चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव हुआ है. काफी समय से पार्टी प्रभारी की नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा था. अब विवेक बंसल की जगह हरियाणा को नया प्रभारी मिल गया है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (all india congress committee) ने हरियाणा के नए प्रभारी के तौर पर शक्ति सिंह गोहिल को जिम्मेदारी सौंपी है. इसके साथ ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी की नियुक्ति भी की है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रभार हरियाणा की पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा को दिया गया है. जिन्हें कांग्रेस के महासचिव के साथ प्रभारी बनाया गया है. कांग्रेस ने पीएल पुनिया को छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पद से मुक्त किया है. इसके साथ पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री रहे वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया गया है. इससे पहले राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन थे.
कुमारी सैलजा को बड़ी जिम्मेदारी: कुमारी सैलजा को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है. उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया है. साथ ही उनको अब छत्तीसगढ़ की भी जिम्मेदारी दी गई है. काफी लंबे समय से इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि पार्टी से नाराज चल राजी कुमारी सैलजा को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. हालांकि इससे पहले ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की स्टेयरिंग कमेटी में भी कुमारी सैलजा को शामिल किया गया था.
कुमारी सैलजा की नियुक्ति के मायने: हरियाणा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रही कुमारी सैलजा पहले से ही गांधी परिवार के नजदीकी के तौर पर जानी जाती हैं. उन्हें सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. अब कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने भी उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए जहां पार्टी का महासचिव बनाया है, वहीं उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का भी प्रभार (kumari selja chhattisgarh congress incharge) दिया है.
पार्टी हाईकमान ने कुमारी सैलजा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर हरियाणा कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को बैलेंस करने का काम किया है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हरियाणा में उसकी गुटबाजी है, ऐसे में कुमारी सैलजा की अहम पद पर नियुक्ति होना सभी धड़ों को साथ लेकर चलने की पार्टी की कवायद के तौर पर भी देखा जा सकता है. जब कांग्रेस पार्टी नए दौर से गुजर रही है तो वहीं करीब डेढ़ साल बाद 2024 में लोकसभा चुनाव भी होने हैं.
ऐसे में पार्टी सभी नेताओं की नाराजगी को कहीं ना कहीं दूर करने का भी प्रयास कर रही है. कुमारी सैलजा की नियुक्ति भी इसी बात की ओर संकेत कर रही है. पार्टी हाईकमान भी जानता है कि बीते दिनों आदमपुर में हुए विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी की हार की मुख्य वजह भी हरियाणा में कांग्रेस का दो धड़ों में बंटा हुआ होना था. खास तौर पर इस उपचुनाव में एससी वोट बैंक भी कुमारी सैलजा की दूरी की वजह से पार्टी से दूर रहा. इसी को देखते हुए कहीं ना कहीं पार्टी हाईकमान अब हरियाणा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को संगठन में जगह देकर उन्हें बैलेंस करने का काम कर रहा है.
सुखजिंदर सिंह रंधावा को अहम जिम्मेदारी: पंजाब कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री रही सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी पार्टी हाईकमान ने अहम जिम्मेदारी दी है. सुखजिंदर सिंह रंधावा को अजय माकन की जगह राजस्थान कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है. सुखजिंदर सिंह रंधावा उन नेताओं में से थी, जिन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में बीजेपी के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की थी. वो कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रमुख विरोधियों में से एक थे. वो कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके खिलाफ बगावत करने वालों में से एक नेता थे.
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सुखजिंदर सिंह रंधावा को अहम जिम्मेदारी देने के मायने: पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से सुखजिंदर सिंह रंधावा को कांग्रेस हाईकमान ने अहम जिम्मेदारी देकर कहीं ना कहीं हरियाणा की तर्ज पर ही पंजाब में कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही खींचतान को बैलेंस करने का काम किया है. भले ही हाई कमान ने पंजाब में कांग्रेस की कमान एक युवा नेता अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के हाथ में दे दी हो, लेकिन इससे कहीं ना कहीं पंजाब के कई वरिष्ठ नेता अंदर ही अंदर नाराज भी थे.
कुछ ऐसी ही नाराजगी गाहे-बगाहे सुखजिंदर सिंह रंधावा की भी नजर आती थी. जिसको देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने यहां पर भी युवा और वरिष्ठ नेताओं को तरजीह देते हुए सुखजिंदर सिंह रंधावा को अहम जिम्मेदारी देकर उस खटास को कम करने का काम किया है. यानी कुल मिलाकर बात चाहे हरियाणा की प्रमुख नेताओं में शामिल कुमारी सैलजा की हो या फिर पंजाब के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा की.
इन दोनों की नियुक्ति एक तरफ जहां इन दोनों राज्यों में पार्टी में गुटबाजी को बैलेंस करने के तौर पर देखी जा सकती है. वहीं पार्टी जाति और सियासी समीकरणों को भी साधना चाहती है, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आ चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी इन चुनावों में पंजाब और हरियाणा की कुल 23 सीटों पर खुद को किसी भी तरह से कमजोर बनाकर नहीं रखना चाहती है. इन नियुक्तियों के साथ पार्टी इन सभी सीटों पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी करती हुई दिखाई दे रही है.