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चंडीगढ़ में तेजी से खत्म हो रही इन ऐतिहासिक पेड़ों की विरासत

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Published : Aug 4, 2021, 7:15 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 7:32 PM IST

सिटी ब्यूटिफुल के नाम से मशहूर चंडीगढ़ (City Beautiful Chandigarh) देश का ऐसा शहर है जिसे हरियाली के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है. लेकिन अब इस पहचान पर खतरा मंडरा (trees losing their heritage) रहा है.

Chandigarh roads named on trees
Chandigarh roads named on trees

चंडीगढ़: सिटी ब्यूटिफुल के नाम से मशहूर चंडीगढ़ (City Beautiful Chandigarh) देश का ऐसा शहर है जिसे हरियाली के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है. चंडीगढ़ में इस वक्त 45 फीसदी से ज्यादा इलाके में हरियाली (Chandigarh 45% greenery) है. चंडीगढ़ को फ्रांस के आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने डिजाइन (French architect Le Corbusier) किया था. जानकारों के मुताबिक उस वक्त उन्होंने ये तय किया था कि चंडीगढ़ हरियाली से भरा शहर होगा.

आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने डिजाइन में इस बात का खास ध्यान रखा था. उन्होंने चंडीगढ़ में कई सड़कों के नाम अलग-अलग पेड़ों के नाम पर रखे थे और उन सड़कों के दोनों और वैसे ही पेड़ भी लगाए थे, लेकिन वक्त बीतने के साथ सड़कों से पेड़ गायब हो गए. जब चंडीगढ़ को बनाया गया था तब ये नियम भी बनाए गए थे कि चंडीगढ़ शहर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. चंडीगढ़ को जिस तरह से डिजाइन किया गया है चंडीगढ़ वैसा ही रहेगा.

चंडीगढ़ में तेजी से खत्म हो रही इन पेड़ों की विरासत

इसलिए चंडीगढ़ का ज्यादातर स्वरूप आज भी वही है, जैसा 60 साल पहले था. अब चंडीगढ़ का ये स्वरूप विरासत बन चुका है. इसमें कोई भी फेरबदल करना संभव नहीं है. लेकिन सड़कों पर लगाए गए पेड़ अपना अस्तित्व खो चुके हैं. ये वो पेड़ थे जिनके नाम पर सड़कों के नाम रखे गए थे. ये पेड़ अब अपनी विरास्त को खोते जा रहे हैं. चंडीगढ़ में सेक्टर-26 और सेक्टर-7 के बीच की सड़क को इमली रोड का नाम दिया गया था. सेक्टर 24-25 के रोड को मरोड़ फली का नाम दिया गया.

मध्य मार्ग के पास कसिया रोड, सेक्टर 27 और 30 की सड़क को तुन्न रोड का नाम दिया गया था. इन सभी पेड़ों को उन सड़कों के दोनों और लगाया भी गया था, लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ ये पेड़ खत्म हो गए. इनकी जगह दूसरी नई प्रजाति के पेड़ लगा दिए गए. जिसकी वजह से वो पेड़ अब अपनी विरासत को खो रहे हैं. इतना ही नहीं जो पेट लगाए गए हैं, उनकी उम्र 20 से 30 साल ही है.

Chandigarh roads named on trees
बदलते वक्त के साथ-साथ सड़कों के किनारे मिक्स पेड़ लगाए जा रहे हैं.

इस बारे में ईटीवी से बातचीत में पर्यावरणविद राहुल महाजन ने कहा कि एक तरफ तो प्रशासन चंडीगढ़ की विरासत को संजोने का नाटक करता है और दूसरी ओर प्रशासन खुद ही उस विरासत को खत्म करने में लगा हुआ है. अगर प्रशासन ने पुराने पेड़ों पर ध्यान दिया होता तो वो पेड़ मरते नहीं, बल्कि इन सड़कों के किनारों पर लहलहा रहे होते. लेकिन वक्त रहते उन पेड़ों पर ध्यान नहीं दिया गया. जिससे वे पर धीरे-धीरे खत्म हो गए. उनकी जगह जो पेड़ लगाए गए हैं उनकी उम्र ज्यादा नहीं है. कुछ ही सालों में वो पेड़ भी खत्म हो जाएंगे और तब चंडीगढ़ की हरियाली पर ये एक दाग की तरह होगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में बुजुर्ग पेड़ों को भी मिल सकती है पेंशन, जानिए पूरी स्कीम

पर्यावरणविद राहुल महाजन ने कहा कि आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने चंडीगढ़ में बहुत सोच समझकर चुनिंदा पौधे लगाए थे. हर पौधे के लगाने के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर था, लेकिन आज प्रशासन उनकी इस सोच को समझ नहीं पा रहा है. जिस वजह से चंडीगढ़ में उनके द्वारा लगाई गई कई प्रजातियां तो पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं. अगर यही हाल रहा तो चंडीगढ़ की हरियाली ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी.

चंडीगढ़: सिटी ब्यूटिफुल के नाम से मशहूर चंडीगढ़ (City Beautiful Chandigarh) देश का ऐसा शहर है जिसे हरियाली के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है. चंडीगढ़ में इस वक्त 45 फीसदी से ज्यादा इलाके में हरियाली (Chandigarh 45% greenery) है. चंडीगढ़ को फ्रांस के आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने डिजाइन (French architect Le Corbusier) किया था. जानकारों के मुताबिक उस वक्त उन्होंने ये तय किया था कि चंडीगढ़ हरियाली से भरा शहर होगा.

आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने डिजाइन में इस बात का खास ध्यान रखा था. उन्होंने चंडीगढ़ में कई सड़कों के नाम अलग-अलग पेड़ों के नाम पर रखे थे और उन सड़कों के दोनों और वैसे ही पेड़ भी लगाए थे, लेकिन वक्त बीतने के साथ सड़कों से पेड़ गायब हो गए. जब चंडीगढ़ को बनाया गया था तब ये नियम भी बनाए गए थे कि चंडीगढ़ शहर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. चंडीगढ़ को जिस तरह से डिजाइन किया गया है चंडीगढ़ वैसा ही रहेगा.

चंडीगढ़ में तेजी से खत्म हो रही इन पेड़ों की विरासत

इसलिए चंडीगढ़ का ज्यादातर स्वरूप आज भी वही है, जैसा 60 साल पहले था. अब चंडीगढ़ का ये स्वरूप विरासत बन चुका है. इसमें कोई भी फेरबदल करना संभव नहीं है. लेकिन सड़कों पर लगाए गए पेड़ अपना अस्तित्व खो चुके हैं. ये वो पेड़ थे जिनके नाम पर सड़कों के नाम रखे गए थे. ये पेड़ अब अपनी विरास्त को खोते जा रहे हैं. चंडीगढ़ में सेक्टर-26 और सेक्टर-7 के बीच की सड़क को इमली रोड का नाम दिया गया था. सेक्टर 24-25 के रोड को मरोड़ फली का नाम दिया गया.

मध्य मार्ग के पास कसिया रोड, सेक्टर 27 और 30 की सड़क को तुन्न रोड का नाम दिया गया था. इन सभी पेड़ों को उन सड़कों के दोनों और लगाया भी गया था, लेकिन बदलते वक्त के साथ-साथ ये पेड़ खत्म हो गए. इनकी जगह दूसरी नई प्रजाति के पेड़ लगा दिए गए. जिसकी वजह से वो पेड़ अब अपनी विरासत को खो रहे हैं. इतना ही नहीं जो पेट लगाए गए हैं, उनकी उम्र 20 से 30 साल ही है.

Chandigarh roads named on trees
बदलते वक्त के साथ-साथ सड़कों के किनारे मिक्स पेड़ लगाए जा रहे हैं.

इस बारे में ईटीवी से बातचीत में पर्यावरणविद राहुल महाजन ने कहा कि एक तरफ तो प्रशासन चंडीगढ़ की विरासत को संजोने का नाटक करता है और दूसरी ओर प्रशासन खुद ही उस विरासत को खत्म करने में लगा हुआ है. अगर प्रशासन ने पुराने पेड़ों पर ध्यान दिया होता तो वो पेड़ मरते नहीं, बल्कि इन सड़कों के किनारों पर लहलहा रहे होते. लेकिन वक्त रहते उन पेड़ों पर ध्यान नहीं दिया गया. जिससे वे पर धीरे-धीरे खत्म हो गए. उनकी जगह जो पेड़ लगाए गए हैं उनकी उम्र ज्यादा नहीं है. कुछ ही सालों में वो पेड़ भी खत्म हो जाएंगे और तब चंडीगढ़ की हरियाली पर ये एक दाग की तरह होगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में बुजुर्ग पेड़ों को भी मिल सकती है पेंशन, जानिए पूरी स्कीम

पर्यावरणविद राहुल महाजन ने कहा कि आर्किटेक्ट ली कार्बुजिए ने चंडीगढ़ में बहुत सोच समझकर चुनिंदा पौधे लगाए थे. हर पौधे के लगाने के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर था, लेकिन आज प्रशासन उनकी इस सोच को समझ नहीं पा रहा है. जिस वजह से चंडीगढ़ में उनके द्वारा लगाई गई कई प्रजातियां तो पूरी तरह से खत्म हो चुकी हैं. अगर यही हाल रहा तो चंडीगढ़ की हरियाली ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी.

Last Updated : Aug 4, 2021, 7:32 PM IST
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