चंडीगढ़: चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर पद पर एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया है. सांसद किरण खेर की एक वोट के बल पर बीजेपी ने तीनों पदों पर जीत हासिल की है. वहीं, बीजेपी की जीत का कारण कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के पार्षदों द्वारा मेयर चुनाव का बहिष्कार भी माना जा रहा है. बीजेपी का पिछले आठ सालों से चंडीगढ़ मेयर बन रहा है. 2014 में कांग्रेस की मेयर बनी थीं. उसके बाद से 2015 से भारतीय जनता पार्टी की ही मेयर बनते आ रहे हैं.
इस साल चंडीगढ़ में मेयर पद के लिए भाजपा ने अनूप गुप्ता और आम आदमी पार्टी ने जसबीर सिंह को उतारा था. इसी प्रकार सीनियर डिप्टी मेयर के लिए भाजपा के कंवरजीत राणा और आप की तरुणा मेहता के बीच मुकाबला था. वहीं, डिप्टी मेयर पद के लिए बीजेपी ने हरजीत सिंह और आम आदमी पार्टी ने सुमन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था.
चंडीगढ़ में एक साल का होता है मेयर का कार्यकाल: बता दें कि, चंडीगढ़ में मेयर का कार्यकाल एक साल का होता है. यहां कुल 35 सीटों में से वर्तमान में भाजपा के पास 14, आम आदमी पार्टी के पास 14, कांग्रेस के पास छह तथा शिरोमणि अकाली दल के पास एक पार्षद है. यहां एक वोट सांसद का है. वहीं, इस साल एक बार फिर आठवीं बार बीजेपी के पार्षद अनूप गुप्ता मेयर बने हैं. सीनियर डिप्टी मेयर बीजेपी के कंवरजीत राणा और डिप्टी मेयर के तौर पर बीजेपी के ही हरजीत सिंह को बनाया गया है. इस बार के चुनाव में 35 में से 29 वोटें ही डाली गई, जिनमें से तीनों पदों पर बीजेपी के उम्मीदवारों को 15-15 वोट डाली गई है. आम आदमी पार्टी के 14 पार्षदों द्वारा तीनों सीटों पर 14-14 वोट डाली गई थी. ऐसे में सिर्फ एक वोट के माजन से ही बीजेपी ने तीनों पदों पर कब्जा किया. चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कोई क्रॉस वोटिंग नहीं हुई.
निगम कार्यालय में मंगलवार सुबह 11 बजे चुनाव प्रक्रिया शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने नामजद पार्षदों के हॉल में बैठने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया. आप पार्षदों का आरोप था कि नामजद पार्षदों को यहां बैठने से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होगी. एक घंटे तक तक आम आदमी पार्टी की ओर से हंगामा किया गया, जिसके चलते चुनाव प्रक्रिया एक घंटे लेट शुरू हुई. निर्वाचन अधिकारी द्वारा रूल बुक दिखाए जाने के बाद मेयर पद के लिए चुनाव शुरू हुआ.
वहीं, मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के वोटिंग के समय शांत माहौल में वोटिंग प्रक्रिया निपटाई गई. आप पार्षदों ने वोट डालते समय आप के पार्षदों ने बैलेट पेपर पर स्याही लगे होने का तर्क देते हुए विरोध जताया. ताकि पिछली बार की तरह पेपर के पीछे कुछ लिखा हुआ न पाया जाए. सबसे पहला वोट चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने डाला. उसके बाद अन्य पार्षदों ने वोट डाले. वहीं, तीसरे पद के लिए आखिरी वोट के समय आम आदमी पार्टी ने एक बीजेपी वोट के लिए मेयर से बहस की, लेकिन मेयर द्वारा एक वोट को वैलिड बताते हुए नेशनल एंथम चलाने के आदेश दे दिए. चलते बहस के बीच आप पार्षदों को नहीं सुनते हुए चुनाव प्रक्रिया समाप्त कर दी गई.
चंडीगढ़ नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा बरकरार: चंडीगढ़ नगर निगम में लगातार आठवें साल भारतीय जनता पार्टी ने अपना मेयर बनाया है. साल 2015 के बाद से कांग्रेस का कोई भी मेयर नहीं बन पाया है. बीजेपी वर्ष 2016 से लगातार मेयर बनाती आ रही है. यहां पिछले साल हुए आम मतदान में बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों को एक समान सीट मिली थी. 2022 जनवरी में हुए मेयर चुनाव में भाजपा और आप के पास बराबर बहुमत था. ऐसे में कांग्रेस की एक पार्षद बीजेपी में शामिल हुईं, जिसके बाद उनके पास 15 वोट हो गई. जिससे उन्होंने मेयर की कुर्सी अपने पाले में ले ली थी.
चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर समेत तीनों पदों पर भाजपा के काबिज होने के बाद सांसद किरण खेर ने नई टीम को बधाई देते हुए कहा कि बगैर किसी भेदभाव के शहर का विकास करवाएं. शहर के विकास में केंद्र सरकार द्वारा हर संभव मदद की जाएगी. किरण खेर ने सभी पार्षदों को विकास के नाम पर एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि नए साल में शहर के लिए नई विकास योजनाओं को लागू किया जाए.
कांग्रेस ने किया चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार: वहीं, कांग्रेस पार्टी ने इस चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार किया. चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष एच.एस. लक्की ने कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस मेयर चुनावों से वॉकआउट कर चुकी है. कांग्रेस ने साफ किया है कि वह विपक्ष में बैठ कर शहर की जनता के मुद्दों को उठाती रहेगी. पार्टी के सभी छह पार्षद शहर से बाहर हैं. कांग्रेस के एक पार्षद के आप में शामिल होने की खबर को नकारते हुए एच.एस. लक्की ने कहा कि यह सिर्फ आम आदमी पार्टी की चुनाव जीतने की रणनीति थी. हमारे पार्षद आज भी हमारे साथ कसौली में हैं.
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