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CWG 2022: 7 साल की उम्र में बजरंग पूनिया ने शुरू की थी पहलवानी, जानें उनके संघर्ष की कहानी - wrestler bajrang punia won gold medal

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पहलवान बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल (bajrang punia won gold medal) जीतकर इतिहास रच दिया है. उनकी इस उपलब्धि के पीछे कड़ी मेहनत रही है. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

Etv Bharatwrestler bajrang punia won gold medal
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Published : Aug 5, 2022, 10:55 PM IST

चंडीगढ़: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (commonwealth games 2022) में पहलवान बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता है. पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो भारवर्ग के फाइनल में बजरंग पूनिया ने कनाडा के एल मैकलीन को 9-2 धूल चटाई. पहले हाफ में बजरंग पूनिया ने चार अंक लिए. दूसरे हाफ में मैकलीन ने दो प्वाइंट लेकर वापसी की कोशिश की, लेकिन बजरंग पूनिया ने पलटवार करते हुए देश के नाम एक और गोल्ड मेडल (wrestler bajrang punia won gold medal) जीत लिया.

7 साल की उम्र में शुरू की पहलवानी: आज बजरंग पूनिया देश के सबसे बड़े पहलवानों में गिने जाते हैं और लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पूनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान रहे बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

बजरंग पूनिया के पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया. उनके पिता ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे. इसलिए उनकी इच्छी थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें. दोनों बेटों को पहलवानी के लिए भेजा जाता था, लेकिन घर की हालत ठीक न होने के चलते फिर केवल बजरंग को ही आगे बढ़ाया, और उनके बेटे ने उनकी इच्छा पूरी भी कर दी.

बजरंग हरियाणवी खाने के भी बेहद शौकीन हैं. बजरंग बचपन से ही प्रैक्टिस के बाद अपनी मां से गुड़ का चूरमा बनवाकर खाते थे. टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने से पहले भी वो घर से जाते समय चूरमा खाकर ही निकले थे. तब बजरंग की मां ओम प्यारी ने कहा था कि बजरंग को परांठे और गुड़ का चूरमा ज्यादा पसंद है. टोक्यो ओलंपिक में जब बजरंग पूनिया ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटे थे. तो उनकी मां ने चूरमे के साथ बजरंग का स्वागत किया था.

अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पूनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी, पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया जहां वो बजरंग बन चुके हैं. 130 करोड़ भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बजरंग पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.

चंडीगढ़: कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (commonwealth games 2022) में पहलवान बजरंग पूनिया ने गोल्ड मेडल जीता है. पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलो भारवर्ग के फाइनल में बजरंग पूनिया ने कनाडा के एल मैकलीन को 9-2 धूल चटाई. पहले हाफ में बजरंग पूनिया ने चार अंक लिए. दूसरे हाफ में मैकलीन ने दो प्वाइंट लेकर वापसी की कोशिश की, लेकिन बजरंग पूनिया ने पलटवार करते हुए देश के नाम एक और गोल्ड मेडल (wrestler bajrang punia won gold medal) जीत लिया.

7 साल की उम्र में शुरू की पहलवानी: आज बजरंग पूनिया देश के सबसे बड़े पहलवानों में गिने जाते हैं और लगभग हर खेलप्रेमी की जुबान पर बजरंग पूनिया का नाम है, लेकिन ये मुकाम उन्हें ऐसे ही नहीं मिल गया. इसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है. 65 किलोग्राम वर्ग में विश्व के नंबर वन पहलवान रहे बजरंग पुनिया ने पहलवानी की शुरूआत 7 साल की उम्र में झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खुदन से की थी. एक साधारण किसान परिवार में जन्में बजरंग शुरू से ही बेहद मेहनती रहे हैं.

बजरंग पूनिया के पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया. उनके पिता ने बताया कि वो भी पहलवानी करते थे. इसलिए उनकी इच्छी थी कि उनका एक बेटा पहलवान जरूर बनें. दोनों बेटों को पहलवानी के लिए भेजा जाता था, लेकिन घर की हालत ठीक न होने के चलते फिर केवल बजरंग को ही आगे बढ़ाया, और उनके बेटे ने उनकी इच्छा पूरी भी कर दी.

बजरंग हरियाणवी खाने के भी बेहद शौकीन हैं. बजरंग बचपन से ही प्रैक्टिस के बाद अपनी मां से गुड़ का चूरमा बनवाकर खाते थे. टोक्यो ओलंपिक के लिए जाने से पहले भी वो घर से जाते समय चूरमा खाकर ही निकले थे. तब बजरंग की मां ओम प्यारी ने कहा था कि बजरंग को परांठे और गुड़ का चूरमा ज्यादा पसंद है. टोक्यो ओलंपिक में जब बजरंग पूनिया ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटे थे. तो उनकी मां ने चूरमे के साथ बजरंग का स्वागत किया था.

अर्जुन पुरस्कार, खेल रत्न और पद्म श्री से सम्मानित वर्ल्ड चैंपियन रेसलर बजरंग पूनिया की कहानी भले ही एक छोटे से गांव के दंगल से शुरू हुई थी, पर उनकी कड़ी मेहनत और जुनून उन्हें उस मुकाम पर लेकर आया जहां वो बजरंग बन चुके हैं. 130 करोड़ भारतीयों की सबसे बड़ी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बजरंग पूनिया ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.

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