चंडीगढ़: 17 जनवरी के बाद चंडीगढ़ को नया मेयर (Chandigarh Mayor Election) मिलने वाला है. इस बार किसके हाथ में मेयर की कुर्सी आएगी यह देखना दिलचस्प होगा. इस बार भी मेयर के चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी आमने सामने है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने जहां इस बार चुनाव में हिस्सा लेने के बात कही थी. तो वहीं नामांकन के दिन कांग्रेस में पाला पलटते हुए मेयर चुनाव में हिस्सा न लेना का फैसला करते हुए भाजपा और आप को चौंका दिया.
वहीं बताया यह भी जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने छह पार्षदों की सीट को बचाने के लिए हिमाचल दौरे पर निकल (Changing equation of Chandigarh mayor election) गई है. ऐसे में मेयर चुनाव का समीकरण कभी भी बदल सकता है. दोनों पार्टियों के पास बराबर का बहुमत है. ऐसे में क्या भाजपा एक बार फिर अपना मेयर बना पाएगी. आप इस बार भाजपा को हार का मुंह दिखाएगी. चंडीगढ़ की राजनीति दिल्ली के इशारों पर चलती है. पिछले लंबे समय से चंडीगढ़ मेयर चुनाव भाजपा जीतती आ रही है.
ऐसे में चंडीगढ़ में केंद्र शासित राज्य के तौर पर केंद्र के नियमों को आसानी से लागू किया जाता रहा है. वहीं आम आदमी पार्टी भी चंडीगढ़ में पिछले कुछ समय से बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. जिसने भाजपा को हर बार कड़ी टक्कर दी है. वहीं मेयर चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने चंडीगढ़ के प्रदेश सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा को पंजाब के लार्ज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड का चेयरमैन बना दिया है.
माना जा रहा है पार्टी को एकजुट रखने और क्रॉस वोटिंग से बचने के लिए आप ने यह दांव खेला है. क्योंकि आप के मेयर पद के उम्मीदवार जसबीर सिंह लाडी को प्रदेश अध्यक्ष प्रेम गर्ग के ग्रुप का माना जाता है. वहीं आम आदमी पार्टी ने यह दावा किया है कि 17 को चमत्कार होगा. वहीं आप ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने शरारत करते हुए मेयर बना लिया था. लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. एक साल में भाजपा कुछ काम नहीं कर पाई थी.
वहीं अगर बात की जाए भाजपा की तो नामांकन के समय कुछ पार्षदों के मुंह पर खुशी कम दिखाई दी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा पार्षदों में भी कहीं न कहीं उम्मीदवारों को लेकर नाराजगी है. अचानक से अनूप गुप्ता का नाम सामने आते ही पार्षद कुछ न बोलते हुए नजर आए. वहीं नामांकन करने के तुरंत बाद ही भाजपा नगर निगम से जल्दबाजी में निकल गई ताकि आम आदमी पार्टी के नेताओं से बातचीत न हो पाए. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे से बचती नजर आई.
पिछली बार कांग्रेस पार्षदों ने चुनाव वॉक आउट कर दिया था. इस बार कांग्रेस फिर से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. अगर कांग्रेस ने वोट नहीं किया और पिछली बार की तरह सदन से वॉक आउट किया तो भाजपा को सीधा फायदा मिलेगा और उनका मेयर बनना तय हो जाएगा. अब हर किसी की नजर कांग्रेस के फैसले पर टिकी है.
वहीं मेयर चुनाव में अपनी स्थिति को साफ करने के लिए हाईकमान के कहने पर चंडीगढ़ कांग्रेस पार्टी अपने पार्षदों के साथ हिमाचल दौरे पर निकल गई है ताकि टूटने से बचा सके, क्योंकि पिछली बार चुनाव में किसी तरह अपने 7 पार्षदों को लेकर जयपुर चली गई थी. फिर भी पार्षद हरप्रीत कौर बबला ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी पार्षदों को लेकर लौटी लेकिन मतदान नहीं किया. आप और भाजपा की लड़ाई में मेयर भाजपा का बन गया.
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मेयर चुनाव आप और भाजपा के लिए मुकाबला कड़ा बना हुआ है. वहीं भाजपा इस बात का संकेत नामांकन के समय दे चुकी है कि उनके पास 15 वोट के अलावा एक और वोट पक्का है. वहीं कांग्रेस टूट के डर से अपने छह पार्षदों को लेकर हिमाचल भ्रमण पर निकल गई है. उनके साथ कांग्रेस के प्रधान एचएस लक्की भी साथ में ही उनके साथ हिमाचल भ्रमण पर गए हैं. वहीं कांग्रेस का पहला पड़ाव कसौली होगा. ऐसे में 17 जनवरी को होने वाले चुनाव तक कांग्रेस के पार्षद भ्रमण पर ही रहेंगे. ऐसे में आप और भाजपा पार्षदों में तोड़फोड़ न करके इसके लिए कांग्रेस अपने पार्षदों के साथ 17 के बाद ही चंडीगढ़ लौटेगी.
वहीं भाजपा के चंडीगढ़ अध्यक्ष ने भी कहा था कि आम आदमी पार्टी लगातार दिल्ली और पंजाब में विरोध का सामना कर रही है. वहीं दिल्ली में उन्हीं के पार्षद गुंडागर्दी करते हैं और उन्होंने चंडीगढ़ के पार्षदों को भी यही सिखाया है. ऐसे में चंडीगढ़ के लोग भी उन्हें मेयर के तौर पर नहीं देखना चाहते. ऐसे में इस बार
वहीं दोनों पार्टियों के अगर समीकरण देखा जाए तो दोनों ही बराबरी पर हैं.
दोनों ही एक दूसरे के पार्षदों को अपनी अपनी पार्टी में खींचने की तरफ लगी है. वहीं दोनों पार्टी पहले ही कांग्रेस के पार्षदों को खरीदने का जोर लगा चुकी है. वहीं कांग्रेस ने भारत जोड़ा यात्रा से लौटने के बाद दोनों पार्टियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ऐसे में 17 जनवरी को आप और भाजपा तक क्या समीकरण बनेगा इसका अंदाजा भी लगाना थोड़ा मुश्किल है.