चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने सोमवार को हरियाणा सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड (haryana flood and drought relief board) की 53वीं बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व कृषि मंत्री जेपी दलाल भी मौजूद रहे. बैठक के बाद सीएम ने कहा कि अभी तक बारिश के पानी को जलभराव के इलाकों से ड्रेन आउट कर दिया जाता था यानि बेकार बहा दिया जाता था, लेकिन अब इस पानी का इस्तेमाल सूखी लेकों में किया जाएगा. जिन जिलों में कम बारिश होती है उन जिलों में तालाबों में इस पानी को भरा जाएगा ताकि इसका इस्तेमाल किया जा सके.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि बैठक में बाढ़ राहत और सूखा राहत को लेकर कई योजनाओं को फाइनल किया गया. उन्होंने कहा कि यह बैठक पहले साल में एक बार होती थी, लेकिन पिछले 4 सालों से इस बैठक का आयोजन साल में दो बार किया जा रहा है. पहली बैठक जनवरी में और दूसरी मई में. जिसका मकसद है कि जनवरी में जिन योजनाओं पर विचार किया जाए, मई में बारिश से पहले उन योजनाओं की एक बार समीक्षा कर ली जाए ताकि उन्हें बेहतर तरीके से लागू किया जा सके.
उन्होंने कहा कि इस बैठक में 320 योजनाओं को पेश किया गया था और सभी योजनाओं को पास कर दिया गया है. इन सभी योजनाओं पर करीब 494 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. सीएम खट्टर ने बताया कि आज की बैठक में बारिश के पानी को पुनः इस्तेमाल को लेकर भी विशेष बल दिया गया. पहले बाढ़ की स्थिति में या जलभराव की स्थिति में जिस पानी को बहा दिया जाता था. अब उस पानी का इस्तेमाल किया जाएगा. ये योजनाएं खासतौर पर सूखे जिले यानी भिवानी, महेंद्रगढ़, दादरी आदि के लिए काम करेंगी ताकि उन इलाकों में बारिश के पानी को जमा कर उसका फिर से इस्तेमाल किया जाए. इस योजना पर 221 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष 1 लाख एकड़ भूमि से वाटर लॉगिंग की समस्या खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके लिए प्रभावित किसानों को पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. किसानों को केवल 20 प्रतिशत खर्च की राशि देनी होगी, शेष 80 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा खर्च की जाएगी. 1 लाख एकड़ भूमि से वाटर लॉगिंग खत्म होने के बाद भविष्य में पूरे प्रदेश की जमीन को वाटर लॉगिंग से मुक्त किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि तालाबों के लगातार पानी से भरे रहने के कारण पानी की रिचार्जिंग कम हो जाती है. ऐसे में तालाबों को साल में एक बार पूरी तरह खाली करवाना चाहिए और उसकी खुदाई भी करवानी चाहिए. इसके लिए पंचायत विभाग द्वारा बड़ी योजना तैयार की जा रही है, जिसके तहत तालाबों को एक बार खाली करने और उनकी मिट्टी निकालने का कार्य किया जाएगा. तालाब साफ होंगे तो पानी की रिचार्जिंग भी होगी और वर्षा होने पर गांवों में जल भराव की समस्या भी नहीं पैदा होगी.
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