चंडीगढ़: चंडीगढ़ पीजीआई में रोजाना 10 हजार के आस पास मरीज पहुंच रहे हैं. सैकड़ों के संख्या ऐसी है जिन्हें इमरजेंसी की हालत में पीजीआई लाया जाता है. ऐसे में मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते इलाज में देरी भी होती है लेकिन पीजीआई टेलीमेडिसिन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब इस बोझ को कम करने का काम किया जा रहा है. पीजीआई में साल 2005 में टेलीमेडिसिन की शुरुआत की गई थी. अब जाकर टेलीमेडिसिन की सुविधा सही मायने में लोगों तक पहुंच रही है. पीजीआई टेलीमेडिसिन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा के 10 कंसलटेंट ग्रामीण इलाकों तक पीजीआई के स्तर का इलाज पहुंचा रहे हैं.
चंडीगढ़ पीजीआई में टेलीमेडिसिन सुविधा: बता दें कि टेलीमेडिसिन की सुविधा 2005 में शुरू की गई थी. तब इस सुविधा के बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी. उस समय पीजीआई द्वारा टेलीमेडिसिन की सुविधा पंजाब को ही दी जाती थी. लेकिन, पंजाब की तरफ से लगातार पीजीआई के डॉक्टर पर ही बोझ डालने चलते यहां के डॉक्टरों द्वारा इस सुविधा को बंद कर दिया गया. जैसे ही कोविड शुरू हुआ, टेलीमेडिसिन सुविधा को एक बार फिर शुरू किया गया. ऐसे में पीजीआई को हरियाणा सरकार द्वारा डॉक्टरों टीम सौंपी गयी. इन डॉक्टरों द्वारा टेलीमेडिसिन सुविधा को शहरी और ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाया गया.
पीजीआई में टेलीमेडिसिन की शुरुआत: जानकारी के मुताबिक पीजीआई टेलीमेडिसिन विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक घर में रहने वाले मरीजों को पीजीआई में बैठे हुए डॉक्टरों द्वारा इलाज मुहैया कराया जा रहा है. विभाग की मानें तो टेलीमेडिसिन की सुविधा अस्पतालों में बढ़ रहे बोझ को कम कर रही है. इस सेवा का फायदा सबसे अधिक ग्रामीण इलाकों द्वारा लिया जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक शहर के अस्पतालों में जहां रोजाना आने वाले मरीजों का बोझ कम करने में मदद मिल रही है. वहीं, जिन लोगों को सिर्फ दवा से ही आराम मिलता है. उन्हें घर बैठे ही इलाज मुहैया करवाया जा रहा है. हर महीने टेलीमेडिसिन विभाग के माध्यम से 7 से 8 हजार मरीजों का इलाज संभव हो पा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक टेली मेडिसिन के जरिए इलाज करने वाले मरीजों में कुल 30 फीसदी मरीजों को ही अस्पताल में दिखाने के लिए कहा गया.
चंडीगढ़ पीजीआई टेलीमेडिसिन विभाग की रिपोर्ट: चंडीगढ़ पीजीआई टेलीमेडिसिन विभाग के डॉक्टर अमित अग्रवाल ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि यह शोध रोल ऑफ टेलीमेडिसिन में ऑब्स्ट्रक्टिव एंड गायनेकोलॉजी इन एक्सपर्ट एट टर्शरी केयर सेंटर के नाम से किया गया था. इसमें करीब 3200 मरीजों को शामिल किया गया. यह शोध 10 महीने के दौरान की गई थी. जहां पाया गया कि 3219 मरीजों में से 71.5 फीसदी मरीज स्त्री रोग और मासिक धर्म से संबंधित इलाज चाहते हैं. वहीं, 29% मामलों में गर्भावस्था से संबंधित सुझाव को लेकर सवाल किये जाते हैं.
हरियाणा के 10 डॉक्टर पहुंचा रहे टेलीमेडिसिन की सुविधा: वहीं, डॉक्टर अमित अग्रवाल ने बताया कि मौजूदा समय में चंडीगढ़ पीजीआई के पांच डॉक्टरों की टीमों काम कर रही है. इसके साथ ही हरियाणा के 10 डॉक्टर भी शामिल हैं जो हरियाणा के ग्रामीण इलाकों तक टेलीमेडिसिन की सुविधा पहुंच रहे हैं. शुरुआती दौर पर हरियाणा सरकार द्वारा हमें पांच कंसलटेंट दिए गए थे. जैसे ही इस सुविधा का प्रभाव बढ़ने लगा तो हरियाणा सरकार द्वारा पांच और कंसलटेंट को पीजीआई में भेजा गया. इस समय 10 कंसल्टेंट द्वारा हरियाणा के ग्रामीण इलाकों तक इस सुविधा को पहुंचाया जा रहा है.
टेलीमेडिसिन की सुविधा से पीजीआई पर बोझ कम: डॉक्टर ने बताया कि पीजीआई में उत्तर भारत के सभी राज्यों का बोझ पड़ता है. वहीं, हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ होने के चलते मरीज अपनी छोटी-छोटी बीमारी को लेकर पीजीआई पहुंचते हैं. ऐसे में टेलीमेडिसिन स्थिति में बीते सालों के मुकाबले अच्छा काम कर रही है. उन्होंने बताया कि हरियाणा में बच्चे और मां की मृत्यु दर और राज्य के मुकाबले अधिक है. इसके चलते टेलीमेडिसिन की मदद से गर्भवती महिलाओं को इलाज मुहैया करवाया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर हरियाणा में सबसे अधिक चर्म रोग से संबंधित मरीज देखे गए हैं. ऐसे में बीते समय से लेकर अब तक इस क्षेत्र में काम किया जा रहा है और मरीजों को चर्म से संबंधित रोग को बढ़ने से रोका गया है. आने वाले समय में चंडीगढ़ के सेहत संस्थानों से भीड़ को कम करने की और तेजी से काम किया जाएगा.
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