चंडीगढ़: 5 सितंबर को हर साल देशभर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन हरियाणा सरकार उन सभी शिक्षकों को सम्मानित करती है, जो शिक्षा के साथ-साथ बच्चों से एक्स्ट्रा एक्टिविटी भी करवाते हैं. इस बार राज्य सम्मान से सिरसा की रहने वाली संगीता को भी नवाजा गया है. राज्य सरकार द्वारा सम्मानित अंग्रेजी विषय की शिक्षिका संगीता ने ईटीवी भारत से बातचीत की और अपने सफर का संघर्ष बताया.
बतौर महिला शिक्षिका की भूमिका निभाना कितनी बड़ी चुनौती: संगीता ने बताया कि बचपन से ही टीचर बनने का ख्वाब देखा था. लेकिन पारिवारिक माहौल ऐसा नहीं था कि वो स्कूल में जाकर पढ़ाई कर सके और लड़कों के स्कूल में जाने की तो इजाजत ही नहीं थी. उन्होंने बताया कि दसवीं के बाद ही उनके माता-पिता उन्हें स्कूल से निकालना चाहते थे. क्योंकि गांव में लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता था. उनके इस सफर में वो अपने टीचरों का सबसे बड़ा योगदान मानती हैं. उन्होंने बताया कि उनके टीचरों ने उन्हें हमेशा पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया.
टॉपर संगीता ने ऐसे की पढ़ाई: संगीता ने बताया कि दसवीं में उन्होंने टॉप किया था. जिसके बाद रनिया में वोकेशनल एजुकेशनल इंस्टिट्यूट ओपन हुआ. उन्होंने सिलाई कढ़ाई का कोर्स करने के बहाने दादी से बारहवीं की पढ़ाई करने के लिए दादी से कहा, हालांकि घर में उनकी पढ़ाई के बारे में किसी और को पता नहीं था. उन्होंने बताया कि बारहवीं में भी उन्होंने टॉप किया. जिसके बाद उनके अध्यापकों ने उनके घर आकर इस सफलता के लिए संगीता को शुभकामनाएं दी. इसके बाद टीचरों ने उनसे जेबीटी करने को कहा. वहां के लिए भी परिजनों ने इजाजत नहीं देनी चाही. लेकिन संगीता का कहना है कि उन्होंने जेबीटी में भी टॉप किया.
'परिवार में किसी ने नहीं की थी इतनी पढ़ाई': जेबीटी के बाद संगीता के अध्यापकों ने उन्हें बीए की पढ़ाई करने के लिए कहा. लेकिन घर में किसी ने भी बीए नहीं की थी. तो संगीता के टीचरों ने उन्हें प्राइवेट पढ़ाई करने को कहा. जिसके बाद बीए तृतीया वर्ष में ही संगीता की नौकरी लग गई. संगीता का कहना है कि उनको शिक्षक जगत में 25 साल हो गए हैं. उनका मानना है कि सभी लड़कियों को वह भी ऐसे ही शिक्षित करना चाहती है, जैसे उनके टीचरों ने उनका साथ दिया था. उनके टीचरों ने जैसे उन्हें पढ़ाई करने की प्रेरणा दी थी. संगीता ने कहा कि वो भी बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहती हैं.
ससुराल में कंप्लीट की M.A: संगीता ने बताया कि उनकी शादी भी एक शिक्षित परिवार में हुई है. ससुराल वालों का उन्हें हमेशा से स्पोर्ट मिलता रहा है. संगीता का कहना है कि उनकी सास ने उन्हें अंग्रेजी में एमए की पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रोत्साहित किया है. शादी होते ही उनकी सास ने उनको कोचिंग ज्वाइन करवा ली थी. संगीता बताती हैं कि उन्होंने ससुराल में घर को भी संभाला और पढ़ाई भी की. इस मुकाम तक आने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है.
बच्चों को प्रेरित करती हैं संगीता: संगीता बताती हैं कि सबसे पहले हमारे वेलविशर हमारे माता-पिता होते हैं. उन्होंने बच्चों को भी यही सिखाया है कि उनके माता-पिता कितना संघर्ष करके अपने बच्चों से पढ़ाई कराते हैं. संगीता का कहना है कि बच्चों को प्रैक्टिकल लाइफ जीनी चाहिए न कि फिल्मों और सीरियल की तरह. बच्चों को अपने जीवन में नाटकों और फिल्मों को नहीं रीयल लाइफ को फॉलो करना चाहिए. अपने माता-पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए, उनकी मदद करनी चाहिए. लड़कियों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए. अपने जीवन में मेहनत करनी चाहिए और हमारे जीवन का असली श्रृंगार हमारी शिक्षा होती है.
संगीता की उपलब्धियां: हरियाणा सरकार से राज्य पुरस्कार का सम्मान पाने वाली संगीता का कहना है कि जेबीटी में रहते हुए वह जिला स्तर पर 6-7 बार सम्मानित हो चुकी हैं. क्योंकि संगीता TLM के माध्यम से बच्चों को पढ़ाती हैं. संगीता का कहना है कि लोकल बोली में बच्चों को अंग्रेजी सिखाती है जिसके चलते जो बच्चे अंग्रेजी न भी पढ़ना चाहे वो भी शौक से पढ़ते हैं. जिसकी वजह से उनका रिजल्ट हमेशा बहुत अच्छा रहता है. संगीता का कहना है कि बच्चे उनकी अंग्रेजी की क्लास में खूब रुचि लेकर पढ़ाई करते हैं.