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ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी डिस्काउंट के नाम पर लोगों से ऐसे करती हैं बड़ी जालसाजी, हो जाइए सावधान बनें जागरूक

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग आजकल ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन सुविधाों पर निर्भर होने लगे हैं. हालांकि कई बार ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर कई तरह की शिकायतें भी सामने आती हैं. ग्राहक मंगाता कुछ है और उसके पास किसी अन्य चीज कि डिलीवरी हो जाती है. इन सबके बीच चंडीगढ़ में डिस्काउंट के नाम पर एक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी ने ग्राहक के साथ अलग तरीके से जालसाजी की है. पूरा मामला जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. (Fraud in the name of discount online shopping company fraud)

Fraud in the name of discount online shopping company fraud
ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट के नाम पर जालसाजी
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 14, 2023, 1:30 PM IST

ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट के नाम पर जालसाजी.

चंडीगढ़: ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर शॉपिंग वेबसाइट्स लोगों को बेवकूफ बना रही है. ऐसा ही एक मामला एक साल पहले चंडीगढ़ के मनीमाजरा में सामने आया था. जहां एक महिला ने ऑनलाइन बहुचर्चित शॉपिंग वेबसाइट से लैपटॉप बैग ऑर्डर किया था. एक साल की जद्देजहद के बाद कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया. हालांकि महिला इस फैसले से खुश नहीं है. उनका मानना है कि इस तरह की शॉपिंग वेबसाइट को सबक सिखाने वे इस मामले को नेशनल कंज्यूमर कोर्ट तक लेकर जाएंगी.

क्या है पूरा मामला?: जानकारी की मुताबिक मनीमाजरा के शिवालिक एन्क्लेव की रहने वाली दीपिका भारद्वाज ने 17 मई 2022 को एक ऑनलाइन पोर्टल से एक लैपटॉप बैग खरीदा था. ऐसे में वेबसाइट पर ब्रीफकेस की कीमत 38,000 रुपए दिखाई गई थी, जिस पर 20 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया गया था. ऐसे में छूट के बाद शिकायतकर्ता ने इसे 34,960 रुपए में खरीदा. शिकायतकर्ता को सब्जेक्ट ब्रीफकेस के पार्सल की डिलीवरी 23 मई को हुई और जब शिकायतकर्ता ने डिलीवरी बॉक्स खोला, तो ब्रीफकेस की मूल एमआरपी 33,900 रुपए छपी हुई. एमआरपी देखकर शिकायतकर्ता हैरान रह गई. ऐसे में उसे लगा कि ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ने डिस्काउंट के नाम पर धोखा दिया है. इसके बाद महिला ने कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत की.

MRP से अधिक राशि लेने के अधिकार नहीं: इस पूरे मामले को समझने के लिए ईटीवी भारत ने वकील पंकज चांदगोठिया से बातचीत की. एडवोकेट पंकज ने बताया कि एमआरपी से अधिक राशि प्राप्त करने किसी भी विक्रेता के अधिकार में नहीं आता है. शिकायतकर्ता की वकील रक्षा राघव ने अतिरिक्त कीमत की वापसी के अलावा दंडात्मक क्षतिपूर्ति का दावा किया.

जागरूक बनें सतर्क रहें: इस केस को देख रहे वकील पंकज चांदगोठिया ने बताया कि नियमों के मुताबिक एमआरपी रेट से अधिक कोई भी विक्रेता अपने सामान को नहीं बेच सकता. अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म इस तरह की जालसाजी आम लोगों से करते हैं. शिकायतकर्ता महिला पढ़ी लिखी थी ऐसे में वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक थी. इस संबंध में कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा दी. 1 साल बाद कंज्यूमर कोर्ट ने महिला के हक में फैसला सुनाते हुए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट को जुर्माना लगाया. उन्होंने बताया कि कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के चलते इस तरह की फैसलों में समय लगता है. जहां दोनों तरफ की पार्टी की सुनवाई की जाती है.

ऑनलाइन शॉपिंग से सावधान: जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I यू.टी. चंडीगढ़ ने ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को किसी उत्पाद के MRP अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक वसूलने का दोषी ठहराया है और अनुचित व्यापार व्यवहार में शामिल होने के लिए 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसके तहत ऑनलाइन वेबसाइट द्वारा भारत के उपभोक्ता कानूनों का उल्लंघन किया गया था. उन्होंने बताया कि दलीलें सुनने के बाद जिला आयोग ने संबंधित ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को प्रतिवर्ष 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 1,060 का भुगतान करें. इसके अलावा शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 5,000 की राशि का भी भुगतान करें. शिकायतकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 5000 रुपए दिए जाने का आदेश जारी किया है.

नेशनल कंज्यूमर कोर्ट में जाने की तैयारी में महिला: ऐसे में महिला जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले से खुश नहीं है. महिला का कहना है कि आज कल लोग बड़े स्तर पर ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं. ऐसे में इस तरह की वेबसाइट आसानी से लोगों को बेफकूफ बना देती है, जिसे सबका सिखाया जाना जरूरी है. फिलहाल महिला इस मामले को आगे तक ले जाना चाहती है.

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ऑनलाइन शॉपिंग में डिस्काउंट के नाम पर जालसाजी.

चंडीगढ़: ऑनलाइन डिस्काउंट के नाम पर शॉपिंग वेबसाइट्स लोगों को बेवकूफ बना रही है. ऐसा ही एक मामला एक साल पहले चंडीगढ़ के मनीमाजरा में सामने आया था. जहां एक महिला ने ऑनलाइन बहुचर्चित शॉपिंग वेबसाइट से लैपटॉप बैग ऑर्डर किया था. एक साल की जद्देजहद के बाद कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाया. हालांकि महिला इस फैसले से खुश नहीं है. उनका मानना है कि इस तरह की शॉपिंग वेबसाइट को सबक सिखाने वे इस मामले को नेशनल कंज्यूमर कोर्ट तक लेकर जाएंगी.

क्या है पूरा मामला?: जानकारी की मुताबिक मनीमाजरा के शिवालिक एन्क्लेव की रहने वाली दीपिका भारद्वाज ने 17 मई 2022 को एक ऑनलाइन पोर्टल से एक लैपटॉप बैग खरीदा था. ऐसे में वेबसाइट पर ब्रीफकेस की कीमत 38,000 रुपए दिखाई गई थी, जिस पर 20 प्रतिशत तक डिस्काउंट दिया गया था. ऐसे में छूट के बाद शिकायतकर्ता ने इसे 34,960 रुपए में खरीदा. शिकायतकर्ता को सब्जेक्ट ब्रीफकेस के पार्सल की डिलीवरी 23 मई को हुई और जब शिकायतकर्ता ने डिलीवरी बॉक्स खोला, तो ब्रीफकेस की मूल एमआरपी 33,900 रुपए छपी हुई. एमआरपी देखकर शिकायतकर्ता हैरान रह गई. ऐसे में उसे लगा कि ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ने डिस्काउंट के नाम पर धोखा दिया है. इसके बाद महिला ने कंज्यूमर फोरम में इसकी शिकायत की.

MRP से अधिक राशि लेने के अधिकार नहीं: इस पूरे मामले को समझने के लिए ईटीवी भारत ने वकील पंकज चांदगोठिया से बातचीत की. एडवोकेट पंकज ने बताया कि एमआरपी से अधिक राशि प्राप्त करने किसी भी विक्रेता के अधिकार में नहीं आता है. शिकायतकर्ता की वकील रक्षा राघव ने अतिरिक्त कीमत की वापसी के अलावा दंडात्मक क्षतिपूर्ति का दावा किया.

जागरूक बनें सतर्क रहें: इस केस को देख रहे वकील पंकज चांदगोठिया ने बताया कि नियमों के मुताबिक एमआरपी रेट से अधिक कोई भी विक्रेता अपने सामान को नहीं बेच सकता. अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म इस तरह की जालसाजी आम लोगों से करते हैं. शिकायतकर्ता महिला पढ़ी लिखी थी ऐसे में वह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक थी. इस संबंध में कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करवा दी. 1 साल बाद कंज्यूमर कोर्ट ने महिला के हक में फैसला सुनाते हुए ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट को जुर्माना लगाया. उन्होंने बताया कि कानूनी प्रक्रिया लंबी होने के चलते इस तरह की फैसलों में समय लगता है. जहां दोनों तरफ की पार्टी की सुनवाई की जाती है.

ऑनलाइन शॉपिंग से सावधान: जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I यू.टी. चंडीगढ़ ने ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को किसी उत्पाद के MRP अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक वसूलने का दोषी ठहराया है और अनुचित व्यापार व्यवहार में शामिल होने के लिए 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है, जिसके तहत ऑनलाइन वेबसाइट द्वारा भारत के उपभोक्ता कानूनों का उल्लंघन किया गया था. उन्होंने बताया कि दलीलें सुनने के बाद जिला आयोग ने संबंधित ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता को प्रतिवर्ष 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 1,060 का भुगतान करें. इसके अलावा शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 5,000 की राशि का भी भुगतान करें. शिकायतकर्ता को मुकदमे की लागत के रूप में 5000 रुपए दिए जाने का आदेश जारी किया है.

नेशनल कंज्यूमर कोर्ट में जाने की तैयारी में महिला: ऐसे में महिला जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले से खुश नहीं है. महिला का कहना है कि आज कल लोग बड़े स्तर पर ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं. ऐसे में इस तरह की वेबसाइट आसानी से लोगों को बेफकूफ बना देती है, जिसे सबका सिखाया जाना जरूरी है. फिलहाल महिला इस मामले को आगे तक ले जाना चाहती है.

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