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चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव ने GMSH-16 अस्पताल का किया निरीक्षण, रोक के बावजूद डॉक्टर लिख रहे प्राइवेट कंपनियों की दवाएं

चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने सेक्टर-16 के गवर्नमेंट मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निरीक्षण किया. इस दौरान अस्पताल में भारी अनियमितताएं पाई गईं. (chandigarh health Secretary Yashpal Garg)

chandigarh health Secretary Yashpal Garg visit hospital
गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल चंडीगढ़
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Published : Apr 17, 2023, 4:12 PM IST

चंडीगढ़: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को प्राइवेट कंपनियों के दवा ने लिखने के लिए डॉक्टरों की आदेश जारी किए गए थे. लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर निर्देशों की अवहेलना करते हुए अभी भी मरीजों को प्रआइवेट किंपनियों की ब्रांडेड दवाओं लिख रहे हैं. जिसका खुलासा चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने एक निरीक्षण के दौरान किया.

बता दें कि स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग गर्ग पेट दर्द की शिकायत लेकर मरीज बनकर अस्पताल गए थे और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने एक इंजेक्शन और 'मैकेन' सिरप लिखकर ओपीडी कार्ड तैयार किया. सेक्टर-16 के गवर्नमेंट मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल (जीएमएसएच) के इमरजेंसी दौरे के दौरान एक डॉक्टर ने स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग को महंगी ब्रांडेड दवा लिखी.

chandigarh health Secretary Yashpal Garg visit hospital
गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल चंडीगढ़

डॉक्टर ने गर्ग को बताया कि परिसर में एक दवा की दुकान पर सिरप उपलब्ध था. हालांकि, गर्ग ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में सिरप के नुस्खे पर संदेह जताया, जो केवल तीन केमिस्ट की दुकानों में से एक पर उपलब्ध था और अन्य दो केमिस्टों द्वारा पेश किए गए वैकल्पिक सिरप की तुलना में बहुत महंगा था. ऐसे में सचिव गर्ग ने सवाल किया कि क्या एक मरीज को एक ऐसे सिरप के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर करना उचित था जो अन्य दो केमिस्टों द्वारा सिरप की तुलना में 67% महंगा था. महंगी दवाएं लिखने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं की टिप्पणियों के साथ संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण भी मांगा है.

उन्होंने आगे ड्रग इंस्पेक्टर को आदेश दिया कि कंपनी और डॉक्टर के बीच अगर कोई संबंध या समझौते की जानकारी मिलती है तो वे उसकी जांच करें. ऐसे में निरीक्षण के दौरान सचिव गर्ग ने पाया कि जीएमएसएच-16 स्थित तीन केमिस्ट दुकानों में से कोई भी बिल जारी नहीं कर रहा था. वहीं, स्वास्थ्य सचिव ने टिप्पणी की करते हुए कहा कि जबकि सभी डॉक्टरों ने पेशेवर नैतिकता और ईमानदारी के उच्च मानकों का पालन किया, कुछ डॉक्टरों पर विशेष केमिस्ट की दुकानों, ब्रांडों और प्रयोगशालाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

ऐसे में आरोपों के सचाई पाए जाने के बाद उचित कार्रवाई शुरू की जाएगी, लेकिन डॉक्टरों के नामों का खुलासा नहीं किया जाएगा. यूटी ने पहले सभी सरकारी अस्पतालों को जेनेरिक दवा और नुस्खे के दिशा-निर्देशों पर नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों का पालन करने का आदेश दिया था. जेनेरिक दवाएं लिखने को कहा गया है. ब्रांडेड दवाएं केवल असाधारण परिस्थितियों में ही निर्धारित की जा सकती हैं. ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं को निर्धारित करने के कारणों को निर्दिष्ट करते हुए एक तिथि-वार डायरी रखनी होगी.

ये भी पढ़ें: भयानक गर्मी और लू की चपेट में हरियाणा, हिसार में पारा पहुंचा 43 डिग्री के पार, इस तारीख से बारिश के आसार

चंडीगढ़: सरकारी अस्पतालों में मरीजों को प्राइवेट कंपनियों के दवा ने लिखने के लिए डॉक्टरों की आदेश जारी किए गए थे. लेकिन सरकारी अस्पताल के डॉक्टर निर्देशों की अवहेलना करते हुए अभी भी मरीजों को प्रआइवेट किंपनियों की ब्रांडेड दवाओं लिख रहे हैं. जिसका खुलासा चंडीगढ़ के स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने एक निरीक्षण के दौरान किया.

बता दें कि स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग गर्ग पेट दर्द की शिकायत लेकर मरीज बनकर अस्पताल गए थे और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने एक इंजेक्शन और 'मैकेन' सिरप लिखकर ओपीडी कार्ड तैयार किया. सेक्टर-16 के गवर्नमेंट मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल (जीएमएसएच) के इमरजेंसी दौरे के दौरान एक डॉक्टर ने स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग को महंगी ब्रांडेड दवा लिखी.

chandigarh health Secretary Yashpal Garg visit hospital
गवर्नमेंट मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल चंडीगढ़

डॉक्टर ने गर्ग को बताया कि परिसर में एक दवा की दुकान पर सिरप उपलब्ध था. हालांकि, गर्ग ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में सिरप के नुस्खे पर संदेह जताया, जो केवल तीन केमिस्ट की दुकानों में से एक पर उपलब्ध था और अन्य दो केमिस्टों द्वारा पेश किए गए वैकल्पिक सिरप की तुलना में बहुत महंगा था. ऐसे में सचिव गर्ग ने सवाल किया कि क्या एक मरीज को एक ऐसे सिरप के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर करना उचित था जो अन्य दो केमिस्टों द्वारा सिरप की तुलना में 67% महंगा था. महंगी दवाएं लिखने वाले डॉक्टर पर कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं की टिप्पणियों के साथ संबंधित डॉक्टर से स्पष्टीकरण भी मांगा है.

उन्होंने आगे ड्रग इंस्पेक्टर को आदेश दिया कि कंपनी और डॉक्टर के बीच अगर कोई संबंध या समझौते की जानकारी मिलती है तो वे उसकी जांच करें. ऐसे में निरीक्षण के दौरान सचिव गर्ग ने पाया कि जीएमएसएच-16 स्थित तीन केमिस्ट दुकानों में से कोई भी बिल जारी नहीं कर रहा था. वहीं, स्वास्थ्य सचिव ने टिप्पणी की करते हुए कहा कि जबकि सभी डॉक्टरों ने पेशेवर नैतिकता और ईमानदारी के उच्च मानकों का पालन किया, कुछ डॉक्टरों पर विशेष केमिस्ट की दुकानों, ब्रांडों और प्रयोगशालाओं को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कुछ शिकायतें प्राप्त हुई थीं.

ऐसे में आरोपों के सचाई पाए जाने के बाद उचित कार्रवाई शुरू की जाएगी, लेकिन डॉक्टरों के नामों का खुलासा नहीं किया जाएगा. यूटी ने पहले सभी सरकारी अस्पतालों को जेनेरिक दवा और नुस्खे के दिशा-निर्देशों पर नेशनल मेडिकल कमीशन के नियमों का पालन करने का आदेश दिया था. जेनेरिक दवाएं लिखने को कहा गया है. ब्रांडेड दवाएं केवल असाधारण परिस्थितियों में ही निर्धारित की जा सकती हैं. ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं को निर्धारित करने के कारणों को निर्दिष्ट करते हुए एक तिथि-वार डायरी रखनी होगी.

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