चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र का (Haryana Legislative Assembly Winter Session) अंतिम दिन कई मायनों में खास रहा. आखिरी दिन सदन में जमकर शेर ओ शायरी भी हुई. मुख्यमंत्री मनोहर लाल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच जमकर शेरो शायरी का दौर चला. दरअसल विधानसभा में गन्ने के रेट को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में जोरदार बहस चल रही थी. इस सब के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच शायराना अंदाज में बातचीत हुई.
दोनों ने एक दूसरे को शायरी में (cm manoher lal and bhupinder hooda shayari) जवाब दिया. हुड्डा ने कहा कि चमन में कुछ पत्तियां झड़ गई होंगी, मानता हूं मैं, मानता हूं मैं, यही इल्जाम हम पर लग रहा है बेवफाई का, अरे चमन को रौंद डाला जिन्होंने अपने पैरों से, वही दावा कर रहे हैं, चमन की रहनुमाई का. इसके जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जिसे निभा न सकूं ऐसा वादा नहीं करता, मैं बात अपनी सीमा से ज्यादा नहीं करता, तमन्ना रखता हूं आसमान छू लेने की, लेकिन औरों को गिराने का इरादा नहीं रखता.
ये शेर ओ शायरी का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ इसके बाद हुड्डा ने दूसरा शेर पढ़ते हुए कहा कि न पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहां तक है, तू सितम कर ले तेरी हसरत जहां तक है. वफा की उम्मीद उन्हें होगी तुझसे, जिनकी आंखें बंद हैं, मैं तो दुनिया को दिखा रहा हूं, तू बेवफा कहां तक है.
हुड्डा की इस शायरी का जवाब देते हुए सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा. फिर हुड्डा ने तीसरा शेर पढ़ते हुए कहा (cm manoher lal and bhupinder hooda shayari) कि मेरे जुनून का नतीजा जरुर निकलेगा, इसी स्याह समंदर से नूर निकलेगा, उसी का शहर, वही मुद्दई, वहीं मुंसिफ़, हमें यकीन था, हमारा कसूर निकलेगा.
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इसके बाद भी शेर-ओ-शायरी का अंदाज पक्ष विपक्ष में खूब चलता रहा. भूपेंद्र हुड्डा की इस शायरी के जवाब में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि मेरी खामोशियों का लिहाज कीजिए, मेरे लफ्ज आपसे बर्दाश्त नहीं होगे. इस तरह काफी देर तक सदन में एक तरह से मुशायरा देखने को मिला जो काफी दिलचस्प रहा.
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