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हिन्दी दिवस विशेष: हरियाणा में हिन्दी कितनी बनी जन-जन की भाषा, जानिए यहां - चंडीगढ़ अदालत में हिन्दी जरूरी

हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा देने के लिए एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन भी किया जा चुका है ताकि सरकारी विभागों में हिन्दी को ज्यादा महत्व दिया जाए. मई के पहले सप्ताह में हरियाणा मंत्रिमंडल ने अधीनस्थ न्यायालयों में हिन्दी भाषा की शुरुआत को मंजूरी दी थी ताकि नागरिक पूरी न्यायिक प्रक्रिया को समझ सकें.

chandigarh use of hindi language in high court is necessary
चंडीगढ़: हाइकोर्ट से सम्बंधित अदालतों में हिन्दी का प्रयोग जरूरी
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Published : Sep 14, 2020, 9:08 AM IST

Updated : Sep 14, 2020, 3:28 PM IST

चंडीगढ़: 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी में लिखी हिन्दी को ही भारत की राजभाषा के तौर पर अपनाया था और तभी से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है. हरियाणा सरकार ने भी समय-समय पर हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं. हिन्दी को सरकारी कार्यालयों में ज्यादा महत्व देने के लिए सरकार की तरफ से जहां विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को पत्र लिखा जा चुका है.

वहीं सरकार ने पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में हिन्दी भाषा के प्रयोग को अधिकृत करने का फैसला लिया. राज्य सरकार ने हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम,1969 की धारा 3 में संशोधन किया. इस अधिनियम को अब हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 2020 कहा जाता है.

हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर

हरियाणा में राजभाषा हिन्दी के उपयोग, प्रसार और प्रचार को बढ़ावा देने के दृष्टि से जनगणना कार्य निदेशालय द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के प्रथम त्रैमासिक अप्रैल-जून 2018 के लिए एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया था.

इस कार्यशाला में जनगणना कार्य निदेशालय हरियाणा और पंजाब की सहभागिता रही. जनगणना कार्य निदेशालय, हरियाणा की निदेशक प्रेरणा पुरी ने सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ राजभाषा हिन्दी के महत्व और ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषा के प्रयोग पर बल दिया था.

सरकारी विभागों में हिन्दी भाषा पहली प्राथमिकता

हरियाणा में सरकारी विभागों में कार्य हिंदी में करने को लेकर विभाग के अध्यक्षों को पत्र लिखकर इस तरफ ज्यादा ध्यान देने को कहा गया था. हरियाणा सरकार ने अहम फैसला लेते हुए हाइकोर्ट से सम्बंधित अदालतों में कामकाज हिन्दी में करने को लेकर विधानसभा में 'हरियाणा राजभाषा (संशोधन) विधेयक, 2020' भी पास किया गया था. संशोधन विधेयक में हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969, को आगे संशोधित करने के लिए ये विधेयक पारित किया गया था. इसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में ये प्रावधान है कि हिन्दी राज्य की आधिकारिक भाषा होगी.

विगत 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाया गया. भारतीय संविधान के संस्थापकों ने इस बात पर बल दिया कि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है, इसलिए भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में इसका प्रावधान किया गया है. हरियाणा राज्य को 1966 में भाषायी आधार पर पंजाब के पूर्ववर्ती राज्य से अलग कर दिया गया था क्योंकि इस क्षेत्र में मुख्य रूप से बोली जाने बाली भाषा हिन्दी है.

1969 में हिन्दी हरियाणा की आधिकारिक भाषा घोषित

वर्ष 1969 में हरियाणा राजभाषा अधिनियम की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार, हिन्दी को हरियाणा की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया. पंजाब में, पंजाब राजभाषा अधिनियम, 1967 में, 1969 के पंजाब अधिनियम संख्या 11 द्वारा संशोधन किया गया, जिसमें धारा 3ए और 3बी को जोड़ा गया, कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी सिविल न्यायालयों और आपराधिक न्यायालयों और सभी राजस्व न्यायालयों और अधिकरणों में पंजाबी में काम किया जाएगा.

हरियाणा सरकार को हरियाणा राज्य के 78 विधायकों, हरियाणा के महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक मांग पत्र भी प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने न्यायालयों में प्रयोग के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है ताकि हरियाणा के नागरिक संपूर्ण न्याय प्रक्रिया को अपनी भाषा में समझ सकें और आसानी से अपने विचार न्यायालयों के समक्ष रख सकते हैं.

न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में किया जाए काम

भारत के अधिवक्ताओं और न्यायविदों द्वारा शुरू किया गया भारतीय भाषा अभियान इस दिशा में भी काम कर रहा है कि भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम शुरू किया जाए. इसलिए, पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में हिंदी भाषा के प्रयोग को अधिकृत करना विवेक सम्मत है.

संशोधन विधेयक के अनुसार राज्य के लोगों की भाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए, ये जरूरी है कि इस भाषा का प्रयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के काम में किया जाए. लोकतंत्र में न्याय का उद्देश्य ये है कि वादी को अपनी भाषा में जल्दी न्याय मिलना चाहिए और कार्यवाही के दौरान वादी अवाक नहीं रहना चाहिए.

ये भी पढ़ें: जींद में हुई भाकियू की बैठक, 15 सितंबर से पूरे हरियाणा में होंगे धरने

चंडीगढ़: 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी में लिखी हिन्दी को ही भारत की राजभाषा के तौर पर अपनाया था और तभी से हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है. हरियाणा सरकार ने भी समय-समय पर हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं. हिन्दी को सरकारी कार्यालयों में ज्यादा महत्व देने के लिए सरकार की तरफ से जहां विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को पत्र लिखा जा चुका है.

वहीं सरकार ने पंजाब और हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में हिन्दी भाषा के प्रयोग को अधिकृत करने का फैसला लिया. राज्य सरकार ने हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम,1969 की धारा 3 में संशोधन किया. इस अधिनियम को अब हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम 2020 कहा जाता है.

हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने पर जोर

हरियाणा में राजभाषा हिन्दी के उपयोग, प्रसार और प्रचार को बढ़ावा देने के दृष्टि से जनगणना कार्य निदेशालय द्वारा वित्त वर्ष 2018-19 के प्रथम त्रैमासिक अप्रैल-जून 2018 के लिए एक दिवसीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया था.

इस कार्यशाला में जनगणना कार्य निदेशालय हरियाणा और पंजाब की सहभागिता रही. जनगणना कार्य निदेशालय, हरियाणा की निदेशक प्रेरणा पुरी ने सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ राजभाषा हिन्दी के महत्व और ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषा के प्रयोग पर बल दिया था.

सरकारी विभागों में हिन्दी भाषा पहली प्राथमिकता

हरियाणा में सरकारी विभागों में कार्य हिंदी में करने को लेकर विभाग के अध्यक्षों को पत्र लिखकर इस तरफ ज्यादा ध्यान देने को कहा गया था. हरियाणा सरकार ने अहम फैसला लेते हुए हाइकोर्ट से सम्बंधित अदालतों में कामकाज हिन्दी में करने को लेकर विधानसभा में 'हरियाणा राजभाषा (संशोधन) विधेयक, 2020' भी पास किया गया था. संशोधन विधेयक में हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969, को आगे संशोधित करने के लिए ये विधेयक पारित किया गया था. इसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में ये प्रावधान है कि हिन्दी राज्य की आधिकारिक भाषा होगी.

विगत 26 जनवरी, 1950 को हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाया गया. भारतीय संविधान के संस्थापकों ने इस बात पर बल दिया कि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ हिन्दी को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है, इसलिए भारत के संविधान की 8वीं अनुसूची में इसका प्रावधान किया गया है. हरियाणा राज्य को 1966 में भाषायी आधार पर पंजाब के पूर्ववर्ती राज्य से अलग कर दिया गया था क्योंकि इस क्षेत्र में मुख्य रूप से बोली जाने बाली भाषा हिन्दी है.

1969 में हिन्दी हरियाणा की आधिकारिक भाषा घोषित

वर्ष 1969 में हरियाणा राजभाषा अधिनियम की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार, हिन्दी को हरियाणा की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया. पंजाब में, पंजाब राजभाषा अधिनियम, 1967 में, 1969 के पंजाब अधिनियम संख्या 11 द्वारा संशोधन किया गया, जिसमें धारा 3ए और 3बी को जोड़ा गया, कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी सिविल न्यायालयों और आपराधिक न्यायालयों और सभी राजस्व न्यायालयों और अधिकरणों में पंजाबी में काम किया जाएगा.

हरियाणा सरकार को हरियाणा राज्य के 78 विधायकों, हरियाणा के महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक मांग पत्र भी प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने न्यायालयों में प्रयोग के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है ताकि हरियाणा के नागरिक संपूर्ण न्याय प्रक्रिया को अपनी भाषा में समझ सकें और आसानी से अपने विचार न्यायालयों के समक्ष रख सकते हैं.

न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में किया जाए काम

भारत के अधिवक्ताओं और न्यायविदों द्वारा शुरू किया गया भारतीय भाषा अभियान इस दिशा में भी काम कर रहा है कि भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम शुरू किया जाए. इसलिए, पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में हिंदी भाषा के प्रयोग को अधिकृत करना विवेक सम्मत है.

संशोधन विधेयक के अनुसार राज्य के लोगों की भाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए, ये जरूरी है कि इस भाषा का प्रयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के काम में किया जाए. लोकतंत्र में न्याय का उद्देश्य ये है कि वादी को अपनी भाषा में जल्दी न्याय मिलना चाहिए और कार्यवाही के दौरान वादी अवाक नहीं रहना चाहिए.

ये भी पढ़ें: जींद में हुई भाकियू की बैठक, 15 सितंबर से पूरे हरियाणा में होंगे धरने

Last Updated : Sep 14, 2020, 3:28 PM IST
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