चंडीगढ़: हर साल 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. विश्व बालश्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने सन 2002 में की थी. इसके बाद से हर साल 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है. इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट किया है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट कर कहा कि 'बाल श्रम एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जो बच्चों और समाज के विकास को खतरे में डालती है. साथ ही सीएम मनोहर लाल ने कहा कि आइये! हम सामाजिक बुराई को मिटाने का संकल्प लें और बच्चों को एक ऐसा समाज दें, जिसमें वे खेल कूदकर अपना बचपन जी सकें और शिक्षा ग्रहण कर उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें.
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बाल श्रम एक ऐसी सामाजिक बुराई है जो बच्चों और समाज के विकास को खतरे में डालती है। #बालश्रमनिषेधदिवस पर, आइये! हम सामाजिक बुराई को मिटाने का संकल्प लें और बच्चों को एक ऐसा समाज दें, जिसमें वे खेल कूदकर अपना बचपन जी सकें और शिक्षा ग्रहण कर उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।
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— Manohar Lal (@mlkhattar) June 12, 2020
बता दें कि, विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागरूक किया जाए. साथ ही साल 2020 का थीम वैश्विक संकट का बाल श्रम पर प्रभाव रखा है.
विश्व बालश्रम निषेध दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक ब्रांच है. ये संघ मजदूरों के हक के लिए काम करती है और इससे संबंधित नियम बनाती है. संघ की ओर से बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ को कई बार पुरस्कृत भी किया चुका है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए साल 2002 कानून बनाया. इस कानून के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना निषेध है.