चंडीगढ़ नगर निगम ने एक बार फिर से शहर में गार्बेज प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की योजना बनाई है. नगर निगम प्लांट लगाने वाली कंपनी को जमीन अलॉट करेगा. निगम की तरफ से कंपनी को 80 करोड़ रुपये मशीनरी लगाने के लिए दिए जाएंगे. आम आदमी पार्टी निगम की इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही है. उनका कहना है कि डडूमाजरा में ही इस प्लांट को क्यों लगाया जा रहा है, जबकि पिछले जो प्रोजेक्ट्स लगाए गए हैं. उनका कोई परिणाम अभी तक नहीं निकला है. नगर निगम इसे अपग्रेड करने की योजना बना रहा है. जिसका विपक्ष के नेता विरोध कर रहे हैं.
AAP ने उठाए सवाल: आप पार्टी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में करोड़ों खर्च करने के बाद भी कूड़े के पहाड़ को खत्म नहीं किया जा सकता. बता दें कि सदन की बैठक में बीजेपी ने प्रोसेसिंग प्लांट को बिना किसी बहस के बहुमत से ही पास करा दिया था. जिसके बाद प्रोजेक्ट पर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. आप पार्टी के पार्षदों का कहना है कि 400 करोड़ के प्रोजेक्ट का परिणाम कुछ नहीं निकलेगा. मौजूदा प्रस्ताव में कई ऐसे पॉइंट हैं. जिन्हें नजरअंदाज किया गया है. नगर निगम में सॉलिड वेस्ट के 400 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर ज्यादातर लोगों को नहीं पता कि ये प्रोजेक्ट किस तरह काम करेगा.
निगम को होगा नुकसान! वहीं आप ने आरोप लगाया है कि चंडीगढ़ प्रशासन सीएनजी की बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रमोट कर रहा है. वहीं दूसरी और केंद्र सरकार राज्यों को एनर्जी पैदा करने वाले प्लांट लगाने को प्रोत्साहित कर रही है. 400 करोड़ का प्रोजेक्ट सीएनजी गैस प्लांट के नाम से लगाया जाएगा. आने वाले 25 साल तक इस प्लांट से सीएनजी तैयार होगी. प्रोजेक्ट के लिए जमीन का आवंटन किया गया. गार्बेज प्लांट लगाने के बाद नगर निगम 350 से ज्यादा गाड़ियों से शहर से कचरा लेकर प्लांट तक पहुंचाएंगी. गीला और सूखा कचरा भी अलग अलग करके कंपनी को दिया जाएगा.
कंपनी का काम सिर्फ कचरे को प्रोसेस करना होगा. निगम की गाड़ियों में पेट्रोल का खर्च और ड्राइवरों का वेतन चंडीगढ़ नगर निगम के खाते से ही जाएगा. प्लांट में किये जाने वाले काम के लिए इस्तेमाल होने वाला ईंधन तथा अन्य सामग्री की कमाई कंपनी के खाते में जाएगी. इससे निगम को कुछ नहीं मिलेगा. इन प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम ने कंपनियों की योग्यता के लिए सिर्फ इनपुट की शर्त रखी थी, आउटपुट की नहीं. इस प्रोजेक्ट के लिए वो कंपनी योग्य होगी, जिसने पिछले 5 सालों में म्यूजिकल फ्लाइट वेस्ट मैनेजमेंट का काम किया हो.
उसका पिछले 5 साल में 200 करोड़ रुपये का टर्नओवर हो. शहर से 550 टन कचरा हर रोज डंपिंग ग्राउंड में पहुंचता है. ऐसे में जिस किसी भी कंपनी को इस प्लांट को लगाने का ठेका मिलेगा. वो 55 टन का कचरा बिना प्रोसेस के छोड़ सकती है. वही 1 साल में ही डंपिंग ग्राउंड में 20660 कचरा एकत्रित हो जाएगा. कंपनी को 17 साल के लिए प्रोजेक्ट मिला है, तो 30 हजार टन से अधिक कचरे का पहाड़ बन जाएगा. आम आदमी पार्टी के सीनियर नेता ने कहा कि इस प्रस्ताव में भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है. 400 करोड़ का एजेंडा 1 मिनट में विपक्ष को बाहर निकालकर पास कर दिया.
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उन्होंने बताया कि जेपी कंपनी सब कुछ फ्री में कर रही थी और सिर्फ शिपिंग चार्जेज की मांग कर रही थी. जो नगर निगम ने नहीं मानी और भाजपा ने प्लांट का खूब बाजे गाजे के साथ अधिग्रहण कर लिया. नगर निगम प्लांट एक महीना भी नहीं चल सका. वहीं हालात ये है कि प्रपोजल में ट्रिपिंग चार्जेज भी दिए जा रहे हैं और करोड़ों रुपये हर महीने खर्च किए जा रहे हैं.