चंडीगढ़: देश के दो बड़े चौधरी घरानों की करीब चालीस साल पुरानी राजनीतिक मतभेद खत्म होने वाला है. चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी करीब आ रही है. देवी लाल के परपोते और चौधरी चरण सिंह की चौथी पीढ़ी के जयंत चौधरी एक साथ नजर आ रहे हैं.
बताया जा रहा है कि दुष्यंत चौटाला के राजनीति में कदम रखते ही जयंत के साथ नजदीकियां बढ़ने लगी थीं. जयंत और दुष्यंत दोनों राजनीतिक घरानों को अब एक मंच पर लाने की कोशिश भी कर रहे हैं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में पहली बार दोनों नेता एक ही मंच पर दिख रहे हैं. अनुमान जताया जा रहा है कि यही नजारा हरियाणा में भी देखने को मिलेगा.
इस वजह से रिश्तों में आ गई थी खटास
पिछले 30 साल पहले चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवीलाल के परिवारों के बीच अच्छे संबंध थे. सत्तर के दशक में दोनों नेताओं ने मिलकर मोरारजी देसाई की सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन कहा ये भी जाता है कि जैसे ही चौधरी चरण सिंह राजनीति में उपर पहुंचने लगे. उन्होंने देवीलाल के परिवार की अनदेखी करनी शुरू कर दी. उसके बाद से इन दोनों परिवारों के रिश्तों में खटास आनी शुरु हो गई.
दोनों की लड़ाई में मुलायम सिंह को मिल गई थी गद्दी!
यही नहीं चर्चा ये भी होती है कि देवीलाल ने बदले की भावना से ही चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से मुख्यमंत्री की गद्दी छीन ली थी और उनकी जगह चौधरी देवीलाल ने कुश्ती के माहिर मुलायम सिंह को मुख्यमंत्री पद दिलवाने में अहम भूमिका निभाई थी.
कौन थे चौधरी चरण सिंह
चरण सिंह गाजियाबाद के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार से ताल्लुक रखते थे. ''देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है'', हम सभी ने इस कहवात को सुना होगा, ये बात चौधरी चरण सिंह कहते थे. उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है. स्वतंत्रता सेनानी से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बने.
इन दोनों परिवारों के बीच अब रिश्ते सुधारने का काम दुष्यंत और जयंत मिलकर कर रहे हैं. बता दें कि दुष्यंत इस बार बागपत से चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं जयंत मथुरा से हेमा मालिनी के खिलाफ खड़े हैं। अब देखना ये होगा कि दुष्यंत और जयंत कैसे इस 30 साल पुरानी दुश्मनी को मिटा पाते हैं.