ETV Bharat / state

बेरोजगार युवाओं का शोषण व उत्पीड़न बंद करें खट्टर सरकार- रणदीप सुरजेवाला

कांग्रेस पार्टी की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने (Randeep Singh Surjewala on CM Manohar Lal) खट्टर सरकार पर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने युवाओं का शोषण और नौकरी में घोटालेबाजी तुरंत बंद करके साफ-सुथरी भर्तियां करने की मांग की है. इस दौरान उन्होंने लिखित परीक्षा में 50 प्रतिशत अंकों की तुगलकी शर्त वापस लेने की मांग की.

Randeep Singh Surjewala on CM Manohar Lal
बेरोजगार युवाओं का शोषण व उत्पीड़न बंद करें खट्टर सरकार- रणदीप सुरजेवाला
author img

By

Published : Mar 17, 2023, 3:42 PM IST

चंडीगढ़: कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी और भर्तियों में सरकार की नीति तथा नियत को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने खट्टर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए प्रदेश सरकार को लाखों बेरोजगारों का शोषण व उत्पीड़न तत्काल बंद करने को कहा है. सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार की गलत नीतियों ने देश के सबसे प्रगतिशील और खुशहाल प्रदेश को बर्बाद करते हुए बेरोजगारी का हब बना दिया है. हरियाणा जैसा खुशहाल प्रदेश देश में बेरोजगारी दर में नंबर वन बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि सीएम मनोहर लाल की सरकार इस समस्या का समाधान करने की बजाय अपने तुगलकी नीतियों के सहारे इसे और भी जटिल बना रही है. कांग्रेस नेता रणदीप ने आरोप लगाया कि खट्टर सरकार ने पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए पुलिस कांस्टेबल भर्ती का भी मजाक बनाकर रख दिया है, चयनित युवाओं में से आधों को ही ज्वाइन कराया गया है और बाकी अधर झूल में हैं. सुरजेवाला ने कहा कि केवल चयनित युवा ही परेशान नहीं हैं. जो युवा लिस्ट में जगह नहीं बना पाए, वो बेचारे कोर्ट की धूल फांक रहे हैं.

इन सभी युवाओं की परेशानी की जड़ में खट्टर सरकार और इनके कर्मचारी चयन आयोग के कारनामे हैं. पुलिस कांस्टेबल की यह भर्ती 2019 में पहली बार विज्ञापित हुई थी. 2021 में इस भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई लेकिन हर बार की तरह पर्चा लीक कर दिया गया. हरियाणा में पेपर लीक प्रकरण में जांच का ड्रामा किया गया और जांच बिना किसी ठोस कार्रवाई के ठंडे बस्ते में चली गई. 2022 में दोबारा परीक्षा लेकर किसी तरह यह भर्ती पूरी हो सकी. तीन दिन चली भर्ती परीक्षा में किसी शिफ्ट में पेपर आसान तो किसी शिफ्ट में ऐसा दिया गया कि इनके अफसर भी पास ना कर पाएं.

पढ़ें: विदेशी धरती पर देश का अपमान करना गलत, कांग्रेस मीडिया में बने रहने के लिए बेवजह बनाती है माहौल- जेपी दलाल

उन्होंने कहा कि उसके बाद कर्मचारी चयन आयोग वाले बोले कि हम नॉर्मलाइजेशन करेंगे. वो नॉर्मलाइजेशन ऐसा किया गया कि ना वो इन्हें समझ आ रहा है और ना ये माननीय न्यायालय को समझा पा रहे हैं. एक ही शिफ्ट में पेपर देकर बराबर अंक लेने वालों के भी नॉर्मलाइजेशन के बाद अलग-अलग नंबर बना दिए गए. इसका नतीजा ये हुआ कि पिछले 9 महीने से ये भर्ती कोर्ट में लटकी हुई है और युवाओं का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. रणदीप ने कहा कि पहले तो खट्टर सरकार पिछली सरकारों द्वारा भर्ती किए गए युवाओं की ही नौकरी खा रही थी, अब तो खुद के लगाए हुए युवाओं को भी हटा रही है.

उन्होंने पूछा कि खट्टर सरकार बताए कि युवाओं की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है ? इनकी गलत नीतियों का परिणाम सिर्फ इसी भर्ती में युवाओं ने भुगता हो ऐसा नहीं है. पुलिस की पिछली भर्ती में भी अनियमितताओं को लेकर कुछ युवा कोर्ट गए थे. उन युवाओं को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अंक कम दिए गए थे. ये युवा कोर्ट में अपना अधिकार मांग रहे थे. खट्टर सरकार ने उन चयनित युवाओं को ही हटाने का फरमान सुना दिया जो पिछले साढ़े चार साल से पुलिस महकमे को अपनी सेवाएं दे रहे थे.उन्होंने कहा कि सीईटी की परीक्षा के नाम पर इन्होंने एक अलग ही खिचड़ी पका डाली.

पढ़ें: हरियाणा विधानसभा बजट सत्र का दूसरा चरण: प्रश्नकाल में गूंजा कृषि ऋण और थेहड़ विस्थापितों का मुद्दा, विस्थापितों को सरकार देगी मकान

5 साल से सारी भर्तियां बंद करके सीईटी का गीत गा रहे थे. प्रदेश की जनता को ऐसे सपने दिखाए गए कि सीईटी की परीक्षा होते ही प्रदेश से बेरोजगारी खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने कहा कि साढ़े सात लाख युवाओं ने सीईटी की परीक्षा दी थी. उनमें से साढ़े तीन लाख युवा पहली परीक्षा में पास हो गए. सरकार ने जो तथाकथित 30 हजार पदों की भर्ती के सब्जबाग दिखाए हैं, उनमें से 20 हजार से ज्यादा पद तो तकनीकी पद हैं. जिनमें किसी विशेष डिप्लोमा या तकनीकी कौशल की जरूरत है. उसके लिए किसी सीईटी की आवश्यकता ही नही थी.

सीधे विज्ञप्ति दी जाती और फटाफट भर्ती हो जाती लेकिन सरकार की नीयत युवाओं को रोजगार देने की बजाय भर्तियों को चुनाव तक खींचकर ले जाने की है ताकि इन भर्तियों पर राजनीति की जा सके. सीईटी पास करने वाले साढ़े तीन लाख युवाओं में से अधिकतर नॉन टेक्निकल योग्यता वाले हैं, जिनके लिए कुल रिक्तियां 10 हजार से भी कम हैं. अब सरकार कह रही है कि भर्ती के अगले चरण के लिए रिक्तियों के सिर्फ चार गुणा युवाओं को ही मौका दिया जाएगा यानी नॉन टेक्निकल योग्यता वाले ढ़ाई-तीन लाख युवाओं में से केवल 35-40 हजार युवाओं को ही भर्ती के अगले चरण में भाग लेने दिया जाएगा.

पढ़ें: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के नाम पर मांगी गई 15 लाख की रिश्वत, 2 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज

उन्होंने पूछा कि खट्टर साहब जवाब दें कि बाकी युवा कहां जाएंगे? यदि इन युवाओं को अगली परीक्षा में बैठने ही नही देना था तो इनको क्वालिफाइड दिखाकर मजाक क्यों बनाया गया? प्रदेश बेरोजगारी में शीर्ष पर है और सरकार लिखित परीक्षा में 50% अंकों की बेतुकी शर्त थोपकर प्रदेश के युवाओं को नौकरी से वंचित कर रही है. सरकार की इस तुगलकी नीति के कारण या तो अधिकतर पद रिक्त जा रहे हैं या उन पर प्रदेश से बाहर के युवा लग रहे हैं. सुरजेवाला ने कहा कि जब खट्टर साहब खुद ही जनता से 50 प्रतिशत सीट और वोट हासिल नहीं कर पाए तो युवाओं को 50 प्रतिशत अंकों की शर्त लगाकर बेरोजगार क्यों रखा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि खट्टर साहब को पता नहीं है कि यूपीएससी समेत देश की जितनी भी प्रतिष्ठित परीक्षाएं हैं, उनमें से किसी में भी इस तरह की अव्यवहारिक शर्त नहीं लगाई जाती है. खट्टर साहब जिस अफसरशाही के हाथों में खेल रहे हैं वो अफसरशाही यूपीएससी की जिस भर्ती परीक्षा से आती है, उसका टॉपर 53-54 प्रतिशत का होता है. आईआईटी में 33% सवाल हल करने पर दाखिला हो जाता है और खट्टर साहब क्लर्क-चौकीदार भर्ती करने के लिए 50 प्रतिशत अंक मांग रहे हैं.

चंडीगढ़: कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा में बढ़ती बेरोजगारी और भर्तियों में सरकार की नीति तथा नियत को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने खट्टर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए प्रदेश सरकार को लाखों बेरोजगारों का शोषण व उत्पीड़न तत्काल बंद करने को कहा है. सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार की गलत नीतियों ने देश के सबसे प्रगतिशील और खुशहाल प्रदेश को बर्बाद करते हुए बेरोजगारी का हब बना दिया है. हरियाणा जैसा खुशहाल प्रदेश देश में बेरोजगारी दर में नंबर वन बना हुआ है.

उन्होंने कहा कि सीएम मनोहर लाल की सरकार इस समस्या का समाधान करने की बजाय अपने तुगलकी नीतियों के सहारे इसे और भी जटिल बना रही है. कांग्रेस नेता रणदीप ने आरोप लगाया कि खट्टर सरकार ने पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए पुलिस कांस्टेबल भर्ती का भी मजाक बनाकर रख दिया है, चयनित युवाओं में से आधों को ही ज्वाइन कराया गया है और बाकी अधर झूल में हैं. सुरजेवाला ने कहा कि केवल चयनित युवा ही परेशान नहीं हैं. जो युवा लिस्ट में जगह नहीं बना पाए, वो बेचारे कोर्ट की धूल फांक रहे हैं.

इन सभी युवाओं की परेशानी की जड़ में खट्टर सरकार और इनके कर्मचारी चयन आयोग के कारनामे हैं. पुलिस कांस्टेबल की यह भर्ती 2019 में पहली बार विज्ञापित हुई थी. 2021 में इस भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई लेकिन हर बार की तरह पर्चा लीक कर दिया गया. हरियाणा में पेपर लीक प्रकरण में जांच का ड्रामा किया गया और जांच बिना किसी ठोस कार्रवाई के ठंडे बस्ते में चली गई. 2022 में दोबारा परीक्षा लेकर किसी तरह यह भर्ती पूरी हो सकी. तीन दिन चली भर्ती परीक्षा में किसी शिफ्ट में पेपर आसान तो किसी शिफ्ट में ऐसा दिया गया कि इनके अफसर भी पास ना कर पाएं.

पढ़ें: विदेशी धरती पर देश का अपमान करना गलत, कांग्रेस मीडिया में बने रहने के लिए बेवजह बनाती है माहौल- जेपी दलाल

उन्होंने कहा कि उसके बाद कर्मचारी चयन आयोग वाले बोले कि हम नॉर्मलाइजेशन करेंगे. वो नॉर्मलाइजेशन ऐसा किया गया कि ना वो इन्हें समझ आ रहा है और ना ये माननीय न्यायालय को समझा पा रहे हैं. एक ही शिफ्ट में पेपर देकर बराबर अंक लेने वालों के भी नॉर्मलाइजेशन के बाद अलग-अलग नंबर बना दिए गए. इसका नतीजा ये हुआ कि पिछले 9 महीने से ये भर्ती कोर्ट में लटकी हुई है और युवाओं का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. रणदीप ने कहा कि पहले तो खट्टर सरकार पिछली सरकारों द्वारा भर्ती किए गए युवाओं की ही नौकरी खा रही थी, अब तो खुद के लगाए हुए युवाओं को भी हटा रही है.

उन्होंने पूछा कि खट्टर सरकार बताए कि युवाओं की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है ? इनकी गलत नीतियों का परिणाम सिर्फ इसी भर्ती में युवाओं ने भुगता हो ऐसा नहीं है. पुलिस की पिछली भर्ती में भी अनियमितताओं को लेकर कुछ युवा कोर्ट गए थे. उन युवाओं को सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 अंक कम दिए गए थे. ये युवा कोर्ट में अपना अधिकार मांग रहे थे. खट्टर सरकार ने उन चयनित युवाओं को ही हटाने का फरमान सुना दिया जो पिछले साढ़े चार साल से पुलिस महकमे को अपनी सेवाएं दे रहे थे.उन्होंने कहा कि सीईटी की परीक्षा के नाम पर इन्होंने एक अलग ही खिचड़ी पका डाली.

पढ़ें: हरियाणा विधानसभा बजट सत्र का दूसरा चरण: प्रश्नकाल में गूंजा कृषि ऋण और थेहड़ विस्थापितों का मुद्दा, विस्थापितों को सरकार देगी मकान

5 साल से सारी भर्तियां बंद करके सीईटी का गीत गा रहे थे. प्रदेश की जनता को ऐसे सपने दिखाए गए कि सीईटी की परीक्षा होते ही प्रदेश से बेरोजगारी खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने कहा कि साढ़े सात लाख युवाओं ने सीईटी की परीक्षा दी थी. उनमें से साढ़े तीन लाख युवा पहली परीक्षा में पास हो गए. सरकार ने जो तथाकथित 30 हजार पदों की भर्ती के सब्जबाग दिखाए हैं, उनमें से 20 हजार से ज्यादा पद तो तकनीकी पद हैं. जिनमें किसी विशेष डिप्लोमा या तकनीकी कौशल की जरूरत है. उसके लिए किसी सीईटी की आवश्यकता ही नही थी.

सीधे विज्ञप्ति दी जाती और फटाफट भर्ती हो जाती लेकिन सरकार की नीयत युवाओं को रोजगार देने की बजाय भर्तियों को चुनाव तक खींचकर ले जाने की है ताकि इन भर्तियों पर राजनीति की जा सके. सीईटी पास करने वाले साढ़े तीन लाख युवाओं में से अधिकतर नॉन टेक्निकल योग्यता वाले हैं, जिनके लिए कुल रिक्तियां 10 हजार से भी कम हैं. अब सरकार कह रही है कि भर्ती के अगले चरण के लिए रिक्तियों के सिर्फ चार गुणा युवाओं को ही मौका दिया जाएगा यानी नॉन टेक्निकल योग्यता वाले ढ़ाई-तीन लाख युवाओं में से केवल 35-40 हजार युवाओं को ही भर्ती के अगले चरण में भाग लेने दिया जाएगा.

पढ़ें: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज के नाम पर मांगी गई 15 लाख की रिश्वत, 2 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज

उन्होंने पूछा कि खट्टर साहब जवाब दें कि बाकी युवा कहां जाएंगे? यदि इन युवाओं को अगली परीक्षा में बैठने ही नही देना था तो इनको क्वालिफाइड दिखाकर मजाक क्यों बनाया गया? प्रदेश बेरोजगारी में शीर्ष पर है और सरकार लिखित परीक्षा में 50% अंकों की बेतुकी शर्त थोपकर प्रदेश के युवाओं को नौकरी से वंचित कर रही है. सरकार की इस तुगलकी नीति के कारण या तो अधिकतर पद रिक्त जा रहे हैं या उन पर प्रदेश से बाहर के युवा लग रहे हैं. सुरजेवाला ने कहा कि जब खट्टर साहब खुद ही जनता से 50 प्रतिशत सीट और वोट हासिल नहीं कर पाए तो युवाओं को 50 प्रतिशत अंकों की शर्त लगाकर बेरोजगार क्यों रखा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि खट्टर साहब को पता नहीं है कि यूपीएससी समेत देश की जितनी भी प्रतिष्ठित परीक्षाएं हैं, उनमें से किसी में भी इस तरह की अव्यवहारिक शर्त नहीं लगाई जाती है. खट्टर साहब जिस अफसरशाही के हाथों में खेल रहे हैं वो अफसरशाही यूपीएससी की जिस भर्ती परीक्षा से आती है, उसका टॉपर 53-54 प्रतिशत का होता है. आईआईटी में 33% सवाल हल करने पर दाखिला हो जाता है और खट्टर साहब क्लर्क-चौकीदार भर्ती करने के लिए 50 प्रतिशत अंक मांग रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.