चंडीगढ़: अभी तक लीवर फेलियर की बीमारी बड़ी उम्र के लोगों में देखी जाती थी. जो लोग मोटापे के शिकार हैं या शराब का ज्यादा सेवन (Leaver fail Alcohol Consumption) करते हैं या जिनकी खान-पान की आदतें सही नहीं हैं, उन लोगों में लीवर की बीमारियां देखी जा रही थी, लेकिन अब छोटे बच्चों में भी यह बीमारियां तेजी से सामने आ रही हैं. बहुत से मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिनमें बच्चों का लीवर फेल तक हो जाता है. कई बार समय पर इलाज ना मिलने की वजह से बच्चों की मौत भी हो जाती है.
इस गंभीर बीमारी के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने चंडीगढ़ पीजीआई के पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी विभाग (Department of Pediatric Hepatology) की एचओडी प्रोफेसर साधना लाल से बात की. डॉ. साधना लाल का भी कहना है कि पीजीआई में बहुत से बच्चे आते हैं जो लीवर की बीमारियों से पीड़ित होते हैं. इन्हें हम दो भागों में बांटते हैं पहले जो छोटे बच्चे हैं जिनकी उम्र 2 साल या उससे भी कम है और दूसरे थोड़े बड़े बच्चे जिनकी उम्र 5 से 10 साल या उससे ज्यादा है.
डॉक्टर साधना ने बताया कि छोटी उम्र के बच्चों में बचपन से ही कई ऐसी दिक्कतें होती हैं, जिनसे उनके लीवर में समस्याएं आ जाती हैं. बच्चे बचपन से ही कई अन्य बीमारियों से पीड़ित होते हैं. जिसका असर उनके लीवर पर पड़ता है, लेकिन जो थोड़े बड़े बच्चे होते हैं उनमें से ज्यादातर बच्चों में लीवर की बीमारियां जंक फूड और स्ट्रीट फूड खाने और कोल्ड ड्रिंक का ज्यादा सेवन करने की वजह से होती हैं.
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आजकल बच्चे बड़ी मात्रा में जंक फूड स्ट्रीट फूड खा रहे हैं. कोल्ड ड्रिंक पी रहे हैं जिसका उनके लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. बच्चों में मोटापे की समस्या भी बढ़ रही है, जिससे उनका लिवर फैटी हो जाता है. लिवर में इन्फेक्शन भी हो जाता है और बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं. इसके अलावा अगर बच्चा गंदा पानी पी रहा है या सड़कों पर खुले में रखी खाने की चीजों को खा रहा है तो इससे उसे हेपेटाइटिस जैसी बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है. आगे चलकर उनके लीवर के फेल होने की संभावना भी काफी बढ़ जाती है.
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डॉ. साधना ने कहा कि माता-पिता को बच्चों को जंक फूड यह सड़कों पर खुले में रखे खाने की चीजें बिल्कुल नहीं खाने देनी चाहिए. उन्हें कोल्ड ड्रिंक का सेवन ना करने दें. इसके अलावा अगर बच्चे में मोटापा बढ़ रहा है, तो तुरंत उसके लिवर की जांच कराएं साथ ही साथ बच्चों में मोटापा ना बढ़ने दें. बच्चों से हमेशा कोई ना कोई फिजिकल एक्टिविटी करवाते रहें. अगर बच्चों की खेलकूद और अन्य फिजिकल एक्टिविटी जारी रहेंगी तो उसका लीवर भी स्वस्थ रहेगा.
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डॉ. साधना ने बताया कि चंडीगढ़ पीजीआई में ही हर साल ऐसे बहुत से बच्चे आते हैं, जिनका लीवर फेल हो चुका होता है. उसका एकमात्र रास्ता लिवर ट्रांसप्लांट ही होता है, लेकिन दुर्भाग्य से सभी बच्चों का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो पाता. उन्होंने बताया कि देश में कई बड़े अस्पताल हैं जहां पर लिवर ट्रांसप्लांट होता है, लेकिन उनकी फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब मां-बाप अपने बच्चों का लिवर ट्रांसप्लांट नहीं करवा पाते.