चंडीगढ़: गठबंधन सरकार के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए बने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चंडीगढ़ में दोनों पार्टियों के सदस्यों की पहली की बैठक हुई. गठित कमेटी की ये बैठक करीब दो घंटे चली. जब दोनों पार्टियों के घोषणा पत्र पर चर्चा की गई तो कई नई बातें सामने निकल कर आई.
दोनों पार्टियों की समान घोषणाएं
करीब 33 घोषणाएं ऐसी हैं, जो दोनों पार्टियों के घोषणा पत्र में समान हैं. जबकि दोनों पार्टियों की करीब 12 घोषणाएं ऐसी हैं, जो लगभग मिलती-जुलती हैं. लेकिन वहीं कुछ घोषणाएं ऐसी हैं जिन पर दोनों पार्टियों का पेंच फंसा हुआ है. जिनमें किसान कर्ज माफी और बुढ़ावा पेंशन 51 सौ रूपये देने का वादा है.
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कमेटी की बैठक
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम कमेटी के अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अनिल विज की अध्यक्षता में सचिवालय में उनके कार्यालय में विचार विमर्श किया गया. इस बैठक में फाइनेंस डिपार्टमेंट के एसीएस टीवीएसएन प्रसाद को भी बुलाया गया. दोनों पार्टियों के मेनिफेस्टो की एक-एक कॉपी प्रसाद के साथ एक-एक कॉपी एडवोकेट जनरल को भेजी गई.
15 दिन में विभाग सौंपेगा रिपोर्ट
वित्त विभाग हर घोषणा पर खर्च होने वाले वित्तीय भार को देखकर बताएगा कि सरकार पर इन योजनाओं का कितना भार पड़ेगा और एडवोकेट जनरल ऑफिस घोषणाओं को लागू करने में कानूनी सलाह देगा. एजी ऑफिस कानूनी पेचीदगियों से कमेटी को अवगत कराएगा. 15 दिन में इनकी रिपोर्ट मिलने के बाद कमेटी की दूसरी बैठक होगी.
बीजेपी और जेजेपी के वादे
बीजेपी ने चुनाव में जनता से करीब 262 और जेजेपी ने 160 वादे किए. बीजेपी के ये वादे पूरे करने पर 32 हजार करोड़ तो जेजेपी के वादे पूरे करने के लिए 36 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च चाहिए. इसलिए दोनों का मिलाकर एक कार्यक्रम तय किया जाना है.
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इन वादों पर पेंच फंसने का आसार
जेजेपी और बीजेपी के कुछ वादे अलग हैं. जेजेपी के ऐसे वादों में शामिल वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन को 51और रुपये किया जाता है या नहीं. बीजेपी ने महंगाई भत्ते के अनुसार पेंशन बढ़ाने का वादा किया था. इसी प्रकार जेजेपी ने बेरोजगारी भत्ता भी 11 हजार रुपये देने का वादा किया था. किसान कर्ज माफी पर भी पेंच फंस सकता है.