चंडीगढ़: पीजीआई में काम कर रहे डॉ. राजीव चौहान ने महिंद्रा ग्रुप पर आइडिया चोरी का आरोप लगाया है. ईटीवी भारत से डॉ. राजीव चौहान ने बताया कि 1 साल मेहनत कर उन्होंने और उनकी टीम ने एक 'एंबू बैग' का अविष्कार किया. ये एंबू बैग वेंटिलेटर का अच्छा विकल्प बन सकता है. जो कोरोना मरीजों के लिए बेहद उपयोगी है.
डॉ. चौहान का दावा है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर उनके साथियों ने मेल से महिंद्रा कंपनी से संपर्क किया था, जिसके बाद महिंद्रा कंपनी के एक अधिकारी ने संपर्क भी किया और प्रोजेक्ट के बार में जानकारी ली. 48 घंटे के बाद आनंद महिंद्रा ने ट्वीट के जरिए उनके प्रोडक्ट के जैसा ही अपने नाम से प्रोडक्ट लॉन्च करने करने की घोषणा कर दी.
आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर दी थी प्रोडक्ट की जानकारी
महिंद्रा कंपनी के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने एक ट्वीट किया और उस ट्वीट में उन्होंने यह लिखा कि महिंद्र कंपनी ने एक एंबू बैग बनाया है जिसकी कीमत 7500 रुपये रखी गई है. जल्द ही इसे बाजार में लाने की बात भी कही गई. डॉ. राजीव चौहान के मुताबिक यह एम्बू बैग बिल्कुल वैसा ही है जैसा उन्होंने और उनकी टीम ने बनाया था.
करीब 1 सप्ताह पहले डॉ. राजीव चौहान द्वारा बनाए गए एम्बु बैग को लेकर ईटीवी भारत ने खबर दिखाई थी. राजीव चौहान का दावा था कि इस प्रोडक्ट को वेंटिलेटर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉक्टर चौहान का कहना है कि उन्होंने कड़ी मेहनत के बाद एंबू बैग बनाया था जो महंगे वेंटिलेटर का विकल्प बन सकता है. उनकी कोशिश थी कि देश में जहां पर वेंटिलेटर की कमी हो वहां पर इसको मुहैया करवाया जाए.
महिंद्रा ग्रुप ने धोखा किया है- राजीव चौहान
डॉ. चौहान का कहना है कि हमने 1 साल की मेहनत के बाद इसको तैयार किया, लेकिन महिंद्रा कम्पनी ने इसे 48 घंटे में कैसे बना लिया. डॉक्टर राजीव चौहान का कहना है कि जब महिंद्रा कंपनी के अधिकारी उनसे इस प्रोडक्ट के बारे में बात कर रहे थे तो उन्होंने उन्हें सारी जानकारी मुहैया करवाई. उन्हें लगता था कि महिंद्रा देश की बड़ी कंपनी है और वह देशवासियों के लिए कुछ करना चाहती है, लेकिन महिंद्रा कंपनी ने उनके साथ धोखा किया है. अगर उन्हें पहले से कंपनी की मंशा का पता होता तो वह कभी अपने प्रोडक्ट की जानकारी उनके साथ साझा नहीं करते.
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Kudos to cheaters 👏👏👏. Mahindra’s invited ideas in the name of charity and smartly copied the forwarded design. Nasir Deshmukh seen in video should be awarded because for forging our idea in short span of 48 hours for which we worked hard for more than one year. pic.twitter.com/Op3dymlZbA
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— Rajeev Chauhan (@RajeevC89610761) March 26, 2020Kudos to cheaters 👏👏👏. Mahindra’s invited ideas in the name of charity and smartly copied the forwarded design. Nasir Deshmukh seen in video should be awarded because for forging our idea in short span of 48 hours for which we worked hard for more than one year. pic.twitter.com/Op3dymlZbA
— Rajeev Chauhan (@RajeevC89610761) March 26, 2020
पीएमओ से शिकायत
डॉ. चौहान ने बताया कि उन्होंने इस प्रोडक्ट के पेटेंट के लिए भी आवेदन किया हुआ है. उन्होंने कहा कि हम इतनी बड़ी कंपनी से लड़ने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने पीएमओ में इसकी शिकायत दी है और चंडीगढ़ पीजीआई फैकेल्टी एसोसिएशन में भी यह शिकायत दर्ज कराई है.
कौन हैं डॉक्टर राजीव चौहान
डॉ. राजीव चौहान पीजीआई में एनेस्थीसिया विभाग में कार्य कर रहे हैं. इस प्रोडक्ट को बनाने में उनके एक डॉक्टर सहयोगी और दो इंजीनियर सहयोगियों ने मदद की है. छोटे साइज का एंबू बैग आसानी से कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है. जिसका वजन करीब डेढ़ किलोग्राम है, और छोटे होने की वजह से एंबुलेंस में भी इमरजेंसी के दौरान इसकी मदद ली जा सकती है.
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