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'केंद्र सरकार के नए अध्यादेश को लेकर कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं'

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Published : Jul 19, 2020, 10:40 PM IST

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने रविवार को हरियाणा निवास में प्रेस वार्ता की. मुख्यमंत्री ने मुख्य तौर पर किसानों से संबंधित योजनाओं पर बात की. सीएम ने ये बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों के लिए किन-किन योजनाओं पर अभी तक काम किया है.

cm manohar lal
cm manohar lal

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि पिछले 6 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने जितनी भी नई पहल की हैं वो सब किसान हित में हैं. अभी हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गये दो अध्यादेश 'कृषि उपज व्यापार' और 'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता' से किसान अपनी उपज की बिक्री मर्जी के अनुसार कहीं भी कर सकता है.

उन्होंने कहा कि ये दोनों अध्यादेश आने से अगर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक दाम मंडियों से बाहर मिलते हैं तो वो फसल बेच सकता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तो सरकार खरीदेगी ही नहीं तो भावांतर भरपाई योजना में फसल के भाव के अन्तराल को पूरा किया जाएगा.

'कुछ लोग किसानों को गुमराह करने में लगे हैं'

मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वो इन अध्यादेशों के विषय में किसी के बहकावे में न आएं. कुछ लोगों की आदत किसानों को गुमराह करने की है. किसान यूनियन के नाम पर भी देश में अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग तरह की राजनीति है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर भी कुछ नेता किसानों को बहकाते रहे, लेकिन अब किसान को समझ आ गया और अब किसान खुद अपनी फसल का बीमा करने के लिए आगे आ रहा है.

'केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में एक लाख करोड़ रुपये कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए रखा गया है. जिसके तहत वेयरहाउस, एग्रो बेस्ड इन्डस्ट्री व अन्य शामिल हैं. इसमें से अधिक से अधिक राशि हरियाणा के किसान को मिले, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं.

गांवों और शहरों में खोले जाएंगे 'रिटेल आउटलेट'

मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि शीघ्र ही सहकारिता विभाग के माध्यम से गांव व शहरों में 2000 'रिटेल आउटलेट' खोले जाएंगे. जिनमें गांव व शहर का युवा अपनी योग्यता व हुनर के अनुरूप कार्य करेगा. ये 'रिटेल आउटलेट' मिनी सूपर मार्केट के रूप में कार्य करेंगे. इसके अलावा, हरियाणा फ्रेश के नाम से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मिनरल वाटर भी लॉच कर रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआत में 'मेरा पानी मेरी विरासत' का भी कुछ लोगों ने विरोध किया था. ये योजना भावी पीड़ी के लिए जल संरक्षण की योजना है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर कम पानी वाली फसलों की बुआई करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन किसानों ने योजना के महत्व को समझा और 1,18,128 हेक्टेयर क्षेत्र का 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है.

'किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर बनाए जा रहे पशुपालन क्रेडिट कार्ड'

सीएम ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशुपालन क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है और अब तक 1,40,000 पशुपालकों के फॉर्म भरवाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की आढ़तियों पर निर्भरता कम करने के लिए नई-नई योजनाएं लाई जा रही हैं. इस बार गेहूं व सरसों की रबी फसलों की खरीद प्रक्रिया में नई व्यवस्था की गई और पहली बार किसानों के खाते में फसल बिक्री का भुगतान किया गया.

किसानों को फसली ऋण जीरो प्रतिशत पर उपलब्ध करवाया जा रहा है. आमतौर पर फसल ऋण पर ब्याजदर 7 प्रतिशत, जिसमें 3 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 4 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है. किसान अपना फसली ऋण चक्र आढ़ती की बजाए बैंकों से सीधा करवाएं और किसान आढ़ती से पैसा न ले, यही योजना का मुख्य उद्देश्य है.

ये भी पढ़ें- अपनी काव्य शैली के चलते सूर्य कवि कहलाए बाजे भगत, आज भी उनकी रागनियों के मुरीद हैं लोग

चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि पिछले 6 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने जितनी भी नई पहल की हैं वो सब किसान हित में हैं. अभी हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गये दो अध्यादेश 'कृषि उपज व्यापार' और 'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान समझौता' से किसान अपनी उपज की बिक्री मर्जी के अनुसार कहीं भी कर सकता है.

उन्होंने कहा कि ये दोनों अध्यादेश आने से अगर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक दाम मंडियों से बाहर मिलते हैं तो वो फसल बेच सकता है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तो सरकार खरीदेगी ही नहीं तो भावांतर भरपाई योजना में फसल के भाव के अन्तराल को पूरा किया जाएगा.

'कुछ लोग किसानों को गुमराह करने में लगे हैं'

मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की है कि वो इन अध्यादेशों के विषय में किसी के बहकावे में न आएं. कुछ लोगों की आदत किसानों को गुमराह करने की है. किसान यूनियन के नाम पर भी देश में अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग तरह की राजनीति है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर भी कुछ नेता किसानों को बहकाते रहे, लेकिन अब किसान को समझ आ गया और अब किसान खुद अपनी फसल का बीमा करने के लिए आगे आ रहा है.

'केंद्र सरकार के अध्यादेश को लेकर कुछ लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में एक लाख करोड़ रुपये कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए रखा गया है. जिसके तहत वेयरहाउस, एग्रो बेस्ड इन्डस्ट्री व अन्य शामिल हैं. इसमें से अधिक से अधिक राशि हरियाणा के किसान को मिले, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं.

गांवों और शहरों में खोले जाएंगे 'रिटेल आउटलेट'

मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि शीघ्र ही सहकारिता विभाग के माध्यम से गांव व शहरों में 2000 'रिटेल आउटलेट' खोले जाएंगे. जिनमें गांव व शहर का युवा अपनी योग्यता व हुनर के अनुरूप कार्य करेगा. ये 'रिटेल आउटलेट' मिनी सूपर मार्केट के रूप में कार्य करेंगे. इसके अलावा, हरियाणा फ्रेश के नाम से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मिनरल वाटर भी लॉच कर रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआत में 'मेरा पानी मेरी विरासत' का भी कुछ लोगों ने विरोध किया था. ये योजना भावी पीड़ी के लिए जल संरक्षण की योजना है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर कम पानी वाली फसलों की बुआई करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन किसानों ने योजना के महत्व को समझा और 1,18,128 हेक्टेयर क्षेत्र का 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया है.

'किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर बनाए जा रहे पशुपालन क्रेडिट कार्ड'

सीएम ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशुपालन क्रेडिट कार्ड योजना लागू की गई है और अब तक 1,40,000 पशुपालकों के फॉर्म भरवाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की आढ़तियों पर निर्भरता कम करने के लिए नई-नई योजनाएं लाई जा रही हैं. इस बार गेहूं व सरसों की रबी फसलों की खरीद प्रक्रिया में नई व्यवस्था की गई और पहली बार किसानों के खाते में फसल बिक्री का भुगतान किया गया.

किसानों को फसली ऋण जीरो प्रतिशत पर उपलब्ध करवाया जा रहा है. आमतौर पर फसल ऋण पर ब्याजदर 7 प्रतिशत, जिसमें 3 प्रतिशत केन्द्र सरकार और 4 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है. किसान अपना फसली ऋण चक्र आढ़ती की बजाए बैंकों से सीधा करवाएं और किसान आढ़ती से पैसा न ले, यही योजना का मुख्य उद्देश्य है.

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