चंडीगढ़: बीती रात मुख्यमंत्री मनोहर लाल डबवाली में चुनाव प्रचार के बाद चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए. लेकिन मौसम खराब होने की वजह से सीएम मनोहर लाल ने नरवाना में रुकने का फैसला लिया. परन्तु जींद के जिला अधिकारी और निर्वाचन अधिकारी सीएम को नरवाना में रुकने के लिए जगह नहीं दे रहे थे.
जिसके बाद मामला रात करीब 8.30 पर हाईकोर्ट पहुंच गया. बाद में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को नरवाना गेस्ट हाउस में रुकने की अनुमति दे दी गई.
सीएम के ठहराव पर रात में कोर्ट का प्रकरण
एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन करीब 8.30 पर चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी के पास पहुंच गए. इस पर चीफ जस्टिस राजीव शर्मा और सिद्धू की बेंच गठित की गई. एडीसी रजनीश गर्ग की ओर से इस पर याचिका लगाई गई.
बेंच ने चुनाव आयोग के वकील बुलाए. इस पर रात करीब 10.30 बजे सुनवाई शुरु हुई. 30 मिनट की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सीएम को रात गुजारने का आदेश दे दिया. सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल के साथ एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक बालियान, गगनदीप सिंह वासू और डिप्टी एडवोकेट जनरल विवेक सैनी कोर्ट पहुंचे थे.
सीएम के ठहरने पर अधिकारी ने दिया आचार संहिता का हवाला
मुख्यमंत्री मनोहर लाल लोकसभा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल ने लिए प्रचार करने सिरसा गए हुए थे. इस दौरान सीएम रोड़ी और डबवाली में लोगों से भी मिले. सीएम को करीब 3.30 बजे चंडीगढ़ पहुंचना था. इस दौरान तेज आंधी के चलते पायलट ने सीएम से 1 घंटे इंतजार करने के लिए कहा.
जिसके बाद सीएम एक निजी होटल चले गए. मौसम ठीक न होने पर बाद में सीएम सड़क मार्ग से रवाना हो गए. जिसके बाद सीएम ने नरवाना में रुकने का मन बनाया. लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधिकारी ने सीएम को वहां ठहराने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि सीएम सिर्फ चंडीगढ़ या बस वहां रुक सकते हैं जहां उनका वोट है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी मुख्यमंत्री को नहीं दी राहत
सीएम को ठहराने की अटकलों पर सीएमओ अलर्ट हो गया. सीएम के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेट्री उमाशंकर ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखी. आंधी बारिश का पूरा मामला बताते हुए लिखा गया कि चंडीगढ़ और डबवाली के बीच 340 किलोमीटर का रास्ता है. मुख्यमंत्री के लिए यह असुविधाजनक है, लेकिन यहां से भी सीएम को कोई राहत नहीं मिली.
जिसके बाद सरकार के वकीलों की फौज ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सीएम के लिए सुकून की नींद का इंतजाम हो पाया.
क्यों हुई सीएम को परेशानी ?
चुनाव आयोग के नियमों के तहत चुनाव प्रचार बंद होने के बाद वोटिंग होने तक कोई भी राजनीतिक व्यक्ति अपने शहर से बाहर नहीं जा सकता या किसी दूसरे शहर में नहीं रूक सकता है.