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ब्रांडेड दवाओं की लूट कम करने के लिए जेनेरिक दवा लिखने के आदेश, जानें क्यों महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं मरीज - ब्रांडेड दवाओं की लूट

ब्रांडेड दवाओं की लूट को कम करने के लिए चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने के आदेश दिए थे. लेकिन, मेडिकल स्टोर में अधिकांश जेनेरिक दवाएं उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को महंगी ब्रांडेड दवाई खरदीनी पड़ती है. (Shortage of generic medicines in Chandigarh)

Shortage of generic medicines in Chandigarh
चंडीगढ़ में ब्रांडेड दवाओं की लूट कम करने के लिए जेनेरिक दवा लिखने के आदेश
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Published : May 22, 2023, 8:17 PM IST

चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग.

चंडीगढ़: केंद्र सरकार द्वारा सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों को जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए गए हैं. डॉक्टर द्वारा अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवा लिखी जाती है, लेकिन सभी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. बाहर के मेडिकल स्टोर में जेनरिक दवा नहीं मिलती है क्योंकि सस्ती होती है. वहीं, ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं महंगी होती है और वहीं उपलब्ध होती है. ऐसे में मजबूरी में मरीजों को थक हार कर महंगी दवा ही खरीदनी पड़ती है. चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी डॉक्टरों को सख्ती से आदेश दिए गए थे कि वे जेनेरिक दवाएं ही लिखें. चंडीगढ़ में जेनेरिक दवाएं ‌की भी भारी कमी की बात सामने आ रही है.

डॉक्टरों को जेनेरिक मेडिसिन लिखने के आदेश: बता दें कि चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश तो जारी किए गए हैं, लेकिन जेनेरिक दवा सिर्फ जन औषधि केंद्र पर ही मिल पाते है. चंडीगढ़ सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल में स्थित अधिकतर स्टोर पर दवाओं ब्रांडेड ही है. वहीं, जन औषधि में भी सभी दवाएं नहीं मिल पा रही है. जिसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आदेशों के बाद भी डॉक्टरों द्वारा ब्रांड की दवा लिखी जा रही है. जिसको लेकर चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग के सचिव यशपाल गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भले ही आदेशों में डॉक्टरों को जेनेरिक मेडिसिन लिखने के आदेश हुए हैं, लेकिन मरीज की बीमारी को देखते हुए ब्रांडेड मेडिसिन भी लिखी जा सकती है.

Shortage of generic medicines in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवाओं की कमी.

चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवाओं की कमी: सूत्रों की मानें तो कुछ मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवा रहती भी हैं तो दुकानदार उसे ऊंची कीमत पर ही बेचते हैं. कुछ स्टोर तो सस्ती जेनेरिक दवा की जगह ब्रांडेड दवाओं को खरीदने का हवाला देते हैं. क्योंकि कंपनियों द्वारा स्टोर वालों को मोटा मुनाफा दिया जाता है. ब्रांडेड दवाओं वाली कंपनियों का डॉक्टरों तक सीधा संपर्क होता है. जिसके चलते डॉक्टर भी ब्रांड की दवा लिखते हैं. इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवा तो मिल जाती है. लेकिन, निजी अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को बाहर कहीं जेनेरिक दवा नहीं मिल पाती है.

जेनेरिक दवा की कीमत 30-80 फीसदी कम: ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनेरिक दवा की कीमत 30-80 फीसदी कम है. एक ब्रांडेड दवा और उसके समतुल्य जेनेरिक दवा में एक ही रासायनिक तत्व होते हैं और उनकी खुराक, सुरक्षा, इनसे होने वाला फायदा, उपयोग की विधि और गुणवत्ता भी समान होती हैं. जेनेरिक दवाओं ‌के बारे में ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि यह योजना क्या है. लोगों का कहना है कि जब मेडिकल स्टोर पर ही जेनेरिक दवाएं नहीं मिलती तो आखिर किस पर और कैसे विश्वास करें. सबसे बड़ी बात यह है कि आम जनता तक जेनेरिक दवाओं की जानकारी आखिर कैसे पहुंचेगी. लोगों को दवाओं और केंद्रों की भी जानकारी नहीं है.

Shortage of generic medicines in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवा नहीं मिलने से मरीज परेशान.

अप्रैल में चंडीगढ़ स्वास्थ्य ‌सचिव ने किया था निरीक्षण: अप्रैल महीने में ‌चंडीगढ़ स्वास्थ्य ‌सचिव यशपाल गर्ग द्वारा सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल में एक आम व्यक्ति की तरह जाकर निरीक्षण किया गया था. जहां उन्हे पेट दर्द के लिए डॉक्टर द्वारा ब्रांड की दवा लिखी गई थी. ऐसे में उन्होंने सभी मेडिसिन स्टोर में जेनेरिक दवाओं का भी पता किया. ऐसे में कोई भी स्टोर वाला न तो जेनेरिक दवा बेच रहा था और न दवा की बिल दे रहा था. जिसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को कड़े निर्देश जारी किए थे.

Medical Store in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर

क्या कहते हैं चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव?: चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने बताया कि शहर के बड़े और छोटे सभी स्वास्थ्य संस्थान आदेश पत्र जारी किया गया है कि वे जेनेरिक मेडिसिन एंड प्रिस्क्रिप्शन गाइड लाइन पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नियमों का पालन करें. लेकिन, अगर इसके बावजूद भी कोई डॉक्टर जेनेरिक मेडिसिन नहीं लिखता है उसके ‌ख‌िलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उदाहरण के तौर पर हमने बीते सप्ताह एक सरकारी डॉक्टर का तबादला कर दिया था जो आदेश के बाद भी हर एक मरीज को ब्रांड की मेडिसिन लिख रहा था.

Medical Store in Chandigarh
चंडीगढ़ में ब्रांडेड दवाओं की लूट कम करने के लिए जेनेरिक दवाएं लिखने के आदेश.

'चंडीगढ़ में हर जगह जेनेरिक मेडिसिन सुविधा': जेनेरिक मेडिसिन सुविधा चंडीगढ़ में हर जगह है. वहीं सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जन औषधि चल रही है जहां पर जेनेरिक मेडिसिन की सुविधा दी गई है. कुछ डॉक्टर अभी भी ब्रांडेड मेडिसिन को लिख रहे हैं. जबकि उनको जेनेरिक मेडिसिन लिखनी चाहिए. शहर के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में ड्यूटी दे रहे सभी डॉक्टरों से हम यह अपील कर चुके हैं कि वे मरीजों को सिर्फ जेनेरिक मेडिसिन ही लिखें.

इसके बावजूद आदेश पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर किसी मरीज को वह मेडिसिन जो सिर्फ एक ब्रांड द्वारा ही बनाई जाती है तो वे मरीजों को प्रिसक्राइब कर सकते हैं. लेकिन, ब्रांडेड दवा लिखने से पहले उस दवा से संबंधित वजह को डॉक्टर अपनी डायरी में नोट कर लें. ताकि अगर कोई मरीज डॉक्टर पर ब्रांडेड दवा लिखने का आरोप लगाता है तो हमारे डॉक्टर के पास इसे लिखने की वजह हो.

'मरीज की जरूरत के हिसाब से लिख सकते हैं दवाएं': सचिव यशपाल गर्ग ने बताया कि हमने अपने आदेश यहां तक कहा है कि ऐसी कोई जबरदस्ती नहीं है कि कोई भी डॉक्टर ब्रांडेड दवा नहीं लिख सकता. मरीज की जरूरत के हिसाब से ब्रांडेड दवाएं भी लिख सकते हैं. जेनेरिक मेडिसिन को लिखने का एक ही मकसद है ताकि लोगों को उनके बजट में रहते हुए दवाएं और स्वास्थ्य सेवाओं मिल सकें. रही बात जेनेरिक मेडिसिन ना मिलने की तो स्वास्थ्य विभाग उस पर भी काम कर रहा है, ताकि लोगों को जरूरी दवाएं जन औषधि केंद्र में ही मिल पाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों को कहा गया है कि वे दवाओं के साल्ट युक्त पर्ची पर लिखें. ऐसे में लोगों की अपनी मर्जी है कि वह ब्रांडेड दवाएं खरीदना चाहते हैं या जेनेरिक दवाएं.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ में रोक के बावजूद डॉक्टर लिख रहे प्राइवेट कंपनियों की दवाएं

चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग.

चंडीगढ़: केंद्र सरकार द्वारा सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को मरीजों को जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए गए हैं. डॉक्टर द्वारा अस्पताल में उपलब्ध जेनेरिक दवा लिखी जाती है, लेकिन सभी उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. बाहर के मेडिकल स्टोर में जेनरिक दवा नहीं मिलती है क्योंकि सस्ती होती है. वहीं, ब्रांडेड कंपनियों की दवाएं महंगी होती है और वहीं उपलब्ध होती है. ऐसे में मजबूरी में मरीजों को थक हार कर महंगी दवा ही खरीदनी पड़ती है. चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी डॉक्टरों को सख्ती से आदेश दिए गए थे कि वे जेनेरिक दवाएं ही लिखें. चंडीगढ़ में जेनेरिक दवाएं ‌की भी भारी कमी की बात सामने आ रही है.

डॉक्टरों को जेनेरिक मेडिसिन लिखने के आदेश: बता दें कि चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश तो जारी किए गए हैं, लेकिन जेनेरिक दवा सिर्फ जन औषधि केंद्र पर ही मिल पाते है. चंडीगढ़ सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल में स्थित अधिकतर स्टोर पर दवाओं ब्रांडेड ही है. वहीं, जन औषधि में भी सभी दवाएं नहीं मिल पा रही है. जिसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आदेशों के बाद भी डॉक्टरों द्वारा ब्रांड की दवा लिखी जा रही है. जिसको लेकर चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग के सचिव यशपाल गर्ग से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भले ही आदेशों में डॉक्टरों को जेनेरिक मेडिसिन लिखने के आदेश हुए हैं, लेकिन मरीज की बीमारी को देखते हुए ब्रांडेड मेडिसिन भी लिखी जा सकती है.

Shortage of generic medicines in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवाओं की कमी.

चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवाओं की कमी: सूत्रों की मानें तो कुछ मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवा रहती भी हैं तो दुकानदार उसे ऊंची कीमत पर ही बेचते हैं. कुछ स्टोर तो सस्ती जेनेरिक दवा की जगह ब्रांडेड दवाओं को खरीदने का हवाला देते हैं. क्योंकि कंपनियों द्वारा स्टोर वालों को मोटा मुनाफा दिया जाता है. ब्रांडेड दवाओं वाली कंपनियों का डॉक्टरों तक सीधा संपर्क होता है. जिसके चलते डॉक्टर भी ब्रांड की दवा लिखते हैं. इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवा तो मिल जाती है. लेकिन, निजी अस्पताल में इलाज कराने वाले मरीजों को बाहर कहीं जेनेरिक दवा नहीं मिल पाती है.

जेनेरिक दवा की कीमत 30-80 फीसदी कम: ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनेरिक दवा की कीमत 30-80 फीसदी कम है. एक ब्रांडेड दवा और उसके समतुल्य जेनेरिक दवा में एक ही रासायनिक तत्व होते हैं और उनकी खुराक, सुरक्षा, इनसे होने वाला फायदा, उपयोग की विधि और गुणवत्ता भी समान होती हैं. जेनेरिक दवाओं ‌के बारे में ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि यह योजना क्या है. लोगों का कहना है कि जब मेडिकल स्टोर पर ही जेनेरिक दवाएं नहीं मिलती तो आखिर किस पर और कैसे विश्वास करें. सबसे बड़ी बात यह है कि आम जनता तक जेनेरिक दवाओं की जानकारी आखिर कैसे पहुंचेगी. लोगों को दवाओं और केंद्रों की भी जानकारी नहीं है.

Shortage of generic medicines in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवा नहीं मिलने से मरीज परेशान.

अप्रैल में चंडीगढ़ स्वास्थ्य ‌सचिव ने किया था निरीक्षण: अप्रैल महीने में ‌चंडीगढ़ स्वास्थ्य ‌सचिव यशपाल गर्ग द्वारा सेक्टर-16 के सरकारी अस्पताल में एक आम व्यक्ति की तरह जाकर निरीक्षण किया गया था. जहां उन्हे पेट दर्द के लिए डॉक्टर द्वारा ब्रांड की दवा लिखी गई थी. ऐसे में उन्होंने सभी मेडिसिन स्टोर में जेनेरिक दवाओं का भी पता किया. ऐसे में कोई भी स्टोर वाला न तो जेनेरिक दवा बेच रहा था और न दवा की बिल दे रहा था. जिसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को कड़े निर्देश जारी किए थे.

Medical Store in Chandigarh
चंडीगढ़ में मेडिकल स्टोर

क्या कहते हैं चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव?: चंडीगढ़ स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने बताया कि शहर के बड़े और छोटे सभी स्वास्थ्य संस्थान आदेश पत्र जारी किया गया है कि वे जेनेरिक मेडिसिन एंड प्रिस्क्रिप्शन गाइड लाइन पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के नियमों का पालन करें. लेकिन, अगर इसके बावजूद भी कोई डॉक्टर जेनेरिक मेडिसिन नहीं लिखता है उसके ‌ख‌िलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उदाहरण के तौर पर हमने बीते सप्ताह एक सरकारी डॉक्टर का तबादला कर दिया था जो आदेश के बाद भी हर एक मरीज को ब्रांड की मेडिसिन लिख रहा था.

Medical Store in Chandigarh
चंडीगढ़ में ब्रांडेड दवाओं की लूट कम करने के लिए जेनेरिक दवाएं लिखने के आदेश.

'चंडीगढ़ में हर जगह जेनेरिक मेडिसिन सुविधा': जेनेरिक मेडिसिन सुविधा चंडीगढ़ में हर जगह है. वहीं सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जन औषधि चल रही है जहां पर जेनेरिक मेडिसिन की सुविधा दी गई है. कुछ डॉक्टर अभी भी ब्रांडेड मेडिसिन को लिख रहे हैं. जबकि उनको जेनेरिक मेडिसिन लिखनी चाहिए. शहर के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में ड्यूटी दे रहे सभी डॉक्टरों से हम यह अपील कर चुके हैं कि वे मरीजों को सिर्फ जेनेरिक मेडिसिन ही लिखें.

इसके बावजूद आदेश पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर किसी मरीज को वह मेडिसिन जो सिर्फ एक ब्रांड द्वारा ही बनाई जाती है तो वे मरीजों को प्रिसक्राइब कर सकते हैं. लेकिन, ब्रांडेड दवा लिखने से पहले उस दवा से संबंधित वजह को डॉक्टर अपनी डायरी में नोट कर लें. ताकि अगर कोई मरीज डॉक्टर पर ब्रांडेड दवा लिखने का आरोप लगाता है तो हमारे डॉक्टर के पास इसे लिखने की वजह हो.

'मरीज की जरूरत के हिसाब से लिख सकते हैं दवाएं': सचिव यशपाल गर्ग ने बताया कि हमने अपने आदेश यहां तक कहा है कि ऐसी कोई जबरदस्ती नहीं है कि कोई भी डॉक्टर ब्रांडेड दवा नहीं लिख सकता. मरीज की जरूरत के हिसाब से ब्रांडेड दवाएं भी लिख सकते हैं. जेनेरिक मेडिसिन को लिखने का एक ही मकसद है ताकि लोगों को उनके बजट में रहते हुए दवाएं और स्वास्थ्य सेवाओं मिल सकें. रही बात जेनेरिक मेडिसिन ना मिलने की तो स्वास्थ्य विभाग उस पर भी काम कर रहा है, ताकि लोगों को जरूरी दवाएं जन औषधि केंद्र में ही मिल पाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों को कहा गया है कि वे दवाओं के साल्ट युक्त पर्ची पर लिखें. ऐसे में लोगों की अपनी मर्जी है कि वह ब्रांडेड दवाएं खरीदना चाहते हैं या जेनेरिक दवाएं.

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ में रोक के बावजूद डॉक्टर लिख रहे प्राइवेट कंपनियों की दवाएं

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