोश लोगों को बचाया गया है. उनका दावा है कि एसईटी ने रिपोर्ट में माना है कि लॉकडाउन में शराब पर पाबंदी के बावजूद शराब तस्करी का खुला खेल खेला गया.
कुमारी सैलजा ने कहा कि लॉकडाउन में तीन फैक्ट्रियों को प्रोडक्शन की अनुमति कैसे मिली. इस दौरान एक करोड़ से ज्यादा शराब की बोतलों की शॉर्टेज पाई गई. उन्होंने सवाल किया कि खरखौदा के शराब माफिया को किसकी शह पर गनमैन और गन लाइसेंस दिए गए. उन्होंने इस मामले में हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच की मांग की.
गृह मंत्री ने गुरुवार को दी रिपोर्ट की जानकारी
आपको बता दें कि लॉकडाउन के दौरान हुई शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है. जिसमें आबकारी एवं कराधान विभाग से जुड़े अधिकारियों के ऊपर उंगली उठाई गई है. एसईटी ने 31 जुलाई 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. एसईटी ने अपनी 6 चैप्टर और 2000 पेज की रिपोर्ट में अनेक सिफारिश दी हैं. जिसको विज ने स्वीकार कर लिया है.
इस मामले में खुद गृह मंत्री ने कहा कि टीम ने पाया कि तत्कालीन आबकारी एवं कराधान आयुक्त शेखर विद्यार्थी ने जांच में कोई समुचित सहयोग नहीं किया. इतना ही नहीं सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान ठेके बंद करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए उन्होंने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए. इसके अलावा विभाग की आबकारी नीति 2011-12 के अनुसार शराब की डिस्टलरी पर सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए थे, लेकिन आज तक इनकी कोई फीडबैक प्राप्त नहीं हुई.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र ने बाद में खरखौदा थाने में सरेंडर कर दिया था.
कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. ये गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात थी. अब शराब तस्करी की जांच को लेकर गठित की गई एसईटी अपनी जांच रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल विज को सौंप दी है.
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