चंडीगढ़: हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनन्द अरोड़ा ने अधिकारियों को पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के दिए निर्देश हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले धान की कटाई के मौसम के मद्देनजर पराली जलाने के जीरो बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करना है.
पराली को लेकर हुई अहम बैठक
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालन में फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए हितधारकों जिनमें सभी जिलों के उपायुक्त, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, हरसैक के निदेशक, आईओसीएल के कार्यकारी निदेशक, नाबार्ड के प्रतिनिधि, एएफसी इंडिया के एमडी, अखिल भारतीय कृषि इंपलिमेंटस मैन्युफैक्चरर संघ लुधियाना के प्रतिनिधि तथा हरियाणा कृषि इंपलिमेंटस मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन हिसार के प्रतिनिधि आदि के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुरुवार को बैठक की.
समस्याओं व सुझावों पर हुई चर्चा
बैठक में अरोड़ा ने हितधारकों से फसल अवशेष प्रबंधन में आने वाली समस्याओं व सुझावों पर चर्चा की. फसल अवशेष प्रबंधन ( सीआरएम ) स्कीम के तहत जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के 9 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. वर्ष 2020-21 के लिए 820 कस्टमर हायरिंग सेंटर तथा 2741 व्यक्तिगत उपकरण दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने व्यक्तिगत श्रेणी एवं सीएचसी के तहत आवेदन करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों के लिए कुल आवंटन का 70 प्रतिशत आरक्षित करने का को निर्णय लिया है.
ये भी पढ़ें- गुरुवार को मिले रिकॉर्ड 1881 नए मरीज, 19 लोगों की हुई मौत
मुख्य सचिव ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन की दिशा में पिछले वर्ष हरियाणा में अच्छा कार्य हुआ था. हरसैक के उपग्रही चित्रों व रिपोर्ट के अनुसार पूर्व के वर्षों के मुकाबले गत वर्ष फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं में 68 प्रतिशत की कमी आई थी. उन्होंने निर्देश दिये कि लाल तथा पीले जोन में आने वाले जिन गांवों में कस्टमर हायरिंग सेंटर नहीं हैं व जिनसे अभी तक कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुए हैं वहां से जल्द से जल्द आवेदन करवाये जायें.
निगरानी के लिए नोडल अधिकारी बनाये जाएं
उन्होंने पंचायतों के पदाधिकारियों को छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता के आधार पर पंचायती स्तर पर स्थापित 851 कस्टम हायरिंग केंद्रों में दिये जाने वाले उपकरण व फसल अवशेषों के भंडारण पंचायत भूमि पर किया जाना सुनिश्चित करने के निर्देश दिये. इसके अलावा, पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए ग्राम सभा की बैठकें आयोजित करने के लिए भी कहा. पराली जलाने की घटनाएं न हों, इसके लिए निगरानी टीमों का गठन कर नोडल अधिकारी बनाये जाएं.
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में अवशेष प्रबंधन के लिए एक्ससीटू माध्यम से लगभग 8 लाख मीट्रिक टन फसल अवशेष प्रबंधन प्रतिवर्ष किया जा रहा है. प्रदेश में बायोमास फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 4 बायोमास पॉवर परियोजनाओं को अनुमति प्रदान की गई है. प्रदेश में अब तक कंमप्रेस्ड बायो गैस के 66 आशय पत्र ऑयल कंपनियों को जारी किए गए हैं. इन प्लांटों के लगाए जाने से प्रतिवर्ष 22 लाख मीट्रिक टन की फसल अवशेष प्रबंधन हो सकेगा.
ये भी पढ़ें- सीएम की कोरोना रिपोर्ट फिर आई पॉजिटिव, अभी रहना होगा अस्पताल में ही