चंडीगढ़: हरियाणा राज्य विकास प्राधिकरण (HSVP) ने बीते 5 साल का 5 फीसदी के हिसाब से 25 फीसदी पानी का बिल बढ़ाकर लोगों को दे दिया था. इस मामले में अब सरकार ने कदम उठाते हुए इसको हटाने का ऐलान किया है. सीएम मनोहर लाल ने कहा कि एचएसवीपी के इस निर्णय पर विचार करने के बाद सामने आया कि इसमें वास्तव में विभाग की गलती थी. उस वक्त 5 फीसदी दरें बढ़ाने का सर्कुलर निकाला गया, लेकिन डिमांड को नहीं भेजा गया.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि, हमने सारे रिकॉर्ड देख लिए हैं फाइल में रेट बढ़ाकर छोड़ दिए हैं. अब जा कर विभाग ने इकट्ठा 5 साल का डिमांड नोट भेज दिया. बहुत लोगों ने कहा कि एक साथ 1 साल में 25 फीसदी बढ़ाना सही नहीं है. इसको लेकर सुझाव भी आए. अंत में हमने फैसला किया कि. 2018 में जो 5 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी उसको 2023 तक यानी अब तक फ्री कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि, अब से 5 फीसदी हम आगे लागू करेंगे. पिछला 25 फीसदी सरकार ने बिल्कुल वेव ऑफ कर दिया है.
वहीं, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने पानी के बिलों में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने पर सीएम मनोहर लाल का आभार जताया है. बीते दिनों विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम को पत्र भेज कर पानी के बिलों में की गई 25 फीसदी की बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की थी. विधानसभा अध्यक्ष ने पंचकूला सेक्टर-17 के हाउस ओनर वेलफेयर फेडरेशन और अन्य नागिरक संगठनों की ओर से प्राप्त ज्ञापन के बाद यह मांग की थी.
ज्ञान चंद गुप्ता ने सीएम मनोहर लाल को लिखे पत्र में कहा था कि, 'हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की नीति के अनुसार पानी की दरों में 5 फीसदी की सलाना वृद्धि की जाती है. कोरोना महामारी के दौरान लोगों को राहत देने के लिए प्राधिकरण ने पानी की दरों में बढ़ोतरी नहीं की. अब पिछले 4 वर्षों का 20 फीसदी एक साथ और इस वर्ष की 5 फीसदी जोड़कर कुल 25 फीसदी की दर से पानी के बिल भेजे हैं. इतना ही नहीं इस भारी वृद्धि के साथ पिछले वर्षों का बकाया भी जमा करवाने के नोटिस जारी कर दिए हैं. इससे शहर को लेगों में नाराजगी है.'
बता दें कि हरियाणा में पानी की दरों में बढ़ोतरी को लेकर हाउस ओनर वेलफेयर फेडरेशन ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को ज्ञापन सौंप कर बढ़ी दरें वापस करवाने की अपील की थी. इस ज्ञापन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखा था.